दफ्तर जाने के पहले रवि रोज की तरह अपने बिमार पिता के कमरे में गया। पिता रोज की तरह आंखें बंद किए पड़े थे। दरवाजे से ही मुड़ कर वह अपने काम पर चल दिया।
अभी दफ्तर पहुंचा ही था कि पत्नि जया का फोन आ गया, पिताजी नहीं रहे। रवि जड़ सा रह गया। क्षण भर में ही सारे दफ्तर में खबर फैल गयी। लोग सांत्वना देने लगे। वह उठा कार निकाली और घर की ओर चल पड़ा। शरीर गाड़ी में बैठा था पर दिमाग भविष्य की सोच कर उलझन मेँ पड़ा हुआ था।
क्या सचमुच पिताजी चल बसे। साल दो साल और रह जाते तो........
उनकी बिमारी के बहाने ही तो इस बड़े शहर में तबादला करवा पाया था। आते ही उन्हीं के कारण फोन, गैस इत्यादि का कनेक्शन भी तुरंत मिल गया था। गाहे-बगाहे घर के या और किसी निजि काम के लिए उनकी बिमारी के बहाने छुट्टी मिल जाया करती थी। दफ्तर में जाने में देर सबेर हो जाने पर भी पिताजी ही काम आते थे और तो और इतने बड़े शहर में इस मंहगाई के जमाने में अपनी और बच्चों की अनाप-शनाप मांगों को पूरा करने के लिए उनकी पेंशन का जो सहारा था वह भी गया।
हे भगवान अब क्या होगा ?
रवि पिता के सिरहाने खड़ा फूट-फूट कर रो रहा था।
अभी दफ्तर पहुंचा ही था कि पत्नि जया का फोन आ गया, पिताजी नहीं रहे। रवि जड़ सा रह गया। क्षण भर में ही सारे दफ्तर में खबर फैल गयी। लोग सांत्वना देने लगे। वह उठा कार निकाली और घर की ओर चल पड़ा। शरीर गाड़ी में बैठा था पर दिमाग भविष्य की सोच कर उलझन मेँ पड़ा हुआ था।
क्या सचमुच पिताजी चल बसे। साल दो साल और रह जाते तो........
उनकी बिमारी के बहाने ही तो इस बड़े शहर में तबादला करवा पाया था। आते ही उन्हीं के कारण फोन, गैस इत्यादि का कनेक्शन भी तुरंत मिल गया था। गाहे-बगाहे घर के या और किसी निजि काम के लिए उनकी बिमारी के बहाने छुट्टी मिल जाया करती थी। दफ्तर में जाने में देर सबेर हो जाने पर भी पिताजी ही काम आते थे और तो और इतने बड़े शहर में इस मंहगाई के जमाने में अपनी और बच्चों की अनाप-शनाप मांगों को पूरा करने के लिए उनकी पेंशन का जो सहारा था वह भी गया।
हे भगवान अब क्या होगा ?
रवि पिता के सिरहाने खड़ा फूट-फूट कर रो रहा था।
10 टिप्पणियां:
कमीना बेटा....
Potential gold mines found in Kerala!!!!
बेचारा ............
बिल्कुल सच बया करती कहानी है | कई बार लोग ऐसा ही सोचते है |
छी; ---बेटे की ऐसी मानसिकता ! इससे तो हम बे -ओलाद
ही रहे |
जी
आज़कल बाबूजी लोगों की दशा ऐसी ही हो रही है
हम आप देखेंगे रवि जैसे लोगों का कल एडि़यां रगड़ रगड़ के... खैर छोड़िये
bahut achha..
meri kavita dekhte rahe aur upyukt raay de..
www.pradip13m.blogspot.com
कपूत कहिये……………आज का कडवा सच्।
वर्तमान युग की वास्तविकताओं के शब्दशः करीब...
बूढे पिता के मायने यह भी
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