एक-दो दिन पहले ही मैंने अपने ब्लॉग में विदेशी कंपनियों द्वारा प्रदूषण को ले हमारी जेब पर सेंध लगाने की आशंका जताई थी और इधर यह खबर भी आ गयी। चलिए कोई बात नहीं जेब भले ही कुछ हल्की हो जाए जिंदगी पर कुछ भारी नहीं पड़ना चाहिए
प्रदूषण की गंभीरता पर अब तक के ढुलमुल रवैये पर कोर्ट के डंडे की फटकार से त्रस्त सरकार की हड़बड़ाहटी प्रतिक्रिया से सारी दिल्ली ही जैसे एक बहस में उलझ गयी है। इसी बीच एक अच्छी खबर आई है कि नीदरलैंड के युवा डिजायनर रूजगार्द ने हवा को साफ़ करने की एक तकनीक ईजाद कर ली है जिसकी सहायता से वायु-प्रदूषण 70 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
यह मशीन एक टॉवर के रूप में है जो करीब 7 मीटर ऊंची और लगभग साढ़े तीन मीटर चौडी है।इस स्मॉग फ्री टावर में मौजूद दो प्लेटों में बिजली प्रसारित की जाती है जिससे उनके बीच की हवा चार्ज हो जाती है। जिसके फलस्वरूप धूल और कार्बन के कण इकट्ठा हो जाते हैं। जिन्हें छान कर अलग कर लिया जाता है और साफ़ हवा को बाहर भेज दिया जाता है। इस प्रक्रिया में हर घंटे 1400 वाट बिजली के खर्च पर करीब 30,000 घन मीटर हवा साफ की जा सकती है। प्रयोगों के दौरान इस प्रोजेक्ट द्वारा खुली जगह में हवा को 60 फीसदी तक और बंद जगह में 70 फीसदी तक साफ करने में सफलता प्राप्त कर ली गयी है और इसका कोई विपरीत असर भी नहीं दिखाई दिया है।
प्रदूषण की गंभीरता पर अब तक के ढुलमुल रवैये पर कोर्ट के डंडे की फटकार से त्रस्त सरकार की हड़बड़ाहटी प्रतिक्रिया से सारी दिल्ली ही जैसे एक बहस में उलझ गयी है। इसी बीच एक अच्छी खबर आई है कि नीदरलैंड के युवा डिजायनर रूजगार्द ने हवा को साफ़ करने की एक तकनीक ईजाद कर ली है जिसकी सहायता से वायु-प्रदूषण 70 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
यह मशीन एक टॉवर के रूप में है जो करीब 7 मीटर ऊंची और लगभग साढ़े तीन मीटर चौडी है।इस स्मॉग फ्री टावर में मौजूद दो प्लेटों में बिजली प्रसारित की जाती है जिससे उनके बीच की हवा चार्ज हो जाती है। जिसके फलस्वरूप धूल और कार्बन के कण इकट्ठा हो जाते हैं। जिन्हें छान कर अलग कर लिया जाता है और साफ़ हवा को बाहर भेज दिया जाता है। इस प्रक्रिया में हर घंटे 1400 वाट बिजली के खर्च पर करीब 30,000 घन मीटर हवा साफ की जा सकती है। प्रयोगों के दौरान इस प्रोजेक्ट द्वारा खुली जगह में हवा को 60 फीसदी तक और बंद जगह में 70 फीसदी तक साफ करने में सफलता प्राप्त कर ली गयी है और इसका कोई विपरीत असर भी नहीं दिखाई दिया है।
रूजगार्द ने इसे इसी साल तैयार किया है। जिसको वे सबसे पहले चीन के सबसे प्रदूषित शहर बीजिंग में लगाना चाहते हैं। उसके बाद शायद मुंबई और फिर दिल्ली का नंबर आए। जैसी की खबर है इस बारे में बात-चीत चल रही है।
पर इसकी कीमत के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है।
एक-दो दिन पहले ही मैंने अपने ब्लॉग में विदेशी कंपनियों द्वारा प्रदूषण को ले हमारी जेब पर सेंध लगाने की आशंका जताई थी और इधर यह खबर भी आ गयी। चलिए कोई बात नहीं जेब भले ही कुछ हल्की हो जाए जिंदगी पर कुछ भारी नहीं पड़ना चाहिए।
1 टिप्पणी:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (12-12-2015) को "सहिष्णु देश का नागरिक" (चर्चा अंक-2188) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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