अपने रसूख के कारण जिन्होंने एक बार हमारे पुश्तैनी मकान को राजमार्ग का हिस्सा बता गिरवाने की साजिश तक कर दी थी, वो हमारे रिश्ते के ताऊ जी, जिन्होंने बाकायदा ऐलान कर दिया था कि इनके परिवार में संतान की कल्पना भी नहीं की जा सकती, आज उनके मुंह में दही जम गया है ...........!
#हिन्दी_ब्लागिंग
मेरे बेटे का पहला जन्मदिन आने वाला है ! परिवार के सभी सदस्यों, सगे-संबंधियों में अपार उत्साह है ! हर तरह के रीति-रिवाज पूरे विधि-विधान से संपन्न किए जा रहे हैं ! हों भी क्यों ना! वर्षों के बाद ऐसी ख़ुशी प्रभु ने हमें बक्शी है ! हमारे समाजसेवी परिवार की समाज में प्रतिष्ठा है ! लोगों से काफी मेल-जोल है ! इसीलिए शिशु के अन्नप्राशन पर किस-किस को निमंत्रण देना है, इस बात पर जब चर्चा शुरू हुई तो माँ का कहना था कि वर्षों बाद ऐसा शुभ अवसर आया है, सभी जान-पहचान वालों और रिश्तेदारों को न्योता भेजना चाहिए ! हमारे बाबूजी कुछ असमंजस में हैं ! उनको अतीत की घटनाएं और उनसे उपजी वैमनस्यता के कारण लग रहा है कि कुछ लोग नहीं आएंगे !
काफी सालों से हमारी बिरादरी में कुछ लोगों के बीच आपसी अनबन चल रही है ! रिश्तेदारी होते हुए भी एक दूसरे की उन्नति देख लोगों को जलन होने लगती है ! जरा-जरा सी बात पर कोर्ट-कचहरी की नौबत आ जाती है !
मेरी शादी के बाद काफी दिनों तक घर में बच्चे की किलकारी नहीं गूंजने को लेकर तरह-तरह की अफवाहें फैलाई गईं ! पहले तो हमारे कहीं संबंध ही ना हों इसके षड्यंत्र रचे गए, जो बुरी तरह असफल रहे ! फिर हमारे परिवार को लेकर झूठी कहानियां गढ़ी गईं, अफवाहें फैलाई गईं, जिन्हें समझदार लोगों ने सिरे से नकार दिया ! एक लंबे अरसे के बाद पंच परमेश्वर की तरफ से भी हमें न्याय मिला, झूठे मामले-मुकदमें खारिज हो गए और प्रभु की दया से हमारा घर-परिवार खुशहाल होता चला गया !
कुछ समय पश्चात ईश्वर का एक अंश हमारे यहां भी अवतरित हुआ ! बस, फिर क्या था ! इस खबर से हमारे बैरी रिश्तेदारों को तो जैसे सांप सूंघ गया ! हमारी निपूती बुआ तो उसके बारे में सुनते ही पागलों की तरह बिदकने लगी ! अंटसंट कहना उनकी आदत में शुमार हो गया ! बच्चे का कोई जिक्र भी कर दे तो काटने को तैयार ! अपने रसूख के कारण जिन्होंने एक बार हमारे पुश्तैनी मकान को राजमार्ग का हिस्सा बता गिरवाने की साजिश कर दी थी, वो हमारे रिश्ते के ताऊ जी, जिन्होंने बाकायदा ऐलान कर दिया था कि इनके परिवार में संतान की कल्पना भी नहीं की जा सकती, वे आज मुंह में दही जमाए बैठे हैं ! कई और ऐसे हैं, जो रिश्तेदार हमारे हैं पर अपने दोस्तों, जिनसे हमारी नहीं पटती पर उनकी रोजी-रोटी का जरिया हैं, उनको खुश करने की खातिर असमंजस में हैं कि बबुआ के यहां जाएं कि नहीं ! कुछ इस ताक में हैं कि देखें बुलाते भी हैं कि नहीं ! एक हमारा नजदीकी परिवार, बाप कह रहा है कि नहीं जाना है, बेटा कह रहा है मैं तो जाऊंगा ! दो-एक इस परिस्थिति से बचने के लिए काम का बहाना कर शहर ही छोड़ गए ! कुछ अपनी करनियों को याद कर पेशोपेश में हैं कि अब किस मुंह को ले कर जाएं, उन्हें वे तमाम बातें याद आ रही हैं जो हमारे परेशानी भरे दिनों में उन्होंने उगल दी थीं ! तो कुल मिला कर एक बड़ी ही पेचीदा परिस्थिति आन पड़ी है, हमारी बिरादरी के सामने !
पर जो भी हो हम, हमारा परिवार, हमारे हितैषी, हमारे शुभचिंतक परमानंद में हैं ! उधर हमारी माँ घोर आशावादी और क्षमाशील हैं ! उन्होंने कह दिया है, ऐसे शुभ अवसर का निमंत्रण तो सबको जाएगा, जिसे आना हो आएगा, जिसे नहीं आना उसकी इच्छा ! हम अपनी तरफ से कोई शिकायत का मौका नहीं देंगे ! बाकि भगवान सबको सद्बुद्धि दे !