बार में बंते के साथ बैठा संता उचाट सा था। बंता के बहुत पूछने पर बोला कि यार तेरी भाभी से तंग आ गया हूं, रोज-रोज के क्लेश से जीना मुश्किल हो गया है। जी तो करता है कि उठा कर खिड़की से बाहर फेंक दूं।
तो फेंक दो ना, एक बार में झंझट खत्म होगा। दो पेग चढा चुके बंता ने सलाह दी।
अरे यार, फेंक तो दूं, पर मेरा फ्लैट ग्राउण्ड़ फ्लोर पर है, जब वह फेंकने के बाद अंदर आयेगी तो तुझे तो क्या मुझे भी नहीं पता मेरा क्या होगा।
संता ने सिहरते हुए खुलासा किया।
बाऊजी बार से पूरी तरह टुन्न हो कर बाहर निकले तो गेटकीपर ने सलाम ठोका। बाऊजी ने खुश हो पूछा, आज तक तुम्हें सबसे ज्यादा कितनी टिप मिली है?
हुजुर, सौ रुपये।
अच्छा, यह लो दो सौ रुपये, खुश?
जी साहब। एक जोरदार सलाम के साथ गेटकीपर ने जवाब दिया।
तभी बाऊ जी को कुछ याद आया। उन्होंने पलट कर फिर पूछा, ये सौ रुपये तुम्हें किस कंजूस ने दिये थे?
आपने ही कल दिये थे हुजूर।
प्रवचन करने के बाद पंड़ितजी शराब की बुराईयां बताते हुए बोले कि यह ऐसी चीज है कि यदि पैर से भी छू जाए तो आदमी नरक में जाता है। इतना कह कर उन्होंने संता को इंगित कर पूछा कि हां भाई क्या समझे?
संता ने खड़े हो कर जवाब दिया, पंड़ितजी ऐसी चीज को कोई लात मारेगा तो वह नरक में ही तो जाएगा।
सबेरे-सबेरे पत्नि ने अखबार ला कर पति को दिखाया, लो देखो शराब की कितनी बुराईयां छपी हैं।
अच्छा! कल से बंद। पति ने कहा।
सचमुच शराब बंद? पत्नि ने खुश हो पूछा।
अरे शराब नहीं यह अखबार।
पति ने बुरा सा मुंह बना कर जवाब दिया।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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7 टिप्पणियां:
मजेदार चुटकुले पढ़वाने के लिये धन्यवाद।
हा हा!! अखबार बंद! :)
हा हा हा, जरुर साब! अखबार बंद है।:)
मजेदार । आभार ।
.... सुबह-सुबह चुटकुले...बहुत सुन्दर!!!
सुबह की शुरुआत हास्य के साथ
maza aa gaya
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