सोमवार, 10 मई 2010

धृतराष्ट्र हर युग में होते हैं।

कुछ दिनों पहले एक सामने घट रहे वाकये का जिक्र किया था "आज का धृतराष्ट्र जो खुद ही बैल को उकसा रहा है" के नाम से। जिसमें पुत्र मोह में पड़ा एक बाप अपने 32साला लड़के की इस बात को, कि उसका पहली पत्नि से तलाक हो चुका है और एक बच्चा भी है, छिपा कर फिर उसकी शादी करने जा रहा था। वह इंसान अपने लड़के के भविष्य(?) के लिए इतना अंधा हो चुका था कि उसे उस लड़की का जरा भी ख्याल नहीं आ रहा था, जिसे वह धोखे से अपनी बहू बना घर लाने जा रहा था। बहुत से लोगों ने बहुत तरह से उसे समझाने की कोशिश की। उसे समझाया कि लड़की वालों को सब साफ-साफ बता कर ही बात आगे बढाना नहीं तो शादी के बाद मुसीबत में फंस जाओगे। हर ऊंच-नीच समझाई कि यह कोई व्यसायिक गठबंधन नहीं होने जा रहा या यह रिश्ता दोस्ती-मैत्री का नहीं है कि पसंद नहीं आया या पटी नहीं आपस में तो अलग-अलग रास्ता अख्तियार कर लिया जाएगा। पर उसने किसी की बात पर भी ध्यान नहीं दिया। उसे यहां तक कहा गया कि यदि तुम्हारी बेटी के साथ कोई ऐसा करता तो तुम पर क्या बीतती? इसका कोई जवाब नहीं था उसके पास, उसे ऐसी नसीहत देने वाले अपने दुश्मन लग रहे थे। उसकी बस एक ही रट थी कि शादी हो जाएगी फिर सब ठीक हो जाएगा, क्या ठीक हो जाएगा इसका उसे भी पता नहीं था।

अगला 10-12 लोगों को ले सगाई कर आया तथा इसी आने वाली अक्षय तृतिया पर शादी का होना तय हो गया।
पर कहीं ना कहीं कोई न्याय व्यवस्था है शायद। लड़की के कर्म अच्छे थे या उसके परिवार ने कुछ पुण्य कार्य किया होगा, उनको भनक लग गयी लड़के के इतिहास की। पूछ-ताछ हुई, सच सामने आ गया और उन्होंने साफ मना कर दिया इस रिश्ते से।

अब ये कहता फिर रहा है, भगवान मेरे साथ था, कहीं शादी के बाद पता चलता तो मेरे को मार ही दिए होते।

वैसे पीछे अभी भी नहीं हटा है पर अब ऐसी लड़की खोज रहा है जो परित्यक्ता हो या तलाक शुदा।

13 टिप्‍पणियां:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

देखे हैं लुच्चे टुच्चे लफ़ंगे लोग
मुखौटा लगा घूम रहे कमीने लोग
लात खाकर नहीं सुधरते गंदे लोग
धृतराष्ट्र जैसे है देखे कई अंधे लोग

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

हम सब भी ध्रतराष्ट्र की श्रेणी मैं आते है

कहीं ना कहीं हम सब या देख रहे हैं http://sanjaykuamr।blogspot.com/

राजकुमार सोनी ने कहा…

वाह गगन भाई क्या कमाल का लिखा है आपने। ललित भाई ने और जानदार टिप्पणी भी की है। ये देश महान है।

राज भाटिय़ा ने कहा…

आप की बात से सहमत है जी

समयचक्र ने कहा…

शतप्रतिशत सहमत हूँ ...आजकल धृतराष्ट्र की भूमिका राजनेतागण बखूबी निभा रहे हैं ...

P.N. Subramanian ने कहा…

भैय्या वह अपने बेटे के भविष्य की चिंता में है. क्यों पीछे पड़ गए.

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

मुझे पसंद आया
बात बिलकुल सही है

Anil Pusadkar ने कहा…

कमी नही है धोखेबाज़ों की।

ढपो्रशंख ने कहा…

आज हिंदी ब्लागिंग का काला दिन है। ज्ञानदत्त पांडे ने आज एक एक पोस्ट लगाई है जिसमे उन्होने राजा भोज और गंगू तेली की तुलना की है यानि लोगों को लडवाओ और नाम कमाओ.

लगता है ज्ञानदत्त पांडे स्वयम चुक गये हैं इस तरह की ओछी और आपसी वैमनस्य बढाने वाली पोस्ट लगाते हैं. इस चार की पोस्ट की क्या तुक है? क्या खुद का जनाधार खोता जानकर यह प्रसिद्ध होने की कोशीश नही है?

सभी जानते हैं कि ज्ञानदत्त पांडे के खुद के पास लिखने को कभी कुछ नही रहा. कभी गंगा जी की फ़ोटो तो कभी कुत्ते के पिल्लों की फ़ोटूये लगा कर ब्लागरी करते रहे. अब जब वो भी खत्म होगये तो इन हरकतों पर उतर आये.

आप स्वयं फ़ैसला करें. आपसे निवेदन है कि ब्लाग जगत मे ऐसी कुत्सित कोशीशो का पुरजोर विरोध करें.

जानदत्त पांडे की यह ओछी हरकत है. मैं इसका विरोध करता हूं आप भी करें.

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

असहमति का कोई प्रश्न हीं नहीं।
--------
कौन हो सकता है चर्चित ब्लॉगर?
पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

राजकुमार जी
यह सत्य घटना है, मेरे कार्यालय में ही कार्यरत है वह इंसान ! उसे लाख समझाया पर वह माना नहीं !

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

राज जी
यह सत्य घटना है, मेरे कार्यालय में ही कार्यरत है वह पुत्र प्रेमी

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अनिल जी
मेरे संस्थान की यह सत्य घटना है,

विशिष्ट पोस्ट

कारनामे सिर्फ एक वोट के

हम  व्यवस्था को उसकी नाकामियों की वजह से कोसने में कोई ढिलाई नहीं बरतते पर कभी भी अपने कर्तव्य को नजरंदाज करने का दोष खुद को नहीं देते ! वर्...