सोमवार, 28 दिसंबर 2015

संजय लेक, दिल्ली का एक उभरता पर्यटन स्थल

 इतने बड़े इलाके में पानी और घनी हरियाली के कारण कुछ प्रवासी पक्षी भी यहां अपना बसेरा बनाने आते हैं जो पर्यटकों के लिए एक अलग आकर्षण है। इसी से मिलते-जुलते नाम की एक और झील दक्षिणी दिल्ली के संजय वन में भी है .....


पंचभूतों से बना इंसान चाहे कितना भी भौतिकता में खो जाए, व्यस्त हो जाए पर उसका लगाव प्रकृति से कभी ख़त्म नहीं होता, दिल का कोई कोना कायनात से जुड़ा ही रहता है इसीलिए ज़रा सी हरियाली, ज़रा सा पानी भी उसे अपनी ओर खींचने में सफल हो जाते हैं। अब जब दिल्ली और उसके आस-पास के इलाके में, जहां की आबोहवा खतरे का निशान पार कर चुकी है, वहाँ थोड़ी सी हरियाली भी किसी नेमत से कम नहीं है। ऐसा ही एक इलाका दिल्ली के पूर्वी हिस्से में स्थित है। जिसे 1970 में डी. डी. ए. ने विकसित कर संजय लेक का नाम दिया था।


आज बढ़ते प्रदूषण को मद्देनज़र रखते हुए पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार के इलाके में उपेक्षित पड़ी, करीब 170 एकड़  में फैली उसी मानवनिर्मित संजय लेक और उसके साथ के उपवन को फिर से आकर्षण का केंद्र बनाया जा रहा है। 



   


इसके पुनरुद्धार में बच्चों, युवा और बुजर्गों सभी का ख्याल रखा गया है। जहां बच्चों के लिए झूलों का इंतजाम है वहीँ युवा पिकनिक, नौकायन, फोटोग्राफी इत्यादि का अपना शौक पूरा कर सकते हैं। साथ ही बुजुर्गों की सैर के लिए पैदल-पथ तथा सुरम्य "लैंड-स्केप" के लिए झील के किनारे-किनारे बैठने की सुविधा का भी ध्यान रखा गया है। प्रकृति प्रेमी झील के दूसरी तरफ एकांत में पक्षियों और कायनात की जुगलबंदी का पूरा लुत्फ़ उठा सकते हैं।


शुद्ध हवा-पानी को तरसते दिल्लीवासियों को दूर होने के बावजूद यह जगह अभी से अपनी ओर आकर्षित करने लगी है और अवकाश में भारी संख्या में लोग यहां पिकनिक मनाने या हरियाली का आनंद लेने पहुँचने लगे हैं।  दिल्ली के किसी भी कोने से मेट्रो द्वारा यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। इतने बड़े इलाके में पानी और घनी हरियाली के कारण कुछ प्रवासी पक्षी भी यहां अपना बसेरा बनाते हैं जो यहां आनेवाले पर्यटकों के लिए एक अलग आकर्षण है। 


अभी तो नहीं पर आने वाले समय में यह जगह भी दिल्ली घूमने आने वालों की पर्यटन सूची में अपनी जगह जरूर बना लेगी। जरुरत है ढंग के रख-रखाव की और असामाजिक तत्वों की शिकारगाह बनने से बचाने की।इसी से मिलते-जुलते नाम का एक सरोवर दक्षिणी दिल्ली के संजय वन में भी है, जिसे संजय झील के नाम से जाना जाता है। पर वह अलग है।  

5 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर जानकारी ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी,
स्वागत है।

कविता रावत ने कहा…

और जरुरत है संजय झील को सजाने संवारने की ...मुझे भी अच्छा लगा उसका बदलता नया स्वरुप ...मेरे ससुराल के पास है कभी-कभी वहां आना-जाना लगा रहता है ..
बहुत अच्छा लगी जानकारी ..

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

सुन्दर जानकारी.....बेहद प्रभावशाली......बहुत बहुत बधाई.....

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ऐसी और भी जगहें विकसित हों तो पर्यावरण भी कुछ सुधरे

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