युवा पीढ़ी यदि अपने कर्मों से तत्काल फल दे सकती है तो बुजुर्ग अपने अनुभवों की छाया से उन्हें लाभान्वित कर सकते हैं। इसलिए जरुरी है कि इस प्रवृति से बचा जाए। क्योंकि कठिन समय, संकट और मुश्किलात में बुजुर्गों की नसीहत, उनकी बुद्धिमत्ता और उनके अनुभव ही काम आते हैं। शायद ऐसी ही स्थिति के लिए के बालगंगाधर तिलक जी ने कहा था कि "तुम्हें कब क्या करना है, यह बताना बुद्धि का काम है, पर कैसे करना है यह अनुभव ही बता सकता है ''..............!
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''एजिज्म'' यानी आयुवाद या बुजुर्गों के प्रति बढ़ती असहिष्णुता, वृद्धों के प्रति अनुचित व्यवहार ! उनके रहन-सहन, चलने-फिरने, बातचीत करने का मजाक उड़ाना, एजिज्म कहलाता है ! उम्रदराज लोगों को बेकार मानना, यह सोचना कि घूमना, फिरना, शॉपिंग, प्यार, मोहब्बत और नए नए शौक रखना यह सब उनके लिए नहीं हैं ! यानी उम्र की वजह से भेदभाव करना एजिज्म के अंतर्गत आता है ! विश्व में पहले से ही पांव पसार चुकी यह धारणा, भावना या प्रवृत्ति अब धीरे-धीरे हमारे समाज में भी पैठती जा रही है ! वृद्ध लोगों को मुर्ख, व्यर्थ और मन के जड़त्व का पर्याय ठहरा दिया गया है ! युवा लोग काफी गंभीरता से मानने लगे हैं कि एक निश्चित समय के बाद स्मार्ट, पारंगत, सफल व सुंदर होना असंभव होता है !
''हेल्पेज इंडिया'' के एक सर्वे में भारत के बुजुर्गों ने अपने साथ होने वाले तिरस्कार, वित्तीय परेशानी के अलावा मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न जैसे दुर्व्यवहारों की शिकायत की है। सर्वे में शामिल करीब 53 प्रतिशत बुजुर्गों ने बताया कि अस्पताल, बस अड्डों, बसों, बिल भरने और बाजार इत्यादि जगहों में उनके साथ भेदभाव होता है। खासतौर पर अस्पतालों में बुजुर्गों को भेदभाव या बुरे बर्ताव का अधिक सामना करना पड़ता है ! हालांकि अन्य सर्वे के अनुसार भारत में दूसरे देशों के मुकाबले में उम्रदराज लोगों की स्थिति उतनी खराब नहीं है। फिर भी बुजुर्गों के प्रति समाज का दृष्टिकोण बदलने के लिए बुजुर्गों और युवा पीढ़ी को एक साथ मिल कर और आपस में सहयोग बढ़ाना होगा, जिससे दोनों पीढ़ियों को ही लाभ होगा। युवा पीढ़ी यदि अपने कर्मों से तत्काल फल दे सकती है तो बुजुर्ग अपने अनुभवों की छाया से उन्हें लाभान्वित कर सकते हैं। इसलिए जरुरी है कि इस प्रवृति से बचा जाए। क्योंकि कठिन समय, संकट और मुश्किलात में बुजुर्गों की नसीहत, उनकी बुद्धिमत्ता और उनके अनुभव ही काम आते हैं। शायद ऐसी ही स्थिति के लिए के बालगंगाधर तिलक जी ने कहा था कि "तुम्हें कब क्या करना है, यह बताना बुद्धि का काम है, पर कैसे करना है यह अनुभव ही बता सकता है ।''
25 टिप्पणियां:
मीना जी
बहुत-बहुत धन्यवाद
उत्कृष्ट।
मार्ग प्रदर्शित करता पोस्ट।
निश्चय ही हमारे बुजुर्ग हमारे शुभचिंतक मार्गदर्शक हैं।
जिसका अनुसरण करना ही हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने का एकमात्र माध्यम है।
सादर।
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २२ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सधु जी
बिल्कुल सही! परंतु सच्चाई अब कुछ और ही कह रही है
श्वेता जी
सम्मिलित करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद
कुछ अलग। सुन्दर।
हार्दिक आभार, सुशील जी
ज्वलंत समस्या पर बेहतरीन लेख 🌹🙏🌹
उपयोगी और शिक्षाप्रद आलेख।
शरद जी
शायद आजकी डिजिटल तकनीकी भी इसका कुछ ना कुछ कारण है
शास्त्री जी
बहुत-बहुत आभार, स्नेह बना रहे
शर्मा जी...नमस्कार, थोड़ा सा स्वशासन और परिवार का अनुशासन...दोनों को बखूबी बताया आपने कि बुजुर्गोें को और उनके लिए हमें क्या कब कैसे करना है । बहुत खूब
अलकनंदा जी
समय है अभी कि इस प्रवृत्ति को समस्या बनने के पहले ही ख़त्म किया जा सके ! नहीं तो हो सकता है कि आगे चल कर यह विकराल रूप ले ले
बुजुर्गों के पास अनुभव की सम्पदा हैयदि युवा अपना भला चाहें तो उनकी अनुभव सम्पदा से लाभान्वित हो सकते हैं...
बिल्कुल सही कहा आपने वृद्धावस्था में बुद्धि को वाधिक्य से बचाना होगा समय के साथ सभी को तकनीकी जानकारी भी रखनी होगी ताकि पीछे न छूटें...
बहुत ही सारगर्भित लेख।
सुधा जी
प्रतिक्रिया के लिए अनेकानेक धन्यवाद ! सदा स्वागत है, आपका
जानकारीपूर्ण बढ़िया लेख
साधुवाद ...
बेहतरीन प्रस्तुति
वर्षा जी
अनेकानेक धन्यवाद
भारती जी
"कुछ अलग सा" पर सदा स्वागत है आपका
गगन भाई,बुजुर्गो का अनुभव और युवा पीढ़ी का जोश यदि मिल जाए तो ही दोनों पीढियां हंसते हंसाते रह सकती है। विचारणीय आलेख।
सामयिक और एक महत्वपूर्ण विषय पर बहुमूल्य आलेख। प्रस्तुतिकरण बेहद ही शानदार। आपकी हाय से सहमत। आपको ढेरों बधाई सर। सादर।
ज्योति जी
बिल्कुल ! दोनों को ही एक दूसरे को समझने की जरुरत है
वीरेंद्र जी
हौसला बढ़ाने हेतु अनेकानेक धन्यवाद ! सदा स्वागत है, आपका
हमें अपने घर के बुजुर्गों का ही नहीं वरन हर बुजुर्ग से प्रेम और स्नेह भरा व्यवहार करना चाहिए .. हमें समझ नहीं आता परंतु बुजुर्गों की सेवा का फल बड़ा मीठा होता है..हर क्षेत्र में उनके पास अनुभव का भंडार होता है..बस हमें उनके अनुभव को,अनुभव करने की बात है..सारगर्भित लेख..
जिज्ञासा जी
पूर्णतया सहमत!
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