हिमाचल का मणिकर्ण वह दिव्य स्थान है जो भगवान शंकर को अत्यधिक प्रिय है। पुराणों के अनुसार शिवजी तथा माता पार्वती ने अपने विवाह के पश्चात 11000 वर्षों तक यहां रमण किया था। भोले भंडारी को तो यह अलौकिक स्थान इतना प्रिय रहा कि उन्होंने काशी में भी अपने स्थान का नाम "मणिकर्णिका" घाट रखा।
इसी मणिकर्ण में श्रीरामजी का एक प्राचीन और अद्भुत मंदिर है। जहां दूर-दूर से लोग आ अपनी मनोकामनायें पूर्ण करते हैं। इस मंदिर के निर्माण की भी एक रोचक कथा है।
सोलहवीं शताब्दी की बात है। हिमाचल के मणिकर्ण इलाके में एक गरीब ब्राह्मण रहा करता था। उस समय कुल्लू प्रदेश के राजा जगत सिंह के कान किसी ने उस ब्राह्मण के खिलाफ यह कह कर भर दिये कि उसके पास अनमोल मोती हैं, जो कि राजकोष में होने चाहिये। ब्राह्मण ने राजा को समझाने की लाख कोशिश की कि उसके पास ऐसा कुछ भी नहीं है, पर राजा ने उसकी एक ना सुनी और तीन दिन के अंदर मोती पेश करने का हुक्म सुना दिया।
लाचार ब्राह्मण ने राजकोप से ड़र कर परिवार समेत आत्महत्या कर ली। तब राजा की आंख खुली। ब्रह्महत्या के कारण उसकी रातों की नींद हराम हो गयी। उसे अपने भोजन में कीड़े नजर आने लगे। यहां तक की वह असाध्य रोग का शिका हो गया। जब कोई हल नहीं निकला तब राजा एक महत्माजी की शरण में गया। उन्होंने उसे अयोध्या से श्रीरामजी की मुर्ती ला वहां स्थापित कर अपना सारा राज-पाट रघुनाथजी को अर्पण कर खुद उनका प्रतिनिधि बन राज करने को कहा। राजा ने वैसा ही किया और अपने जीवन के शेष दिन श्रीरामजी के चरणों में काट वहीं अपने प्राण त्यागे।
वह मंदिर आज भी मणिकर्ण में है। जहां दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने आते हैं। राजा जगत सिंह के वशंज अब भी अपनी परंपरा निभाते हुए रघुनाथजी की चाकर बन सेवा करते हैं। 1981 में एक मंदिर कमेटी का गठन किया गया जो दुनिया भर के श्रद्धालुओं के सहयोग से मंदिर का रख-रखाव तथा यहां आने वाले भक्तों के रहने, खाने की पूरी सुविधा प्रदान करती है।
कभी भी मणिकर्ण जाने का सौभाग्य मिले तो वहां श्रीराम मंदिर और वहीं स्थित गुरुद्वारे का लंगर खाना ना भूलें।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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10 टिप्पणियां:
.... मंदिर दर्शन का अवश्य ही प्रयास किया जायेगा ....बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति !!!
कभी मौका लगा तो जरुर जायेंगे.
बहुत अच्छी जानकारी दी. फोटो लगा दें और अच्छा रहेगा.
हम तो हो आये हैं और फ़ोटो भी आप हमारे कुल्लू मनाली वाले चिट्ठे पर देख सकते हैं, वाकई बहुत अच्छी जगह है।
अच्छी जानकारी!
कभी सुयोग बना तो अवश्य जायेंगे!
बेहतरीन प्रविष्टि । दर्शन की इच्छा हमारी भी है ।
बहुत अच्छी जानकारी दी.
साहब
अब तो जरूर जाऊंगा मणिकर्ण.
पिछले साल योजना बनी थी, लेकिन किसी कारण से लटक गयी.
Bahut useful jankaari dene ke liye aabhar..prayaas nirantar jaari rakhiyega...badhaai!!
अच्छी जानकारी
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