शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

१९९७ में इंद्रकुमार गुजराल और २०११ में मनमोहन सिंह, वर्षों का फासला पर ब्यान बिलकुल एक जैसे !!!

एक अजब संयोग - आज पुराने पन्ने पलटते हुए एक विचित्र जानकारी हाथ लगी, आप भी पढ कर देखें और माने कि इतिहास अपने को दोहराता है। साल 1997, अगस्त के अंतिम सप्ताह मे संसद का विशेष अधिवेशन बुलाया गया था। नेता तो हर काल मे नेता ही होता है। उस समय भी हर नेता ने लंबे-चौड़े भाषण दिए खुद को पाक-साफ बताया और कहा कि देश की यह चिंताजनक हालत रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार है इससे हमें मुक्ति पानी है। उस समय देश के प्रधान मंत्री थे इंद्र कुमार गुजराल साहब। उन्होंने क्या कहा था, जरा गौर फरमाएं - "देश में भ्रष्टाचार है, लेकिन मैं विवश हूँ और शर्मिंदा हूँ। लोकसभा अध्यक्ष श्री संगमा ने कहा कि "मुझे शर्म आती है कि हमारा देश रिश्वतखोरी में डूबा हुआ है।" इसके जवाब में श्री चंद्रशेखर ने जोरदार शब्दों में कहा था "जब प्रधान मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष कहते हैं कि हम विवश हैं और हमें देश की हालत पर शर्म आती है तो उन्हें पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।" अजीब संयोग है, बिल्कुल ऐसे ही हालात और वैसे ही ब्यान आज भी दिए जा रहे हैं। उस समय चंद्रशेखर जी ने स्पष्ट कहा था कि जब सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर बैठे इंसान, जिसके हाथ में कानून और सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वही यदि अपने को पाक-साफ सिद्ध करने के लिए भ्रष्टाचारियों के सामने खुद को विवश बता, आंसू बहा जनता की हमदर्दी हासिल करना चाहे तो जनता का मनोबल तो गिरेगा ही देश की अस्मिता को भी ठेस पहुंचेगी।

5 टिप्‍पणियां:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

कमाल है साहब ... बिलकुल सटीक चीज़ खोज लाये है आप !

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

इतिहास वाकई दोहराता है...

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

एक संयोग यह भी है कि दोनो अधिकारी रह चुके है।
एक और संयोग शायद यह भी है कि दोनों का जन्म पाकिस्तान[पहले हिंदुस्तान] में हुआ था:)

Bharat Wasi ने कहा…

क्या यह भी संयोग ही है कि दोनों को अपनी छवि बेदाग रखने की ज्यादा चिंता रही ?

Chetan Sharma ने कहा…

Wah janab, kahan se dhuund laae aisi nayab khabar?

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