शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2010

"लो हम सब फिर भूल गये.! ! ! सबको याद दिलाना $$$ उसका क्या नाम है ! ! !"

जैसा कि अंदेशा था, खेलों के नशे ने, भव्यता की चकाचौंध ने, पदकों की बौछार ने सिर्फ और सिर्फ 15-20 दिन पहले के आक्रोश को, गुस्से को, तिलमिलाहट को भुलवा कर रख दिया। पहले इस तरह के भूलने को कुछ महीनों का समय लगा करता था पर इस बार यह आश्चर्यजनक रूप से इतनी जल्दि हो गया। प्रभू की मेहर है।

कहावत है कि नेता की पहली खासियत उसका 'चिकना घड़ा होना' जरूरी है, जिस पर कोई 'बाधा' नहीं व्यापति हो।
पता तो सबको है फिर भी एक बार और दुनिया ने देखा एक आम इंसान और "उसके सेवकों" में के फर्क का सच। यदि किसी साधारण आदमी पर कोई झूठा ही आरोप लग जाए तो उसका घर से निकलना दूभर हो जाता है। ग्लानी के मारे वह किसी से आंख नहीं मिला पाता। पर खेलों के उद्घाटन और समापन पर सबने देखा कि दुनिया भर में अपनी "करनी" के कारण नाम "कमाने" के बावजूद अगला कैसे मुर्गे की तरह गर्दन अकड़ा कर बिना किसी शर्मो-हया के हजारों लोगों के हुजूम के सामने आया, लगातार हूटींग के बावजूद आत्म प्रशंसा की और तो और खिलाड़ियों को पदक भी प्रदान किए। बेचारे खिलाड़ियों की मजबूरी थी कि वे ऐसे आदमी के हाथों पदक लेने से इंकार नहीं कर सकते थे पर मन ही मन सोच तो रहे ही होंगे कि यही बचा था हमारा सम्मान करने के लिए।
उधर उसके आकाओं के चेहरे पर व्याप्त संतोष भी इंगित कर रहा था कि तूफान गुजर चुका है। जैसे दुष्ट बच्चे की भूल पर उसके अभिभावक उसके कान मरोड़ कर एक चपत लगा अपने फर्ज की इतिश्री कर लेते हैं वैसा ही शायद कुछ हो गया हो। क्योंकि उद्घाटन और समापन के उद्बोधन में फर्क दिख रहा था। पहले भाषण में जहां चेहरे पर एक 'नर्वसनेस' छाई हुई थी, वहीं समापन दिवस पर उसी चेहरे पर आत्म विश्वास लौटता नजर आ रहा था।

बात वही है, कोई कितना चिल्लाता चीखता रहे, गैंड़े जैसी खालों पर क्या असर होने वाला है।

जय हिंद ।

13 टिप्‍पणियां:

honesty project democracy ने कहा…

कोमनवेल्थ में मिले सारे मेडल बेकार माने जायेंगे अगर इस देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने इस गेम के आयोजन के पीछे के भ्रष्टाचार के गेम की गंभीरता से जाँच कराकर दोषियों को सख्त सजा नहीं दी ..क्योकि इस बार भ्रष्टाचार की जाँच से इन दोनों पदों पर बैठे व्यक्तियों की नैतिकता भी दावँ पर लगी हुयी है ..देखना होगा की इन दोनों पदों पर बैठे व्यक्ति सत्य और न्याय को कितना मजबूत करते हैं ...?

P.N. Subramanian ने कहा…

कार्रवाई तो होगी.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

लोगों ने करोड़ों के वारे न्यारे कर लिये.... और क्या चाहिये...

मनोज कुमार ने कहा…


सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोsस्तु ते॥
महाअष्टमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!

राज भाटिय़ा ने कहा…

यही वो काले धब्बे हे जो इन गेमो का मजा किरकिरा कर देते हे, कोन करेगा जांच, कोन देगा इन दोषियो को सजा, आज तक किसे मिली हे सजा... बेचारे जेबकतरे को,छोटे मोटे चोर को, जो अपने बच्चो की भुख बर्दास्त नही कर सका, या फ़िर किसी रोटी चोर को... बाकी सब तो सलाम के संग छुट जाते हे, वो नेता हो या अभिनेता, या फ़िर कोई व्यापारी.... हे राम अब तो दशहरा भी आ गया कब मेरे देश से असली रावण मरेगां

anshumala ने कहा…

जी नहीं लोग भूले तो नहीं है पर जानते है कि वो कुछ कर नहीं सकते है और समापन समारोह में आत्मविश्वास का करण ये था कि लो जी सारे सबूत तो मैंने अब मिटा दिया है करते रहो जाँच |

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

आज ही की खबर है कि घोटालों की जांच होगी। आशा है पिछली ऐसी ही जांचों जैसा इसका ह्श्र नहीं होगा और सारा खाया पिया उगलवाया जाएगा।

Chetan Sharma ने कहा…

der ayad durust ayad

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

नेताओं से खाया पीया कभी नही उगलवाया जा सकता, क्योंकि उनका हाजमा बहुत ही ज्यादा होता है. आप क्यों ऐसी उम्मीद कर रहे हैं? इससे पहले भी इससे बडे बडे गरिष्ठ घोटाले हजम कर लिये गये हैं. नही होगा तो कुछ हाजमौला की टेबलेट ले देकर हजम कर लिये जायेंगे. आप चिंता नही करें, कुछ नही होने वाला.:)

दुर्गा नवमी एवम दशहरा पर्व की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाएं.

रामराम.

दीपक बाबा ने कहा…

मोटी चमड़ी में काले दिल के लोग......

कुछ भी हो जाए - पर इनको कोई परवाह नहीं...

Udan Tashtari ने कहा…

सही कहा,,, इनको कोई असर नहीं होता...


आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

भूले कहा? अगले दिन ही तो कोतवाल की नियुक्ति हो गई :)

बेनामी ने कहा…

Mai bahut pareshan hoo mera padosi mere pariwar ko hamesa jaan se marne ki dhamki deta hai

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