# बाहर से आए पर्यटक को गाइड ने बताया कि जब अकबर सिर्फ चौदह साल का था तभी उसने बादशाह बन देश पर राज करना शुरु कर दिया था। पर्यटक बोला तुम्हारा देश भी अजीब है, यहां चौदह साल में देश संम्भालने दिया जाता है पर शादी अठ्ठारह साल के पहले नहीं करने दी जाती।
अब तुम्हें क्या बताएं साहब कि घर चलाना देश चलाने से कितना मुश्किल है। गाइड ने जवाब दिया।
# आज सरे आम भरी ट्रेन में एक आदमी एक युवती को चाकू दिखाने लगा।
अरे किसी ने विरोध नहीं किया? इतनी भीड़ में कोई कुछ भी नहीं बोला?
नहीं, सब तमाशा देखते रहे।
तब तो बेचारी ने मजबूरी में अपना पर्स उसके हवाले कर दिया होगा?
नहीं, उसमे से कुछ पैसे निकाल कर चाकू खरीद लिया।
# हां तो बेटा, तुम्हारा खर्च कैसे चलता है?
जी, मेरा तो ऊपर की आमदनी से गुजर-बसर होता है।
क्या कहते हो तुम्हें पता नहीं ऊपर की कमाई कानूनन जुर्म है?
अरे वैसी नहीं, मेरा काम तो पोल पर चढ कर बिजली ठीक करना है।
# अरे! यह क्या कर रहा है?
बटन टांकना सीख रहा हूं।
इसकी क्या जरूरत पड़ गयी, तेरी तो शादी हो गयी है ना?
तभी तो............
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
रविवार, 7 फ़रवरी 2010
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6 टिप्पणियां:
वाह मजा आ गया
बहुत खूब
बढिया हंसिकायें
हा हा! मजेदार!
बहुत लाजवाब.
रामराम.
... मीठे-मीठे हंसगुल्ले!!!!
nice
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