सोमवार, 25 दिसंबर 2023

शनि महाराज, सवालों के घेरे में

सवाल शनि देव पर भी उठता कि क्यों महाराज, आप तो खुद को न्याय का देवता कहलवाते हो ! फिर क्यों इतनी देर लग जाती है दोषियों को दंड मिलने में ? क्यों भ्रष्टाचारियों के दिल नहीं दहलते आपके डर से ? या फिर यह डर, कानून, नियम सब भोले-भाले आम लोगों के लिए ही होते हैं ? उस पर न्याय में विलंब आपके अस्तित्व पर भी तो सवाल उठा देता है ! अच्छा, क्या आपको कुछ अजीब नहीं लगता जब उसी अजीबोगरीब तरीके से आए पैसे से आपकी पूजा-अर्चना होती है, भोग लगता है ? क्या प्रभु आप भी............!!   

#हिन्दी_ब्लागिंग 

शनि देव को न्याय का देवता कहा गया है जो मनुष्यों को उनके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं ! शायद ये अकेले ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा लोग श्रद्धा से कम, डर से ज्यादा करते हैं ! उन्हीं के जन्म स्थान के रूप में प्रसिद्ध है, शिंगणापुर ! जहां की मान्यता है कि इस देव स्थान में यदि कोई चोरी करता है तो वह गांव के बाहर नहीं जा पाता या तो अपनी दृष्टि खो बैठता है या फिर घोर कष्टों में पड़ जाता है ! कहते हैं इसीलिए यहां घरों-दुकानों में दरवाजे नहीं लगाए जाते ! इस देव स्थान का प्रबंधन सुचारु रूप से करने के लिए एक न्यासी बोर्ड का गठन किया गया है जिसका काम यहां के वित्त को व्यवस्थित करने, हितधारकों के हितों को बनाए रखने, परिचालन करने और दिशा-निर्देश में मदद करना है !  

शनि जन्मभूमि, शिंगणापुर 
अब इसी न्यासी बोर्ड के कई ऐसे कारनामे उजागर हुए हैं, जिन्हें इस बोर्ड के सदस्यों ने बिना गांव के बाहर गए, खुले खिड़की दरवाजों के सामने, बिना किसी डर-भय के ''वित्त को व्यवस्थित करते हुए सिर्फ बोर्ड के हितधारकों के हितों को को ध्यान में रख'' अंजाम दिया ! खबर के सामने आने से पता चला है कि न्यासी बोर्ड ने बासठ श्रमिकों की जगह 1800 लोगों को अनौपचारिक रूप से भर्ती कर वेतन में हेरा-फेरी की ! दर्शन की रसीदों में घपला कर करोड़ों का गबन किया ! मंदिर को मिलने वाले दान को एक निजी शिक्षण संस्थान को दिया जाता रहा ! बिजली आपूर्ति पर प्रति माह 40 लाख के डीजल का खर्च दिखाया जाता रहा ! मंदिर के सौंदर्यीकरण पर 50 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद 50 फीसदी ही काम हो पाया है और यह सब लंबे समय से होता आ रहा है ! और वे सब फलते-फूलते रहे न्याय के दरबार में, ठीक न्यायाधीश की नाक के नीचे ! 

अब सवाल शनि देव पर ही उठता कि क्यों महाराज, आप तो खुद को न्याय का देवता कहलवाते हो ! फिर क्यों इतनी देर लग जाती है दोषियों को दंड मिलने में ? क्यों भ्रष्टाचारियों के दिल नहीं दहलते आपके डर से ? कैसे हिम्मत होती है आपके सामने कुकृत्य करने की ? या फिर यह डर, कानून, नियम सब भोले-भाले आम लोगों के लिए ही होते हैं ? खासमखास इससे परे होते हैं ! उस पर न्याय में विलंब आपके अस्तित्व पर भी तो सवाल उठा देता है ! अच्छा, क्या आपको कुछ अजीब नहीं लगता जब उसी अजीबोगरीब तरीके से आए पैसे से आपकी पूजा-अर्चना होती है, भोग लगता है ? 

क्या प्रभु आप भी............!! 

3 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

आभार सुशील जी✨🙏🏻

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

घनश्याम जी
ब्लॉग पर आपका सदा स्वागत है🤗🤗 🙏🏻

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