यह घातक तो नहीं पर तकलीफदेह जरूर है। कुछ लोग तो इसे बिमारी ही नहीं मानते। जी हां जुकाम, जिसके लिये यदि डाक्टर के पास जायें तो यह तीन दिन में ठीक हो जायेगा। पर यदि कुछ ना भी करें तो तो यह 72 घंटे में ठीक हो जाता है। आप कहेंगें कि यह क्या बात हुई, पर यह सच है कि थोड़े से विश्राम और कुछ घरेलू नुस्खे आजमा लें तो बिना दवाई के भी जुकाम से मुक्ति पायी जा सकती है। वैसे यह बात भी है कि जुकाम के लिये अभी तक कोई कारगर या रामबाण दवा इजाद नहीं हो पायी है।
इसके समान्य लक्षण इस तरह के हैं -
गले में हलकी सी खराश।
बेचैनी, अस्वस्थता महसूस होना, तनाव, आलस्य आदि।
नाक का बंद होना, गले में जकड़न या सूखापन।
पाचन का बिगड़ना।
इसका सबसे अच्छा इलाज है, शरीर को विश्राम देना। इससे इसके किटाणू खुद ब खुद शिथिल पड़ जाते हैं। इसके लिये रोजमर्रा के काम में कमी करें, काम करते-करते बीच में आराम करें, चलते समय शरीर को ढीला छोड़ दें। पेय पदार्थ खासकर फलों का रस अतिरिक्त मात्रा में लें। ये शरीर में रोग-प्रतिरोधी तत्वों को बढाने में सहायक होते हैं। शाम को हल्का भोजन लें तथा जल्दी सोने चले जायें। इसे दूर करने के लिये गोलियां या दवायें लाभ कम और हानि अधिक पहुंचाती है। इसके बदले घरेलू इलाज ज्यादा करगर होते हैं।
इसके लिये गर्म पानी में नींबू का रस और एक चम्मच शहद काफी राहत दिलाता है।
गले की खराश, नाक तथा मांसपेशियों के लिये अदरक मिला गर्म दूध लिया जा सकता है।
काड लिवर आयल का दिन में दो-तीन बार सेवन या लहसुन की कली को निगलने से भी आराम मिलता है।
विश्लेषणों से पाया गया है कि ये सारे पेय गले के 'म्यूकोसल' उतकों में रक्त संचार को बढाते हैं तथा गले की क्षारियता को स्वस्थ अम्लिय स्थिति में बदल कर खराश, जकड़न आदि को दूर करते हैं। जुकाम में शरीर में विटामिन ए की कमी हो जाती है, जिसे दूर करने में काड लिवर आयल बहुत लाभदायक होता है। इसमें विटामिन डी भी होता है जो हमें सूर्य किरणों से मिलता है, लेकिन जाड़ों में लोग ठंड से बचने के लिये ज्यादातर घरों में बंद रहते हैं। जिससे विटामिन डी की कमी हो जाती है। इसीलिये जुकाम अधिकतर जाड़ों में ही होता है। जुकाम में विटामिन सी की भी अहम भूमिका होती है। इसलिये जब जुकाम आता दिखे तब इसकी मात्रा बढा देनी चाहिये। यह हमें नीबूं या आंवले में प्रचूर मात्रा में मिल जाता है।
इस तरह उपयुक्त विश्राम और विटामिनों से शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढा कर जुकाम से मुक्ति पायी जा सकती है।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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11 टिप्पणियां:
बहुत बढिया जानकारी दी। वैसे कहा जाता है कि जुकाम को कभी रोकना नही चाहिए। रोकने से यह दूसरे उपद्र्व शुरू कर देता है।
धन्यवाद, आप को कैसे पता लगा कि मैं परसों रात से ही जुकाम का शिकार हूँ। तकरीबन 48 तो पूरे हो चुके हैं। कल शाम तक इंतजार करता हूँ।
घर की होमियोपैथी दवा ले रहा हूँ।
समयानुकूल जानकारी के लिए आभार.
परमजीत जी,
इसीलिये दवायें या गोलियां लेने से परहेज करने को कहा जाता है।
दिनेशराय जी,
इसे कहते हैं, दिल की आवाज, क्यूं ?
इस सुंदर जानकारी के लिये ...
धन्यवाद
उपयोगी जानकारी देने का शुक्रिया ! आभार !
इस मौसम के लिए बहुत बढ़िया जानकारी दी है आपने धन्यवाद
औषधि से परहेज भला रहता है इस बीमारी में.... अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद।
उपयोगी जानकारी
Mera gale kai dino se kharash h
Subhy subhy kharas ke sath thoda ss khun jesa aa raha 2 din se
Mera gale kai dino se kharash h
Subhy subhy kharas ke sath thoda ss khun jesa aa raha 2 din se
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