अब ! आप तो स्तब्ध !! कहीं और से भी कुछ इंतजाम नहीं हो सकता ! फोन पर चिल्लाने का भी कोई फायदा नहीं ! हालांकि आपके पैसे वापस मिल जाएंगें ! आप कहीं कम्प्लेन भी दर्ज करवा देंगे ! पर उस समय सर पर आई मुसीबत का क्या ! अच्छे-खासे माहौल-मूड का सत्यानाश ! हार -थक कर वही ब्रेड-बटर, नमकीन और ड्राई फ्रूट ! ये कोई कल्पना नहीं है ! ऐसा होने लगा है आजकल........!
#हिन्दी_ब्लागिंग
कोरोना काल के बाद धीरे-धीरे सप्ताह का हर दिन, अपना महत्व पहले की तरह फिर पाने लगा है। आज रविवार है, तकरीबन साल भर पहले के रविवारों की तरह छुट्टी का दिन ! आप मस्ती के मूड में हैं ! आपने तफरीह के तौर पर या किसी और कारण से अपने इष्ट-मित्र, बंधु-बांधव या प्रियजनों के साथ रात के खाने का प्रोग्राम बना लिया है ! अब पहले की तरह घर पर भोजन बनाने का चलन तो रहा नहीं, सो आपने भी किसी ''ईटरी'' को अपने पसंदीदा भोजन का ऑर्डर दे दिया है और उसने भी तयशुदा समय पर सब चीजें पहुँचाने का आश्वासन दे आपको निश्चित कर दिया है ! सब आपके चाहेनुसार हो रहा है।
अब ! आप तो स्तब्ध !! कहीं और से भी कुछ इंतजाम नहीं हो सकता ! फोन पर चिल्लाने का भी कोई फायदा नहीं ! हालांकि आपके पैसे वापस मिल जाएंगें ! आप कहीं कम्प्लेन भी दर्ज करवा देंगे ! पर उस समय सर पर आई मुसीबत का क्या ! अच्छे-खासे माहौल-मूड का सत्यानाश ! हार-थक कर वही ब्रेड-बटर, नमकीन और ड्राई फ्रूट ! ये कोई कल्पना नहीं है ! ऐसा होने लगा है आजकल ! खाने का ऑर्डर कर निश्चिन्त बैठे लोगों को ऐन मौके पर मैसेज मिलता है कि आपका ऑर्डर नहीं पहुँच पा रहा है ! देखिए भुग्तभोगी क्या कह रहे हैं -
1) मिस्टर वर्मा, जनकपुरी, को जब खाना पहुँचना था उस समय फोन आता है कि सर, आपका ऑर्डर नहीं पहुंचा पा रहा हूँ, क्योंकि मेरी बाइक का टायर पंक्चर हो गया है ! जबकि वर्मा जी अपने ऐप पर लोकेशन फाइंडर में गाडी को चलते हुए देख रहे हैं ! शिकायत करने पर उन्हें पैसे तो मिल जाते हैं पर पैसों से पेट को क्या मतलब !
2) मिस्टर सक्सेना, गुरुगाम, को ऐन वक्त पर पता चलता है कि उनके खाने की डिलीवरी नहीं हो सकती क्योंकि डिलीवरी ब्वॉय के पास रेस्त्रां से सामान उठाने के पैसे नहीं थे ! क्योंकि ऑनलाइन पेमेंट ना होने पर सामान ले जाने वाले को पैसे दे कर सामान ले जाना होता है और वह पैसे ग्राहक से लेता है। लो कर लो बात ! ढूँढो फ्रिज में क्या बचा पड़ा है !
3) शर्मा जी तो सकते में आ गए जब उनको सामान पहुंचाने वाले लड़के ने उनसे पेट्रोल के लिए पैसे मांग लिए ! जब उन्होंने कहा कि मैं तो पेमेंट कर चुका हूँ तो उसने एक उपाय भी सुझा दिया। वह कहने लगा कि मैं कंपनी को फोन कर देता हूँ कि आपका खाना गिर गया है, इस तरह आपको पूरा रिफंड मिल जाएगा और उसका आधा आप मुझे दे दीजिएगा ! गजब की स्कीम; खाना भी खाइए और पैसे भी पाइए !
कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर एक डिलीवरी ब्वॉय की हरकत वायरल हुई थी जिसमें वह आर्डर के सामान को खोल उससे अपनी भूख मिटा रहा था ! खाना छीन लिए जाने की बातें भी होने लगीं हैं। ऑर्डर से कुछ कम या ''टुकि'' हुई खाद्य सामग्री की शिकायतें भी आम हो चली हैं। अब इन सब बातों में कितनी सच्चाई है, कितना झूठ और कितनी धूर्तता यह सब खोज का विषय है ! पर यदि आप घर पर बाहर से खाना मंगाने का प्लान बना रहे हैं तो ऐसा कर बिल्कुल निश्चिन्त ना हो जाएं ! उसके साथ प्लान ''बी'' भी तैयार रखें ! क्योंकि आजकल कुछ भी हो सकता है ! हर बात संभव है !
हालांकि इस काम को कर रहे युवक बहुत मेहनती, नम्र, कर्तव्यपरायण व ईमानदार होते हैं। उन पर महानगरों की भीड़-भाड़, जाम रहने वाली सड़कों पर अपनी राह बना, ग्राहक का सामान, नियत और तय समय पर पहुँचाने का भारी तनाव रहता है। उस पर अल सुबह, देर रात, ठंड-गर्मी बरसात हर स्थिति में चलायमान रहना होता है। तिस पर ट्रैफिक पुलिस, ग्राहक और नियोक्ता की नाराजगी का भय भी बना रहता है। ऐसे में कुछ ना कुछ भूल-चूक हो ही जाती है। इन सब बातों का, उन की मजबूरी का, उनके हालातों का हम सब को भी ध्यान रखना और समझना चाहिए।
@संदर्भ व आभार HT City
14 टिप्पणियां:
डिलीवरी में चीजों की हेरा फेरी होना आम बात रहा है। पहले शॉपिंग के सामान में होती थी। फोन की जगह साबुन की टिकिया निकलने की खबरे ही आती थीं तो खाने में गोलमाल।कटना चौंकाती नहीं है। आपने सही कहा प्लान बी होना चाहिए ताकि ऐसी परिस्थितियों में काम चलाने लायक कुछ तो हो।
विकास जी
हर जगह लुटता-पिटता-ठगा जाता सीधा-सादा आम इंसान ही है
जानकारियों से भरपूर सुन्दर पसंग।
शास्त्री जी
हार्दिक आभार
बढ़िया।
धन्यवाद, सुशील जी
विचारणीय मुद्दे पर सार्थक लेखन...
आपका सदा स्वागत है, वर्षा जी
सुविधाओं के साथ इस तरह की अव्यवस्थाएँ आम हो गई हैं सर ! बहुत सुन्दर सृजन ।
मीना जी
अव्यवस्थाओं के साथ-साथ कुटिलताओं का भी समावेश होता चला गया है
बहुत सुंदर और सार्थक सृजन वाह ! बहुत सुंदर कहानी,
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अनिरुद्ध जी
स्वागत है
हर चीज के दो पहलू होते है। अच्छे या बुरे। सुविधा और असुविधा। ऑनलाइन खाना मंगवाना भी ऐसा ही है। कुछ सुविधा तो ढेर सारी असुविधा भी। आपने सही कहा कि प्लान बी तैयार होना चाहिए।
ज्योति जी
हर अच्छाई अपने साथ कुछ न कुछ बुराई तो ले ही आती है! या कहिए हम ही ऐसा करवा डालते हैं
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