जिन्हें भी क्रिकेट से लगाव होगा वह सचिन की पारी देख निहाल हो गये होंगे। विश्व किर्तीमान पर सीना चौड़ा हो गया होगा। पर इस उतेजना मे धोनी के खेल की तरफ ध्यान नहीं गया होगा ।
48वें ओवर तक सचिन 199 रन बना चुके थे। पर अगला पूरा ओवर धोनी ने खेला। पचासवें ओवर की भी शुरुआत धोनी ने करनी थी। उसने पहली बाल सीमा रेखा के पार भेजी. दूसरी का भी वही हश्र होता यदि सीमा रेखा पर पकड़ ना ली जाती। धोनी ने तो कोई कसर नहीं छोड़ी थी। यदि ऐसा होता और तीसरी बाल पर रन ना बन पाता तो? या एक-दो बाल की हड़-बड़ी में सचिन से एक रन ना बन पाता तो? पूरी आठ बाल धोनी ने अपने पास रखीं, क्या यह ठीक नहीं होता कि पहले दूसरा शतक पूरा करवा लिया जाता?
कुछ भी हो सकता था। जो किर्तीमान बनने वाला था वह अकेले सचिन का नहीं था, उसमें देश का भी नाम जुड़ा हुआ था। तो धोनी महाशय को नहीं चाहिये था कि पहले सचिन को मौका दे किर्तीमान पूरा कर लिया जाए। ऐसा भी नहीं था कि रनों का अकाल पड़ा हुआ था तो उसे प्रमुखता दी जाती।
चलिए अंत भला तो सब भला, पर धोनी के मन में शायद कुछ और ही था।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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14 टिप्पणियां:
?
लेकिन धोनी को भी मालूम था यह रेकॉर्ड न केवल सचिन का है बल्कि देश का भी है
हर किसी के मन में यही बात थी....
दरअसल धोनी से पहले कार्तिक भी ये कारनामा कर चुके हैं...। धोनी के इरादों पर मुझे शक था...।
महेशजी,
नमस्कार।
पूरी आठ बालें इन महाशय ने खेलीं। आठवीं भी बाहर गयी ही थी। फिर कुछ भी हो सकता था।
sehmat jab match daekh rahee thee toh yahii soch rahee thee dhoni kae man mae kyaa haen ? sachin ka record naa baney kahin aesa naa ho jaayae
मुझे तो यह मूया क्रिकेट अच्छा नही लगता शर्मा जी, अब क्या लिखू.... राम राम
हमें भी कुछ समझ नहीं आया था उस समय
पर सचिन का कीर्तिमान बन गया इस खुशी में छोटी बातें नेगलेक्ट की जाये
mai aapase sahamat nahee hoon
kyo ??
ye to mujhe bhee nahee pataa
हो तो कुछ भी सकता था लेकिन धोनी ने जिस सचिन के २०० रन बनने के मौके पर अपनी बहादुरी दिखानी जारी रखी उससे मन उसके लिये खराब हुआ। अगर सचिन के २०० रन न बनते तो बहुत दिन तक धोनी की थू-थू होती!
धोनी को चाहिये तो यह था कि वो सचिन को ये आठ बालें भी खेलने देता तब शायद सचिन दो सौ रन के आगे और काफ़ी रन बना सकते और उनका रिकार्ड और भी बेहतर हो सकता था।
जो भी हो..सही कहा..अंत भला तो सब भला!!
यही बात मैच देखते समयमै अपने बेटे से कह रहा था. पिछली बार जब सचिन १०० नही बनाअ पाया था तब भी ये बात दिमाग मे थी लेकिन उस समय जीतना जरूरी बात थी सचिन का शतक इतना महत्वपूर्ण नही था फिर कार्तिक को तो अपनी योग्यता भी सिद्ध करनी थी लेकिन २०० रन बनना एक सर्वकालीन महान घटना होनी थी और धोनी अपने पूरे जीवन मे इस घतना के समय दूसरे छोर पर खडे होने को ही एक सुनहरी याद के रूप मे रख सकते थे.
बस इस मैच मे धोनी ही ऐसे रहे जिनकी थू थू होनी शुरू हो गयी थी लेकिन बच गये.
मैं इसे ऐसे नहीं लेती। धोनी को मालूम था कि सचिन को केवल एक रन चाहिए। तब तक कोई भी बॉल वे बिगाड़ना नहीं चाह रहे थे। यदि धोनी को अपने स्कोर की इतनी ही चिंता होती तो वे युसुफ की जगह स्वयं आते। लेकिन उन्होंने न केवल एक उभरते हुए खिलाड़ी को अवसर दिया अपितु पॉवर-प्ले में खिलाया। कई बार हम केवल एक ही दृष्टिकोण से देखते हैं तब ऐसा लगता है।
आपसे सहमत नहीं हूँ, सचिन उस समय बिल्कुल थक गये थें और धोनी को पता था कि वह अब बड़े शाट नहीं खेल पायेंगे, और उसकी जरुरत भी नहीं थी सचिन को, उस समय सचिन को १ या २ रन हीं बनाने थे जिसके १ बाल ही काफी था ।
Smt, ajit guptaa & mithileshjii..........
इस कर्मठ इंसान पर फिर थकने की हास्यास्पद सोच!!!
जब सामने एक अनछुया सर्वकालीन रेकार्ड़ बनने को तैयार हो तब थकान का आभास नहीं होता। फिर वह एक रन तो सचिन ने ही बनाना था किसी और ने आकर खाना पूर्ती तो करनी नहीं थी। और धोनी क्या उसे आधे एक घंटे का विश्राम दे रहा था। यदि आपने नाखून काटू, धड़कन बढाऊ मैच देखे हैं तो उनके अंतिम क्षणों में बल्ले/गेंद बाज पर दवाब को महसूस किया है कि नहीं पता नहीं। विरोधी टीम अपना जी-जान लगा देती है उस समय और धोनी महाशय अपना कारनामा सचिन के एक रन के बाद भी दिखा सकते थे। यह कोई गली मौहल्ले का मैच नहीं था कि कभी भी अपनी मर्जी से एक या दो रन बना लिये जायेंगे। आश्चर्य है इतनी जल्दी पहले मैच का अंत भूल गये।
रही युसुफ को पहले भेजने की बात, तो उस समय भी हालात काबू में नहीं थे और युसुफ भी कोई नया खिलाड़ी नहीं है। उस समय तेज रन गति की आवश्यकता थी हो सकता है धोनी को अपने से ज्यादा युसुफ के तेज रन बनाने का भरोसा हो।
चाहे कोई कुछ भी कहे उस स्थिति में सचिन का एक रन बनवा कर ही आगे जैसा चाहे वैसा खेलना बनता था।
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