वर्षों से परंपरा रही है हर साल के अंतिम दिन, आने वाले साल को बच्चे के रूप में तथा जाते हुए साल को वृद्ध के रूप में दिखाने की। हर बार इसे देख मन में यह बात उठती रही है कि कोई बच्चा एक साल में ही गज भर की दाढी और झुकी कमर वाला वृद्ध कैसे हो जाता है। हर बार बात आयी-गयी हो जाते थी।
पर इधर फिल्मों ने नयी-नयी बिमारियों को आम आदमी से परिचित करवाया तो अपने भी ज्ञान चक्षु खुले। गहन शोध के बाद यह बात सामने आयी कि यह बिमारी तो "पा" की बिमारी से भी खतरनाक है। "पा" वाली तो फिर भी अपने रोगी को कुछेक साल दे देती है और उससे ग्रसित एक दूसरे के बारे में देख सुन धीरज धरने वाले दस-पांच रोगी मिल भी जाते हैं। पर यह साल दर साल लगने वाली बिमारी एक बार में एक ही को लगती है और उसको समय भी देती है तो कुछ महिनों का। खोज से यह बात भी सामने आयी है कि इस रोग को बढाने में आस-पास के माहौल का भी बहुत बड़ा हाथ होता है। प्रदुषित वातावरण का प्रभाव इस पर जहर का असर करता है।
अब ऐसे माहौल में जहां इंसान ने भगवान को ही बेच खाया है, जहां बेटियां अपने बाप के आश्रय में ही सुरक्षित नहीं हैं, देश की तो दूर रही जहां औलादें अपने मां-बाप को नोच-खसोट कर सड़क पर धकेल देती हों, जहां किसी की भी बहु-बेटी की आबरू पर लोग गिद्ध दृष्टि लगाये रखते हों, जहां चोर, उच्चके, कातिल ही भगवान बनते, बनाये जाते हों, जहां इंसान की करतूतों के आगे शैतान भी पानी भरता हो उस वातावरण में उस माहौल में वह देवतुल्य अच्छा भला निर्दोष बच्चा कैसे साल भर गुजारता होगा वही जानता है। साल भर में ही अपनी ऐसी की तैसी करवा यहां से निजात पा वह भी सुख की सांस लेता होगा।
कुछ किया भी नहीं जा पा रहा है। अब तो यही कामना है कि आज आये इस शिशु को कम से कम पीड़ा का बोध हो। इस नामुराद बिमारी से तो निजात नहीं पा सकता। पर जाते-जाते इसके मुंह पर संतोष की छाया रहे। हमारे प्रति कृतज्ञ रहे कि इसको जितना भी समय मिला उसे हमने शांति और चैन से गुजारने दिया।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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6 टिप्पणियां:
नुतन वर्षाभिनंदन्।
आप को भी सपरिवार नव वर्ष की शुभकामनाएं।
बहुत बढिया लिखा .. आपके और आपके परिवार के लिए भी नववर्ष मंगलमय हो !!
आप को ओर आप के परिवार को नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाए
अच्छा आलेख!!
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-
नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
nav varsh ki shubh kaamnae...
badhai ho aapko...
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