मंगलवार, 15 जून 2021

मेरी शेव को तो आपकी भाभी तक नोटिस नहीं करतीं

हमें लगता है कि मुझे देख लोग क्या कहेंगे ! अरे कौन से लोग ? दुनिया में कौन है जो पूरी तरह से देवता का रूप ले कर पैदा हुआ है ? हरेक इंसान में कोई ना कोई कमी होती है ! यह जो निर्माता से पैसा लेकर, मीडिया पर अवतरित हो, हमें उल्टी-सीधी चीजें बेचने की कोशिश करते हैं, वे खुद तरह-तरह की पच्चीसों बिमारियों-व्याधियों से घिरे हुए हैं। दुनिया में गोरों की संख्या से कहीं ज्यादा काले, पीले, गेहुएं रंग वालों की आबादी है। एक अच्छी खासी तादाद नाटे लोगों की है। करोंड़ों लोगों का वजन जिंदगी भर पचास का आंकड़ा नहीं छू पाता ! लाखों लोग मोटापे की वजह से ढंग से हिल-ड़ुल नहीं पाते ! गंजेपन से तंग-हार कर उसे फैशन ही बना दिया गया है ........................!!

#हिन्दी_ब्लागिंग      

मेरे  मित्र त्यागराजनजी बहुत सीधे, दुनियादारी से परे एक सरल ह्रदय और खुशदिल इंसान हैं। किसी पर भी शक, शुबहा, अविश्वास करना तो उन्होंने जैसे सीखा ही नहीं है। अक्सर अपने-अपने काम से लौटने के बाद हम संध्या समय चाय-बिस्कुट के साथ अपने सुख-दुख बांटते हुए दुनिया जहान को समेटते रहते हैं। पर कल जब वह आए तो कुछ अनमने से लग रहे थे ! जैसे कुछ बोलना चाहते हों पर झिझक रहे हों ! मैंने पूछा कि क्या बात है ? कुछ परेशान से लग रहे हैं ! वे बोले, नहीं ऐसी कोई बात नहीं है ! मैंने कहा, कुछ तो है, जो आप मूड़ में नहीं हैं। वे धीरे से मुस्कुराए और बोले, कोई गंभीर बात नहीं है, बस ऐसे ही कुछ उल्टे-सीधे, बेतुके से विचार बेवजह भरमाए हुए हैं। सुनोगे तो आप बोलोगे कि पता नहीं आज कैसी बच्चों जैसी बातें कर रहा हूं ! मैंने कहा, अरे, त्यागराजन जी हमारे बीच ऐसी औपचारिकता कहां से आ गई ! जो भी है खुल कर कहिए ! क्या बात है। 

थोड़ा सा प्रकृतिस्ठ हो वे बोले, टी.वी. में दिन भर इतने सारे विज्ञापन आते रहते हैं, तरह-तरह के दावों के साथ ! जिनमें से अधिकतर गले से नहीं उतरते ! जबकि उनमें से अधिकांश को कोई सेलेब्रिटी या समाज के शिखर पर बैठी बड़ी-बड़ी हस्तियां पेश करती हैं। अपने दावों का सच तो प्रस्तुत करने वाले भी जानते ही होंगे ! फिर उनकी क्या मजबूरी है जो आम आदमी को गलत संदेश दे उसे भ्रमित करते रहते हैं ! ना उन्हें पैसे की कमी है, ना हीं शोहरत की ! फिर क्यूं वे ऐसा करते हैं ? अब जैसे मैं एक क्रीम शाहरूख के समझाने से वर्षों से लगा रहा हूँ ! पर मेरा रंग वैसे का वैसा ही सांवला है। मुझे लगा कि इतना बड़ा हीरो है, झूठ थोड़े ही बोलेगा मेरी स्किन में ही कोई गड़बड़ी होगी ! 

क्या कभी आपने परफ्यूम लगाए किसी ऐंड़-बैंड़ छोकरे के पीछे बदहवास सी कन्याओं को दौड़ते देखा है ? अरे, महिलाएं बेवकूफ नहीं होतीं, उनमें पुरुषों से ज्यादा शऊर, सलीका व मर्यादा होती है ! अच्छे-बुरे की पहचान युवकों से ज्यादा होती है  

मैं अपनी हंसी दबा कर बोला, क्या महाराज, आप भी किसकी बातों में आ गए ! अरे, वहां सब पैसों का खेल है ! उनकी कीमत चुकाओ और कुछ भी करवा या बुलवा लो ! उसकी बातों में सच्चाई होती तो उस क्रीम के निर्माता अपनी फैक्टरी अफ्रीका में लगाए बैठे होते, जहां चौबिसों घंटे बारहों महीने लगातार उत्पादन कर भी वे वहां की जरूरत पूरी नहीं कर पाते, पर करोंड़ों कमा रहे होते। 

त्यागराजन जी कुछ उत्साहित हो बोले, वही तो ! मैं समझ तो रहा था, पर ड़ाउट क्लियर करना चाहता था। जैसे मैं एक बहु-विज्ञापित ब्लेड़ से दाढी बनाते आ रहा हूं ! शेव करने के बाद बाहर किसी कन्या की तो बात ही छोड़िए, आपकी भाभी तक ने भी कभी नोटिस नहीं किया कि मैंने शेव बनाई भी है कि नहीं ! पर उधर इस ब्लेड के विज्ञापन में शेव बनने की देर है, कन्या हाजिर। वैसे आप तो मुझे जानते ही हैं कि यदि ऐसा कोई हादसा मेरे शेव करने पर होता तो मैं तो शेव बनाना ही बंद कर देता।  

मैं बोला, यह सब बाजार की तिकड़में हैं ! जिनमें रत्ती भर भी सच्चाई नहीं होने पर भी लोग बेवकूफ बनते रहते हैं। इनका निशाना खासकर युवा वर्ग होता है। आप ही एक बात बताईए, आप अपने काम के सिलसिले में इतना घूमते हैं ! हर छोटे-बड़े शहर में आपका आना-जाना होता है, पर क्या कभी आपने परफ्यूम लगाए किसी ऐंड़-बैंड़ छोकरे के पीछे बदहवास सी कन्याओं को दौड़ते देखा है ? अरे, महिलाएं बेवकूफ नहीं होतीं, उनमें पुरुषों से ज्यादा शऊर, सलीका व मर्यादा होती है ! अच्छे-बुरे की पहचान भी युवकों से कहीं ज्यादा होती है ! मुझे तो आश्चर्य है कि महिलाओं की प्रगति की बात करने वाले किसी भी संगठन ने ऐसे घटिया विज्ञापनों और उनके बनाने वालों पर तुरंत कार्यवाही क्यों नहीं की ! 

अच्छा एक बात बताईए ! आप भाभीजी के साथ साड़ी वगैरह तो लेने गये होंगे ? कभी किसी भी दुकान में विक्रेता को इन विज्ञापनों की तरह लटके-झटकों के साथ साड़ी बेचते देखा है ? कभी किसी बीमा एंजेंट को बस या ट्रेन में बीमा पालिसी बेचते देखा है ? किसी भी पैथी की दवा खा कर कोई शतायू हो सका है ? किसी पेय को पी कर किसी बच्चे को ताड़ सा लंबा, बलवान या कुशाग्र बनते देखा है ? किसी भी डिटर्जेंट से नए कपडे जैसी सफाई हो पाती है ? सारे कीट नाशक, साबुन, हैण्ड वाश अपने 99.9 वाले दावे से कानून से क्यूँ और कैसे बचे रह जाते हैं ? यह सब सिर्फ बाजार के इंसान के दिलो-दिमाग में घर किए बैठे किसी अनहोनी के डर का फायदा उठा अपने अस्तित्व को बचाए रखने की तिकड़में भर हैं !  

हमें सदा अपनी कमजोरियां दिखती हैं ! इसीलिए हम अपनी खूबियों को नजरंदाज करते रहते हैं। हमें लगता है कि मैं ऐसा हूं तो लोग क्या कहेंगे ! अरे कौन से लोग ? किसे फुरसत है किसी को देखने, आंकने की ! वैसे भी दुनिया में कौन ऐसा है जो पूरी तरह से देवता का रूप ले कर पैदा हुआ हो बिना किसी खामी के ? हरेक इंसान में कोई ना कोई कमी होती ही है ! यह जो निर्माता से पैसा लेकर, मीडिया पर अवतरित हो, उल्टी-सीधी चीजें हमें बेचने की कोशिश करते हैं, वे खुद तरह-तरह की पच्चीसों बिमारियों-व्याधियों से घिरे हुए हैं ! दुनिया में गोरों की संख्या से कहीं ज्यादा काले, पीले, गेहुएं रंग वालों की तादाद है। एक अच्छी खासी तादाद नाटे लोगों की है। करोंड़ों लोगों का वजन जिंदगी भर पचास का आंकड़ा नहीं छू पाता। लाखों लोग मोटापे की वजह से ढंग से हिल-ड़ुल नहीं पाते ! गंजेपन से तंग-हार कर उसे फैशन ही बना दिया गया है........! 

अब आप जरा अपनी ओर देखिए ! इस उम्र में आज भी आप पांच-सात कि.मी. चलने के बावजूद थकान महसूस नहीं करते ! किसी शारीरिक व्याधि से कोसों दूर हैं। छूट-पुट समस्या को छोड़ दें तो दवा-दारु और उसके खर्चों से बचे हुए हैं ! अपने सारे काम बिना सहायक के पूरे करने में सक्षम हैं ! यह भी तो भगवान की अनमोल देन है आपको ! आप जो हैं खुद में एक मिसाल हैं, अपने लिए ! इन टंटों में ना पड़ मस्त रहिए ! खुश और बिंदास होकर प्रभू द्वारा दी गई जिंदगी का आनंद लीजिए। 

मेरे इतने लंबे भाषण से त्यागराजनजी को कुछ-कुछ रिलैक्स होता देख मैंने अंदर की ओर आवाज लगाई कि क्या हुआ भाई, आज चाय अभी तक नहीं आई ? तभी श्रीमतीजी चाय की ट्रे लिए नमूदार हो गयीं। चाय का पहला घूंट लेते ही त्यागराजनजी बोल पड़े, भाभीजी यह टीवी पर दिखने वाली वही ताजगी वाली चाय है ना, जिसमें पांच-पांच जड़ी-बूटियां पड़ी होती हैं ?

बहुत रोकते, रोकते भी मेरा ठहाका निकल ही गया ! 


@करीब ग्यारह साल पुरानी रचना, आज भी सामयिक 

22 टिप्‍पणियां:

शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

बहुत बढ़िया लेख।

Kamini Sinha ने कहा…

"भाभीजी यह टीवी पर दिखने वाली वही ताजगी वाली चाय है ना, जिसमें पांच-पांच जड़ी-बूटियां पड़ी होती हैं ?"
ये आखिरी पंक्ति पढ़कर तो मैं भी अपनी हंसी नहीं रोक पाई। बहुत मुश्किल है सर इन सारी बातों से खुद को बचाना। दीमक बन के चाट गया है ये सब लोगो के दिमाग को। कैसे हम इतना मुर्ख हो सकते हैं कि -बिना सोचे-समझे किसी भी बात के झांसे में आ जाये।
आपने बिल्कुल सही कहा-"हम अपनी खूबियों को नजरंदाज करते रहते हैं।" बस खुद को ना देख बाकी सभी जगह नजर होती है हमारी। कहानी के माध्यम से बहुत बड़ी सीख दे दी आपने,सादर नमन

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शिवम जी
हार्दिक आभार

कविता रावत ने कहा…

सपनों के विज्ञापन सपने दिखाकर लूट लेते हैं जनता को हँसते हँसते और जनता भी है कि उनके मोहजाल से बहार निकलना ही नहीं चाहती

बहुत सही

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कामिनी जी
इन लोगों ने तो बच्चों तक को नहीं छोड़ा ! उनका बचपन छीन लिया है ! तीन-चार साल के बच्चों को अपने बाप को मुंह की सफाई और माँ को हेयर कलर के फायदे सुझाते देख, कोफ़्त तो होती ही है बनाने वालों की अक्ल पर भी तरस आता है

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (१६-०६-२०२१) को 'स्मृति में तुम '(चर्चा अंक-४०९७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कविता जी
यही विडंबना है, जानते-बूझते-समझते हुए भी कभी न कभी लोग इस लगातार बहते नाले में गोता खा ही जाते हैं

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अनीता जी
सम्मिलित करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद

Kadam Sharma ने कहा…

Bahut dilchasp tarike se aapne sach ko ukera hai. Sadhuwad

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद, कदम जी

MANOJ KAYAL ने कहा…

चिंतनपूर्ण सटीक चित्रण

Pammi singh'tripti' ने कहा…


आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 16 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

लाजवाब

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मनोज जी
हार्दिक आभार

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

पम्मी जी
सम्मिलित करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी
हार्दिक आभार

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

बहुत ही सारगर्भित विषय पर चुटीला लेखन,शानदार शैली ।

Madhulika Patel ने कहा…

बहुत सटीक एवं सत्य को दर्शाता हुआ लेख,बहुत बढ़िया ।आदरणीय,

Harash Mahajan ने कहा…

अति सुंदर व प्रभावी लेख ।
बधाई ही आदरणीय ।

सादर

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

जिज्ञासा जी
बहुत-बहुत धन्यवाद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मधुलिका जी
हौसलाअफजाई हेतु अनेकानेक धन्यवाद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

हर्ष जी
"कुछ अलग सा" पर सदा स्वागत है आपका

विशिष्ट पोस्ट

इतिहास किसी के प्रति भी दयालु नहीं होता

इतिहास नहीं मानता किन्हीं भावनात्मक बातों को ! यदि वह भी ऐसा करता तो रावण, कंस, चंगेज, स्टालिन, हिटलर जैसे लोगों पर गढ़ी हुई अच्छाईयों की कहा...