रविवार, 10 अक्टूबर 2010

परम शान्तिदायक तथा कल्याणकारी " माँ चंद्रघंटा"

नवरात्रि के तीसरे दिन, मां दुर्गा की तीसरी शक्ति "मां चंद्रघंटा" की आराधना की जाती है। इनका यह स्वरुप परम शांति तथा कल्याण प्रदान करने वाला है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान है तथा मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसीसे इनका नाम "मां चंद्रघंटा" पड़ा। इनके दस हाथ हैं जिनमें अस्त्र-शस्त्र विभुषित हैं। इनका वाहन सिंह है।आज के दिन साधक का मन मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होता है। मां की कृपा से उसे अलौकिक वस्तुओं के दर्शन तथा दिव्य ध्वनियां सुनाई देती हैं। पर इन क्षणों में साधक को बहुत आवधान रहने की जरुरत होती है। मां चंद्रघण्टा की दया से साधक के समस्त पाप और बाधाएं दूर हो जाती हैं। इनकी आराधना से साधक में वीरता, निर्भयता के साथ-साथ सौभाग्य व विनम्रता का भी विकास होता है। मां का ध्यान करना हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए परम कल्याणकारी और सद्गति देनेवाला होता है ************************************************
पिण्डजप्रवरारूढा चण्कोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्मां चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
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6 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

माँ सब जग की मनोकामना पूर्ण करें!
जय माता दी!

P.N. Subramanian ने कहा…

जय माता दी!

Krishna Baraskar ने कहा…

Jai Matadi..

कविता रावत ने कहा…

..सुन्दर प्रस्तुति ....
आपको और आपके परिवार को नवरात्र के बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ

राज भाटिय़ा ने कहा…

नवरात्रो की आपको भी शुभकामनायें।

समय चक्र ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति...
नवरात्र पर्व पर हार्दिक शुभकामनाये...

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