मंगलवार, 15 दिसंबर 2015

यह अल्पज्ञान है या चंटई

अब एक बार तो बाबा रामदेव जी को भी विदेश जाते समय वहां के बारे में पूरा 'होमवर्क' करके जाना पडेगा, क्योंकि उनके बारे में भी प्रचलित है कि उनकी योग कक्षाओं में भाग लेने वाले सुबह की सारी आक्सीजन खींच लेते हैं तभी प्रदूषण की मात्रा में बढ़ोत्तरी हो रही है...       

दशकों पहले जब भाखड़ा डैम का काम चल रहा था तो वहां के विपक्ष के एक नेता ने लोगों को केंद्र सरकार के विरुद्ध उकसाने के लिए कहा था कि "जैसे हम जब दूध से क्रीम निकाल लेते हैं तो वह 'फोका' दूध हमको किसी तरह का पोषण नहीं दे पाता, उसी तरह पंजाब के हर इलाके को पानी देने के नाम पर सरकार तुम्हें धोखा दे रही है, उसने पहले पानी से सारी बिजली निकाल लेनी है और तुम्हें 'फोका' पानी देना है जो तुम्हारी फसलों को बरबाद कर देगा।"           
यह पढ़-सुन कर भले ही हंसी आए और हम सोचें कि हमारे देश के लोग कितने सीधे हैं और कोई भी तिकड़मी इंसान उन्हें बरगला सकता है। पर आज अखबार में अमेरिका के नॉर्थ कैरोलिना के पास वुडलैंड कस्बे से भी एक ऐसी ही खबर पढने को मिली, पर इस बार मुद्दा पानी नहीं सौर ऊर्जा को लेकर था।  वहां वैकल्पिक ऊर्जा के रूप में सौर ऊर्जा के उपयोग की बात चली तो बॉबी मन्न नामक एक भले आदमी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यदि यहां सौर-पैनल लगे तो सारी ऊर्जा तो वही खींच लेंगे, जिससे सारे पेड़-पौधे सूख जाएंगे, काम-धाम पर भी असर पडेगा। इन बॉबी साहब की शैक्षणिक लियाकत के बारे में तो पता नहीं पर वहीँ की विज्ञान की एक अवकाश प्राप्त शिक्षका, ज़ेन मन्न का भी यही कहना था कि सौर-पैनल से फोटोसिंथेसिस की क्रिया धीमी पड़ जाती है जिससे पौधों को पूरा पोषण नहीं मिल पाता और वे मुर्झाने लगते हैं। ये उन्होंने प्रत्यक्ष देखा है। फिर उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि इस तकनीक से कैंसर नहीं होगा क्या कोई यह बतला सकता है ?

अब यह अड़ंगा वे लोग अपने मतलब के लिए लगा रहे हैं या सचमुच अल्पज्ञानी हैं यह तो समय ही बतलाएगा।हमारे यहां तो भाखड़ा डैम ने पंजाब-हरियाणा की तस्वीर बदल दी थी पर वहाँ सौर-फ़ार्म लगाने वाली कंपनी की हिम्मत तो जवाब दे गयी है। 

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