कुछ अलग सा
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
रविवार, 10 अगस्त 2025
विश्वव्यापी टैरिफ संकट और हम
गुरुवार, 7 अगस्त 2025
रक्षाबंधन, कई रिश्ते गुथे हैं इसमें
रक्षाबंधन, एक जुड़ाव जिसका उपयोग अपनी सुरक्षा या किसी चीज की अपेक्षा करने वाले का, अपने सहायक को, अपनी याद दिलाते रहने के लिए एक प्रतीक चिन्ह के रूप में किया जाता रहा है। अनादिकाल से चले आ रहे इस मासूम से त्यौहार पर भी, आज के आधुनिकरण के इस युग में अन्य भारतीय त्योहारों की तरह बाजार की कुदृष्टि पड़ चुकी है ! जो सक्षम लोगों को मंहगे-मंहगे उपहार, खरीदने को उकसा कर इस पुनीत पर्व की गरिमा और पवित्रता को ख़त्म करने पर उतारू है..........!!
#हिन्दी_ब्लागिंग
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देवी लक्ष्मी और दैत्यराज बलि |
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भाई-बहन का स्नेह |
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रक्षासूत्र |
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श्रीकृष्ण, द्रौपदी |
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पर्व |
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रक्षा बंधन |
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यज्ञोपवीत धारण |
रविवार, 3 अगस्त 2025
राष्ट्रपति लिंकन और केनेडी की जिंदगी और हत्या की अविश्वसनीय समानताएं
अमेरिका में कई राजनीतिक हस्तियों की हत्याएं हुईं हैं ! जिनमें अब्राहम लिंकन, जेम्स गारफील्ड, विलियम मैककिनले, रोनॉल्ड विलसन रीगन और अमरीकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी की बहु-चर्चित व प्रमुख रही हैं ! लेकिन लिंकन और केनेडी की जिंदगी और हत्या से जुड़े संयोग ऐसे हैं, जो हैरान कर के रख देते हैं, इसके अलावा और ऐसे उदाहरण कहीं खोजे नहीं मिलते ........!!
#हिन्दी_ब्लागिंग
कभी-कभी दुनिया में कुछ ऐसा घटित हो जाता है जिस पर सहसा विश्वास ही नहीं होता ! पर करना पड़ता है क्योंकि सब कुछ सामने घटित होता है। ऐसा ही एक अनोखा, विलक्षण वाकया है, अमेरिका के दो राष्ट्रपतियों के साथ घटी घटनाओं का ! हालांकि दोनों राष्ट्राध्यक्षों के कार्यकाल में करीब सौ सालका फासला है, पर थोड़ी सी अदला-बदली के साथ दोनों के जीवन में घटी घटनाओं की समानता और उनके बीच का सामंजस्य आश्चर्य से भर देता है ! विश्वास नहीं होता कि ऐसा कुछ हुआ होगा ! यह सच दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर कर देता है !
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लिंकन और केनेडी |
* प्रेसिडेंट लिंकन 1860 मे राष्ट्रपति चुने गये थे ! केनेडी का चुनाव 1960 मे हुआ था !
* अब्राहम लिंकन को 1846 में कांग्रेस के लिए चुना गया था, वहीं 100 साल बाद यानि 1946 में जॉन एफ कैनेडी को कांग्रेस के लिए चुना गया था।
* लिंकन और केनेडी दोनों के नामों में सात-सात अक्षर हैं।
* दोनों राष्ट्रपतियों का संबंध नागरिक अधिकारों से जुडा हुआ था !
* लिंकन के सेक्रेटरी का नाम केनेडी तथा केनेडी के सेक्रेटरी का नाम लिंकन था !
* दोनों राष्ट्रपतियों का कत्ल शुक्रवार को अपनी पत्नियों के सामने उनकी उपस्थिति में ही हुआ था !
* लिंकन के हत्यारे बूथ ने थियेटर मे लिंकन पर गोली चला कर एक स्टोर मे शरण ली थी और केनेडी का हत्यारा ओस्वाल्ड स्टोर मे केनेडी को गोली मार कर एक थियेटर मे जा छुपा था !
* बूथ का जन्म 1839 मे तथा ओस्वाल्ड का 1939 मे हुआ था !
* दोनों हत्यारों की हत्या मुकद्दमा चलने के पहले ही कर दी गयी थी !
* दोनों के हत्यारों जॉन विल्क्स बूथ (John Wilkes Booth) और ली हार्वे ओसवाल्ड (Lee Harvey Oswald) के नामों में 15-15 अक्षर हैं !
* दोनों राष्ट्रपतियों के उत्तराधिकारियों का नाम जॉनसन था !
* लिंकन के उत्तराधिकारी एन्ड्रयु जॉनसन का जन्म 1808 में तथा केनेडी के वारिस लिंडन जॉनसन का जन्म 1908 मे हुआ था।
* लिंकन की हत्या फ़ोर्ड के थियेटर में हुई थी, जबकी केनेडी फ़ोर्ड कम्पनी की कार में सवार थे !
अमेरिका में कई राजनीतिक हस्तियों की हत्याएं हुईं हैं ! जिनमें अब्राहम लिंकन, जेम्स गारफील्ड, विलियम मैककिनले, रोनॉल्ड विलसन रीगन और अमरीकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी की बहु-चर्चित व प्रमुख रही हैं ! लेकिन लिंकन और केनेडी की जिंदगी और हत्या से जुड़े संयोग ऐसे हैं, जो हैरान कर के रख देते हैं, इसके अलावा और ऐसे उदाहरण कहीं खोजे नहीं मिलते !
इतनी समानताएं ! इतने संयोग ! खुद तो खुद साथ में जुड़े लोग, साल, दिन भी वैसी ही विशिष्टता लिए हुए ! हैरान करने वाला है यह सारा सच !
मंगलवार, 29 जुलाई 2025
एक कांवड़ यात्रा दक्षिण में भी
कांवड़ सांसारिक उत्तरदायित्व का प्रतीक है। शिव जी ने हलाहल पान कर सृष्टि की रक्षा की थी और भगवान कार्तिकेय ने देवताओं के सेनापति के रूप में संसार विरोधी ताकतों का शमन कर जगत को भय मुक्त किया था ! शिव और मुरुगन यानी पिता-पुत्र की उपासना से संबंधित ये दोनों यात्राऐं जहां देश की एकजुटता को तो दर्शाती ही हैं, साथ ही साथ सनातन की विशालता और व्यापकता का भी एहसास दिला जाती हैं.........!
#हिन्दी_ब्लागिंग
सावन के पवित्र महीने में उत्तर भारत में हर साल शिव भक्त पदयात्रा कर, सुदूर स्थानों से नदियों का जल ला कर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं ! इस पारंपरिक यात्रा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है। बांस की बनी जिस बंहगी के दोनों सिरों पर जलपात्र लटका कर लाया जाता है उसे कांवड़ कहते हैं !
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कावड़ी यात्रा |
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दक्षिण के कावड़िए |
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पलानी में थाईपुसम उत्सव |
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श्रद्धा व विश्वास |
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आस्था व समर्पण |
कांवड़ सांसारिक उत्तरदायित्व का प्रतीक है। शिव जी ने हलाहल पी कर सृष्टि की रक्षा की थी और भगवान कार्तिकेय ने देवताओं के सेनापति के रूप में संसार विरोधी ताकतों का शमन कर जगत को भय मुक्त किया था ! शिव और मुरुगन यानी पिता-पुत्र की उपासना से संबंधित ये दोनों यात्राऐं जहां देश की एकजुटता को तो दर्शाती ही हैं, साथ ही साथ सनातन की विशालता और व्यापकता का भी एहसास दिला जाती हैं !
@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से
मंगलवार, 22 जुलाई 2025
उपेक्षित जन्मस्थली, रानी लक्ष्मीबाई की
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स्कूल की ईमारत का पृष्ठ भाग |
गुरुवार, 17 जुलाई 2025
सीधी पर अबूझ, शिवशक्ति रेखा
हमारे देश की मिटटी के कण-कण में धार्मिकता व्याप्त है ! जल-थल-पवन-गगन सभी जगहों पर देवत्व की रहस्यमय पर अलौकिक उपस्थिति महसूस की जाती है ! ऐसी ही एक रहस्यमय उपस्थिति है, शिवशक्ति रेखा ! यह कोई भौगोलिक रेखा नहीं है, पर यदि उत्तर के उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर से सुदूर दक्षिण के तमिलनाडु में स्थित रामेश्वरम तक 79* देशांतर की एक रेखा की कल्पना की जाए तो आश्चर्यजनक रूप से उस पर शिव जी के सात मंदिर एक सीध में बने नजर आते हैं, जो सिर्फ संयोग नहीं है.................!
#हिन्दी_ब्लागिंग
जब-जब अपने देश की वे उपलब्धियां जिन्हें हमारे विद्वानों ने प्राचीन काल में ही हासिल कर लिया था, सामने आती हैं तो गर्व से पूरी देह उमग उठती है ! पर इसके साथ ही जब उन मुठ्ठी भर लोगों की कारस्तानियां उजागर होती हैं, जिन्होंने षड्यंत्रवश, अपने छद्म इतिहास में उन खूबियों को स्थान ना दे या उन्हें कल्पित बता, देश के जनमानस को गुमराह किया, हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा रचित ग्रंथों को झुठला कर पीढ़ी-दर-पीढ़ी गलत जानकारियां दीं, तब ऐसा आक्रोश उमड़ता है कि ऐसी हरकत करने वालों को तो सरे राह दंडित किया जाना चाहिए ! दंड भी ऐसा कि उनकी पीढ़ियां याद रखें !
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शिव और शक्ति |
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नम: शिवाय |
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शिवशक्ति रेखा |
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महाकालेश्वर |
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि प्राचीन काल में जब जगहों को जानने का या दिशा बोध का कोई सुगम उपाय नहीं था, तब इन मंदिरों को एक सीध में इसीलिए बनाया गया था, जिससे दर्शनार्थी बिना मार्ग भटके, एक ही दिशा में चलते हुए ज्यादा से ज्यादा मंदिरों के दर्शन कर सकें ! वैसे यह तर्क सही नहीं लगता क्योंकि हमारे देश में कई ऐसी विलक्षण, रहस्यमयी बातें हैं, जिन्हें समझ पाना लगभग नामुमकिन है। उन्हीं में से एक है शिव शक्ति रेखा, गहन रहस्यों से भरी हुई ! भले ही हम उसका रहस्य अभी ना समझ पा रहे हों पर हमें उस पर, उसकी विलक्षणता पर गर्व तो होना ही चाहिए ! पंचभूत
।। ॐ नम: शिवाय ।।
@चित्र तथा संदर्भ हेतु अंतर्जाल का आभार
सोमवार, 7 जुलाई 2025
कांवड़ यात्रा, सृष्टि रूपी शिव की आराधना
इस पवित्र पर कठिन यात्रा में भाग लेने वाले कांवड़िए अपनी पूरी यात्रा के दौरान नंगे पांव, बिना कावंड को नीचे रखे, अपने आराध्य को खुश करने के लिए सात्विक जीवन शैली अपनाए रखते हैं ! यात्रा में तामसिक भोजन, दुर्व्यवहार, कदाचार पूर्णतया निषेद्ध होता है ! यहां तक कि एक-दूसरे का नाम तक नहीं लेते ! सब ''बोल बम'' हो जाते हैं ! शिवमय हो जाते हैं ! उनके बीच का फर्क मिट जाता है ! आपसी एकता, सहयोग, समानता की भावना मजबूत होती है ! पहचान, जाति, वर्ग सब तिरोहित हो जाते हैं ! हर कांवड़िया एक दूसरे का भाई बन जाता है...........!
#हिन्दी_ब्लागिंग
हर साल सावन के पवित्र महीने में शिव भक्त पदयात्रा कर, सुदूर स्थानों से नदियों का जल ला कर अपने निवास के पास के शिव मंदिर में स्थित शिवलिंग का इस माह की चतुर्दशी के दिन जलाभिषेक करते हैं ! कंधे पर जल ला कर भगवान शिव को चढ़ाने की पारम्परिक यात्रा को कांवड़ यात्रा बोला जाता है। कांवड़ का मूल शब्द कांवर है जिसका अर्थ कंधा होता है ! बांस की बनी जिस बंहगी के दोनों सिरों पर जलपात्र लटका कर लाया जाता है उसे कांवड़ तथा जल लाने वाले भक्तों को कांवड़िया कहा जाता है ! इस पूरी यात्रा में कांवड़ को भूमि पर नहीं रखा जाता है ! मुख्यता यह यात्रा हरिद्वार से शुरू होती है ! इस साल यह यात्रा ग्यारह जुलाई से प्रारम्भ हो कर नौ अगस्त तक चलेगी !
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हर की पौड़ी, हरिद्वार |
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यात्रा विश्राम |
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हर-हर महादेव |
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बम-बम भोले |
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गंतव्य के पहले रुकना नहीं |
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भक्ति की शक्ति |
@सभी चित्र और संदर्भ अंतर्जाल के सौजन्य से
विशिष्ट पोस्ट
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विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। हमारे तिरंगे के सम्मान में लिखा गया यह गीत जब भी सुनाई देता है, रोम-रोम पुल्कित हो जाता ...
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"बिजली का तेल" यह क्या होता है ? मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि बिजली के ट्रांस्फार्मरों में जो तेल डाला जाता है वह लगातार ...
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अपनी एक पुरानी डायरी मे यह रोचक प्रसंग मिला, कैसा रहा बताइयेगा :- काफी पुरानी बात है। अंग्रेजों का बोलबाला सारे संसार में क्यूं है? क्य...