सोमवार, 29 अप्रैल 2024

कारनामे सिर्फ एक वोट के

हम व्यवस्था को उसकी नाकामियों की वजह से कोसने में कोई ढिलाई नहीं बरतते पर कभी भी अपने कर्तव्य को नजरंदाज करने का दोष खुद को नहीं देते ! वर्षों बाद आने वाले सिर्फ एक दिन के कुछ पलों के लिए भी हम अपने आराम में खलल डालने से बचते हैं ! कभी विपरीत मौसम, कभी लंबी कतारों का हवाला दे खुद को सही ठहराने लगते हैं ! देश में अनगिनत ऐसे  लोग मिल जाएंगे जो अपनी मौज-मस्ती के लिए वोट वाले दिन मिले इस  अवकाश को, अपने मनोरंजन में खर्च करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते..........! 

#हिन्दी_ब्लागिंग 

यदि मैं किसी दिन बिजली ना होने की वजह से पानी का पंप न चल पाने के कारण सिर्फ हाथ मुंह पौंछ कर भुनभुनाता हुआ घर से काम पर निकलता हूँ ! बाहर टूटी-फूटी गड्ढों भरी सड़क पर रेंगती गाड़ियां मुझे देर पर देर करवाती हैं ! गर्मी बेहाल करती है ! वातावरण धूँए-गुबार से अटा पड़ा होता है ! सांस लेते ही गले में जलन और खांसी आने लगती है तो मैं आपा खो कर सीधे-सीधे सरकार और व्यवस्था को कोसना शुरू कर देता हूँ ! उस समय मैं यह भूल जाता हूँ कि पिछली बार के चुनाव में मेरी वोटिंग वाले दिन सोमवार था, शनि से सोम तक की उन तीन दिनों की छुट्टियों के सदुपयोग के लिए मैं शुक्रवार की शाम को ही सपरिवार नैनीताल के लिए निकल गया था, बिना अपने और पत्नी के वोट के बेकार हो जाने की परवाह किए ! तो आज यह मेरा हक नहीं बनता कि मैं व्यवस्था को कोसूं ! क्योंकि इस सब की कहीं ना कहीं, किसी ना किसी तरह मेरी गफलत भी तो कारण बनती ही है !   

EVM
हम व्यवस्था को उसकी नाकामियों की वजह से कोसने में कोई ढिलाई नहीं बरतते पर कभी भी अपने कर्तव्य को नजरंदाज करने का दोष खुद को नहीं देते ! वर्षों बाद आने वाले सिर्फ एक दिन के कुछ पलों के लिए भी हम अपने आराम में खलल डालने से बचते हैं ! कभी विपरीत मौसम, कभी लंबी कतारों का हवाला दे खुद को सही ठहराने लगते हैं ! देश में अनगिनत ऐसे  लोग मिल जाएंगे जो अपनी मौज-मस्ती के लिए वोट वाले दिन मिले अवकाश को, अपने मनोरंजन में खर्च करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते ! उन्हें कभी भी अपनी इस भूल के कारण हो सकने वाले नुक्सान का ख्याल नहीं आता !  

कतारें 
एक वोट की कीमत को कुछ ना समझने वालों को हमें याद दिलाना है कि सिर्फ एक वोट की कमी के कारण क्या से क्या हो चुका है ! एक वोट ने लोगों के साथ-साथ देशों की तकदीर बदल दी है ! यह इतिहास में दर्ज है फिर भी हम सबक नहीं लेते ! 

* 1917 में सरदार पटेल जैसे नेता सिर्फ एक वोट से म्युनिसिपल कार्पोरेशन का चुनाव हार गए थे !

* कर्नाटक विधानसभा के 2004 के चुनाव में जनता दल सेक्युलर के उम्मीदवार  ए.आर.कृष्णमूर्ति विधानसभा चुनाव में एक वोट से हारने वाले पहले शख्स बन गए थे !

*  2008 के राजस्थान विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सी.पी.जोशी सिर्फ एक वोट से हार गए थे। विडंबना यह रही कि उनकी माताजी, उनकी पत्नी तथा उनका ड्राइवर वोट डालने गए ही नहीं थे ! 

* 17 अप्रैल 1999 के उस एक वोट को कौन भूल सकता है, जिसने बाजपेई जी की सरकार को पलट कर रख दिया था ! अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 270 और खिलाफ 269 वोट पड़े थे !

* 2017 में राज्यसभा की सीट के लिए हुए एक कड़े मुकाबले में कांग्रेस के अहमद पटेल सिर्फ आधे वोट से जीते थे !

* अभी कुछ ही दिनों पहले हिमाचल की राज्यसभा सीट का परिणाम, वोट बराबर होने की वजह से लॉटरी से निकाला गया था !

वैसे यह वोट ना देने की बिमारी जगत व्यापी है ! वर्षों-वर्ष से ! विदेशों में भी सिर्फ एक वोट ने कहर बरपाया है !

* 1775 में अमेरिका की राष्ट्रभाषा के लिए जर्मन और इंग्लिश के बीच चुनाव हुआ सिर्फ एक वोट से वहां अंग्रेजी को मान्यता मिल गई, जो आज तक टिकी हुई है !

* अमेरिका में 1800, 1824 व 1876 में हुए चुनावों में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सिर्फ एक-एक वोट से जीते थे  !

* अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनावों में करोड़ों वोट पड़ने के बावजूद बुश और कैनेडी कुछ सौ मतों से ही विजयी हुए थे !

* 1875 में फ्रांस की राजशाही एक वोट से खत्म हो गई थी ! जब आराम परस्त शाही परिवार गफलत में पड़ कर्तव्य से चूक गया था ! उस एक भूल के कारण तब से आज तक फ्रांस में लोकतंत्र कायम है !

* 1979 में इंग्लॅण्ड में विपक्ष की नेता थैचर ने एक अविश्वास प्रस्ताव में सत्ताधारी प्रधानमंत्री जेम्स कैलहैन को सिर्फ एक वोट से पदच्युत करवा दिया था !  

अपना प्रत्याशी 
सदा की तरह निष्कर्ष तो यही निकलता है कि हमें अपने एक वोट की ताकत को याद रखना है ! हमारे विचार जिस किसी से भी मिलते हों, हम जिस किसी को भी पसंद करते हों, अपना मत उसे देना ही है ! हमारे अकेले से क्या फर्क पड़ता है इस सोच को खत्म करना ही है, क्योंकि हम अकेले ही नहीं सैंकड़ों लोग इस तरह की सोच की गिरफ्त में हैं और इस तरह सैकड़ों वोटों का विपरीत फर्क हर बार पड़ता रहता है !

4 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

कतारें गायब थी इस बार सभी जगह | हम कोसते जरूर हैं पर वोट भी हमेशा डालते आये हैं अभी तक | सुन्दर आलेख |

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी
कोसना तो हमारा हक है, वोट देना कर्तव्य ! निभाना दिल ओ दिमाग की मजबूरी है ! निभता है तब तो निभाना ही है, नहीं निभता है तब भी निभाना है 😅

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत सुन्दर

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

आभार आलोक भाई 🙏🏻

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