शनिवार, 16 जनवरी 2010

यह कैसे ज्योतिषी हैं

15 जनवरी, सूर्य ग्रहण का दिन। स्टार प्लस ने अपने सारे भविष्य वक्ताओं को इकट्ठा किया हुआ था। वैसे इस चैनल पर अवतरित होने वाले ऐसे पुरुष या महिलाओं के लटके-झटकों को देख आपको भविष्य नहीं फिल्म जगत की याद आने लगती है।
पता नहीं क्या सोच कर वहीं ज्योतिष की सार्थकता को सिद्ध करने का खेल शुरु हो गया। इस चैनल के एक प्रिय ज्योतिषी हैं, जिनको अपनी नुमाइश का बहुत शौक है। वह पर्दे पर किसी को राह दिखाने की बजाय अपनी असहनीय मुद्राओं और हाव भाव को प्रदर्शित करने में ही अपना सारा ध्यान लगाये रहते हैं। उन्होंने उनके सामने पेश किये गये पात्र के बारे में अपना लेखा जोखा पेश कर दिया। सच्चाई जानने के लिये पात्र की पत्नि को फोन द्वारा बात कर जब महाराज के "प्रिडिक्शन" के बारे में बता उनका जवाब जानना चाहा गया तो उस महिला ने सब कुछ सिरे से नकार दिया। हालांकि ज्योतिषि महाराज ने अपनी तरफ से काफी कोशिश की, महिला का उत्तर बदलवाने की पर उसका जवाब नकारात्मक ही रहा। महाराज का चेहरा अपनी हार कबूल ना कर पा रहा था। कुछ देर बाद शायद उन्हें कुछ सूझा और भारतीय नारी, संस्कृति और संस्कारों का सहारा ले बोले कि कोई भी महिला सरेआम अपने पति के साथ अपने अच्छे-बुरे रिश्तों का खूलासा नहीं करना चाहेगी इसीलिये वह मेरी बातों को गलत बता रहीं हैं, वैसे मेरी सारी बातें सही हैं। पर उनका चेहरा कुछ और ही ब्यान कर रहा था।
इसी बीच एक अन्य ज्योतिषि महाराज उस पात्र को उसके अगले महिने होने वाले हाथ, पैर आंखों, लीवर इत्यादि पर आने वाले खतरों का ब्यौरा देने में जुट गये, जैसे ड़रा धमका कर अपनी बात मनवाना चाहते हों।
फिर उसी चैनल की एक चहेती महिला भविष्य वक्ता उठीं और पात्र के अन्य स्त्री से संबंधों का विवरण देने लगीं।
कुल मिला कर ऐसी नौटंकी देख कर मन दुखी होता रहा जहां एक विद्या को सरे आम अपने अहम का विषय बना कर उसका मजाक बनाया जा रहा था। मुझे तो यह सब सोची समझी साजिश का हिस्सा नजर आता है।स्टार जैसे चैनल कहने को ही भारतीय हैं पर इनकी हिंदी भाषा, वह भी कैसी है बतलाने की आवश्यकता नहीं है, को छोड़ कुछ भी ऐसा नहीं है जो हमारी संस्कृति या हमारी परम्पराओं के अनुरूप कुछ कर रहा हो। उल्टे उनका मजाक बनाना या उन्हें गलत सिद्ध करना ही इनका मुख्य उद्देश्य लगता है। जिसका उदाहरण समय-समय पर मिलता व दिखता रहता है।

13 टिप्‍पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

बहुत अच्छी पोस्ट। बधाई!

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

ये चैनल वाले पगला गए हैं।
कुछ का कुछ और कहीं का कहीं
मतलब अब हम पगला गए है।:)

Arvind Mishra ने कहा…

फलित ज्योतिषी का यही यही हश्र होना चाहिए

संगीता पुरी ने कहा…

विदेशी शासन काल और फिर स्‍वतंत्र देश में पाश्‍चात्‍य का अंधानुकरण करनेवाले लोग हर युग में ज्‍योतिषियों का इससे भी बुरा हश्र कर चुके हैं .. पर हमारी सभ्‍यता संस्‍कृति इतनी जल्‍दी समाप्‍त होने वाली नहीं !!

Unknown ने कहा…

बहुत ही अफ़सोस हुआ कल वह खींचतान देख कर........कोई किसी की बात सुनने को तैयार नहीं था। सब अपनी अपनी कहने में लगे हुए थे। इस चक्कर में उनके तो चेहरे दिख गये पर हम दर्शकों को कुछ न मिला .......

आपकी पोस्ट बधाई की पात्र है

संगीता पुरी ने कहा…

ज्‍योतिषियों को झूठा साबित करने के लिए वैज्ञानिक कैसे कैसे हथकंडे इस्‍तेमाल करते हैं .. इसे समझने के लिए यह पोस्‍टपढें !!

Udan Tashtari ने कहा…

देख तमाशा मिडिया का!!

Himanshu Pandey ने कहा…

इन प्रस्तुतियों का क्या मूल्य है, पता नहीं । वाह रे टीवी चैनल्स !

गैरजरूरी बहसें !
सुन्दर प्रविष्टि । आभार ।

राज भाटिय़ा ने कहा…

यह चेनल वाले अपनी सभ्यता भुल चुके है, ओर पश्चिम से भी अभिन्न है, लेकिन अपने को दिखाते माडरन है इस लिये यह ज्योतिषी भी इन के दिमाग की उपज है, सच मै यह पागल हो गये है जिने पता नही की भारतियाता क्या है

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

भूल चुके हैं आज सब ऊँचे दृष्टिकोण।
दृष्टि तो अब खो गई, शेष रह गया कोण।।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ऐसे ही लोगों की कारस्तानियों से कभी विश्व गुरु कहलाने वाले देश को आज पश्चिम की मोहर की जरूरत पड़ने लग गयी है।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

ये मिडिया है मिडिया.

रामराम.

Neha Pathak ने कहा…

maine bhi dekha thaa par jyaada dhyaan se nahi suna saari baato ko kyunki bahas se jyaada comedy lag rahai thi.

विशिष्ट पोस्ट

दीपक, दीपोत्सव का केंद्र

अच्छाई की बुराई पर जीत की जद्दोजहद, अंधेरे और उजाले के सदियों से चले आ रहे महा-समर, निराशा को दूर कर आशा की लौ जलाए रखने की पुरजोर कोशिश ! च...