यह संयोग था या शुभ संकेत आप ही बताईये......................
दिन रविवार, तारीख 24 जनवरी, समय 3.30 अपरान्ह, जगह रायपुर। यादगार क्षण, जब अनिल पुसदकर जी ने छत्तीसगढ में सक्रिय ब्लागर्स की मीटिंग को प्रेस क्लब में संबोधित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
मुझ समेत बहुत सारे सदस्य वहां पहुंचे थे, जो ब्लागर परिवार से तो हैं पर आपस में एक दूसरे को नाम से नहीं काम से पहचानते थे। इन “अनदेखे अपनों” का आपसी परिचय अपने आप में एक ऐसा अनुभव था जिसका आभास वहां उपस्थित रह कर ही पाया जा सकता था।
इसे संयोग कहेंगे या शुभ संकेत कि रायपुर में एक ही समय तरह-तरह के सुंदर और विभिन्न जातियों के फूलों की प्रदर्शिनी और छत्तीसगढ के विभिन्न स्थानों से आए ब्लागर भाईयों का मिलन एक साथ हो रहा था। आशा है जिस तरह सुंदर-सुंदर फूलों ने अपने देखने और चाहने वालों के दिलों को सदा की भांति हर्षाया होगा उसी तरह देश में दूर-दराज बैठे इस मिटिंग पर नजर रखे ब्लाग परिवार के “कजिंस” के दिलों को भी इस आयोजन की सफलता से खुशी महसूस हुई होगी। (कुछ को नहीं भी होती है भाई)
सभा में हर सदस्य को अपनी बात रखने का सुयोग प्राप्त था। बातें खुल कर रखी भी गयीं, सुझाव सामने आए, अड़चनों का जिक्र किया गया। जिसका सार यह निकला कि, * हिंदी ब्लागिंग के बढावे के लिये जो कुछ भी किया जा सके वह किया जाए। * इस सशक्त माध्यम से अपने प्रदेश छत्तीसगढ के बारे में देश के अन्य हिस्सों में रहने वालों के मन में जमी गलत भ्रान्तियों, भावनाओं तथा अनभिज्ञता को दूर किया जाय। * प्रदेश की सही तस्वीर लोगों के सामने लायी जाए। * दुष्प्रचार फैलाने वालों को सही मार्ग दिखाया जाए। * इस परिवार को राजनीति से दूर रखा जाए। क्योंकि समय के साथ-साथ सशक्त होते इस माध्यम का कोई अपने हित के लिये दुरप्रयोग ना कर सके। * मेरी तरह बहुतेरे साथियों की तकनीकी समझ को स्कूल के स्तर से कम से कम महाविद्यालय के स्तर तक ले जाने के लिये कार्यशालाओं का आयोजन नियमित अंतराल पर किया जाए। * और इस तरह के प्रयासों में जो भी “स्पीड ब्रेकर” आएं उनसे मिल-जुल कर पार पाया जाए। यह सारी बातें बहुत ही सौहार्द पूर्ण वातावरण के बीच बहुत शांति और धैर्य से सुनी और कही गयीं।
करीब तीन घण्टे चले इस कार्यक्रम के बाद अनिल जी का मेजबान रूप सामने आया जब उन्होंने बड़े अपनत्व से सभी को अपने फार्म हाउस पर रात्रि भोज के लिये आमंत्रित किया। भोजन तो एक बहाना साबित हुआ, हालांकि दूर-दराज से आए अनेक सदस्य समय की मजबूरी से वहां नहीं जा पाए, पर जो वहं पहुंचे वे तब तक अपनी शुरुआती झिझक से पूर्णतया उबर चुके थे जिसका फायदा यह रहा कि खाने के साथ-साथ एक दूसरे से परिचय और गाढा हुआ, प्रेस क्लब में पीछे छूटी वार्ता फिर जिवंत हो उठी, खुल कर चर्चाएं हुईं, अपने अनुभव बांट कर संबंधों में मजबूती लाते-लाते कब घड़ी की सुईयां ग्यारह बजाने लगीं पता ही नहीं चला। समय देख ना चाहते हुए भी सोमवार के बुखार को याद कर मुझे वहां से उठना पड़ा।
मैं तहे दिल से राजकुमार ग्वालानी जी शुक्रगुजार हूं जिन्होंने वहां से लौटते वक्त मेरा साथ दिया।
आशा है यह शुरुआत एक कारवां की शक्ल जरूर इख्तियार करेगी।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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9 टिप्पणियां:
sanyog kuchh nahi hota, shubh sanket hi he ki ek nai shuruaat hui..., rapat achhi lagi..mitra gan gantantra divas par fale fule...shubhkamnao sahit
बढ़िया रिपोर्ट ...तस्वीरों का इंतज़ार रहेगा
बहुत सुंदर रिपोर्ट दी आप ने इस सम्मेलन की, चित्रो का इंतजार है.
आप को गणतंत्र दिवस की मंगलमय कामना
बहुत सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया भैया.
हम नही आ पाये, आशा है आपसे शीघ्र मुलाकात होगी.
... प्रभावशाली प्रस्तुति !!!!
गगन जी,
अपनों के बीच शुक्रिया जैसी कोई बात नहीं होती है, जब भी वक्त पड़े हम आपके साथ है।
swagat hai aapka hamesha
gagan bhaiyaa,sharmaji nahi kah raha hun,aabhaar aapka./achchi report ke liye
देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ :)
आपके शीर्षक की तरह यह खुशबू चहुँ ओर फैले
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