आने वाले साल के 366 दिन सब के लिए सुख-शांति और निरोगिता ले कर आएं। सभी को आने वाले समय की शुभकामनाएं !
नए साल पर अमेरिका के न्यूयार्क में टाइम्स स्क्वायर पर 1907 से चले आ रहे दुनिया के सबसे बड़े और मंहगे नव-वर्ष के जश्न पर, जहां एक युगल पर कम से कम 1200 डॉलर का खर्च बैठने के बावजूद, इस ''बॉल ड्रॉप'' आयोजन को देखने लाखों लोग इकट्ठा हो जाते हैं। कुछ लोग तो टॉयलेट्स की कमी को ध्यान में रख ''डायपर्स'' पहन कर ही इस उत्सव में शरीक होते हैं...............!
#हिन्दी_ब्लागिंग
देखते-देखते सर्वमान्य क्रिश्चियन कैलेंडर की दौड़ का समय तक़रीबन पूरा हो गया। एक-दो दिन बाद उसने अपना ''बैटन'' अपने उत्तराधिकारी को पकड़ा देना है। यह दौड़ अनादिकाल से चली आ रही है, अनवरत ! पर ऐसा भी नहीं है कि समय यूँही रीतता, बीतता, खर्च हो जाता हो ! या सिर्फ कैलेंडर, संवत, नाम, अंक आदि ही आते-जाते-बदलते रहते हों ! इस सतत चलने वाली प्रक्रिया के साथ संसार के कुछ अनूठे प्रसंग भी जुड़ते चले जाते हैं, जिनकी जानकारी अपने आप में अनोखी और मजेदार भी है -
1, प्रशांत महासागर में स्थित रिपब्लिक ऑफ किरीबाती नामक द्वीप को यह सौभाग्य प्राप्त है कि वहां दुनिया में सबसे पहले नव-वर्ष का स्वागत किया जाता है।
नए साल पर अमेरिका के न्यूयार्क में टाइम्स स्क्वायर पर 1907 से चले आ रहे दुनिया के सबसे बड़े और मंहगे नव-वर्ष के जश्न पर, जहां एक युगल पर कम से कम 1200 डॉलर का खर्च बैठने के बावजूद, इस ''बॉल ड्रॉप'' आयोजन को देखने लाखों लोग इकट्ठा हो जाते हैं। कुछ लोग तो टॉयलेट्स की कमी को ध्यान में रख ''डायपर्स'' पहन कर ही इस उत्सव में शरीक होते हैं...............!
#हिन्दी_ब्लागिंग
देखते-देखते सर्वमान्य क्रिश्चियन कैलेंडर की दौड़ का समय तक़रीबन पूरा हो गया। एक-दो दिन बाद उसने अपना ''बैटन'' अपने उत्तराधिकारी को पकड़ा देना है। यह दौड़ अनादिकाल से चली आ रही है, अनवरत ! पर ऐसा भी नहीं है कि समय यूँही रीतता, बीतता, खर्च हो जाता हो ! या सिर्फ कैलेंडर, संवत, नाम, अंक आदि ही आते-जाते-बदलते रहते हों ! इस सतत चलने वाली प्रक्रिया के साथ संसार के कुछ अनूठे प्रसंग भी जुड़ते चले जाते हैं, जिनकी जानकारी अपने आप में अनोखी और मजेदार भी है -
2, कहते हैं कि करीब चार हजार साल पहले मेसोपोटामिया में पहली बार नए साल का उत्सव मनाया गया था।
3, कई देशों में अलग-अलग नव-वर्ष की शुरुआत मानी जाती है। पर क्रिश्चियन नव-वर्ष की मान्यता सबसे अधिक है और यह तक़रीबन सारे संसार में मान्य है।
4, हमारा नया साल अंग्रेजी माह के मार्च - अप्रैल में पड़ता है। ग्रंथों के अनुसार जिस दिन सृष्टि का चक्र प्रथम बार विधाता ने प्रवर्तित किया, उस दिन चैत्र शुदी 1, रविवार था। उसी दिन से हमारे यहां नए साल की शुरुआत होती है। जब कहीं धूल-धक्कड़ नहीं, गंदगी-कीच नहीं, बाहर-भीतर जमीन-आसमान सब जगह स्नानोपरांत जैसी शुद्धता। शायद इसीलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने किसान को भी सबसे ज्यादा सुहाते इस मौसम से कल गणना की शुरूआत की होगी। भारत मे सभी शासकीय और अशासकीय कार्य तथा वित्त वर्ष भी अप्रैल (चैत्र) मास से प्रारम्भ होता है।
5, सम्राट जूलियस सीजर ने 46 ईसा पूर्व एक जनवरी को साल का पहला दिन घोषित किया था।
6, प्राचीन योरोप में दो विपरीत दिशाओं के सर वाले भगवान जानुज को खुशहाली का प्रतीक माना जाता था। इन्हीं के नाम पर जनवरी माह का नामकरण किया गया था।
7, इथोपिया में साल में तेरह महीने होते हैं। इसलिए वहां अभी 2006 ही चल रहा है। वे अपना नव-वर्ष 11 सेप्टेम्बर को मनाते हैं।
8, जापान और कोरिया जैसे कुछ एशियन देशों में बच्चे के जन्म होते ही उसको एक साल का माना जाता है।
9, नए साल पर अमेरिका के न्यूयार्क में टाइम्स स्क्वायर पर 1907 से चले आ रहे दुनिया के सबसे बड़े और मंहगे नव-वर्ष के जश्न पर, जहां एक युगल पर कम से कम 1200 डॉलर का खर्च बैठने के बावजूद, इस ''बॉल ड्रॉप'' आयोजन को देखने लाखों लोग इकट्ठा हो जाते हैं। जबकि तक़रीबन दो करोड़ अमेरिकन इस उत्सव को अपने घरों में बैठ कर देखते हैं, जबकि संसार भर में इसमें रूचि लेने वाले तो अनगिनत हैं।
10, दसियों लाख लोगों की भीड़ को संभालने के लिए हजारों पुलिस तथा सैंकड़ों सफाई कर्मी मुस्तैद रहते हैं। टाइम्स स्क्वायर को पूरी तरह साफ़ करने में 15-16 घंटे का समय लग जाता है।
11, टॉयलेट्स की कमी को ध्यान में रख कुछ लोग तो ''डायपर्स'' पहन कर ही इस उत्सव में शरीक होते हैं।
12, अमेरिका के समोया द्वोप में सबसे आखिर में नए साल का आगाज हो पाता है।
अब इस बदलती तारीखों के बारे में तो यही कहा जा सकता है कि नव-वर्ष अनंत, नव-वर्ष कथा अनंता ! आने वाले साल के 366 दिन सब के लिए सुख-शांति और निरोगिता ले कर आएं। सभी को आने वाले समय की शुभकामनाएं।
@संदर्भ अंतरजाल
3, कई देशों में अलग-अलग नव-वर्ष की शुरुआत मानी जाती है। पर क्रिश्चियन नव-वर्ष की मान्यता सबसे अधिक है और यह तक़रीबन सारे संसार में मान्य है।
4, हमारा नया साल अंग्रेजी माह के मार्च - अप्रैल में पड़ता है। ग्रंथों के अनुसार जिस दिन सृष्टि का चक्र प्रथम बार विधाता ने प्रवर्तित किया, उस दिन चैत्र शुदी 1, रविवार था। उसी दिन से हमारे यहां नए साल की शुरुआत होती है। जब कहीं धूल-धक्कड़ नहीं, गंदगी-कीच नहीं, बाहर-भीतर जमीन-आसमान सब जगह स्नानोपरांत जैसी शुद्धता। शायद इसीलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने किसान को भी सबसे ज्यादा सुहाते इस मौसम से कल गणना की शुरूआत की होगी। भारत मे सभी शासकीय और अशासकीय कार्य तथा वित्त वर्ष भी अप्रैल (चैत्र) मास से प्रारम्भ होता है।
5, सम्राट जूलियस सीजर ने 46 ईसा पूर्व एक जनवरी को साल का पहला दिन घोषित किया था।
6, प्राचीन योरोप में दो विपरीत दिशाओं के सर वाले भगवान जानुज को खुशहाली का प्रतीक माना जाता था। इन्हीं के नाम पर जनवरी माह का नामकरण किया गया था।
7, इथोपिया में साल में तेरह महीने होते हैं। इसलिए वहां अभी 2006 ही चल रहा है। वे अपना नव-वर्ष 11 सेप्टेम्बर को मनाते हैं।
8, जापान और कोरिया जैसे कुछ एशियन देशों में बच्चे के जन्म होते ही उसको एक साल का माना जाता है।
9, नए साल पर अमेरिका के न्यूयार्क में टाइम्स स्क्वायर पर 1907 से चले आ रहे दुनिया के सबसे बड़े और मंहगे नव-वर्ष के जश्न पर, जहां एक युगल पर कम से कम 1200 डॉलर का खर्च बैठने के बावजूद, इस ''बॉल ड्रॉप'' आयोजन को देखने लाखों लोग इकट्ठा हो जाते हैं। जबकि तक़रीबन दो करोड़ अमेरिकन इस उत्सव को अपने घरों में बैठ कर देखते हैं, जबकि संसार भर में इसमें रूचि लेने वाले तो अनगिनत हैं।
10, दसियों लाख लोगों की भीड़ को संभालने के लिए हजारों पुलिस तथा सैंकड़ों सफाई कर्मी मुस्तैद रहते हैं। टाइम्स स्क्वायर को पूरी तरह साफ़ करने में 15-16 घंटे का समय लग जाता है।
11, टॉयलेट्स की कमी को ध्यान में रख कुछ लोग तो ''डायपर्स'' पहन कर ही इस उत्सव में शरीक होते हैं।
12, अमेरिका के समोया द्वोप में सबसे आखिर में नए साल का आगाज हो पाता है।
अब इस बदलती तारीखों के बारे में तो यही कहा जा सकता है कि नव-वर्ष अनंत, नव-वर्ष कथा अनंता ! आने वाले साल के 366 दिन सब के लिए सुख-शांति और निरोगिता ले कर आएं। सभी को आने वाले समय की शुभकामनाएं।
@संदर्भ अंतरजाल