प्रभू की असीम कृपा, बड़ों के आशीर्वाद और आप सब के स्नेहाशीष से अपने बड़े पुत्र के विवाह के सारे मंगल कार्य निर्विघ्न रूप से सम्पन्न करवा हम 26 सित. को उज्जैन से वापस आ गये थे। 27 को ही जब मैं पूरा विवरण लिख पोस्ट करने लगा तो सारी बातें किसी अनजानी, अनचाही डाउनलोडिंग के कारण धुल-पुछ गयीं। सो देर हो गयी।
पिछले पूरे महीने से मेरा रक्तचाप सामान्य होने में टालमटोल करता रहा। साथ उज्जैन जाने वालों में पांच, पचहत्तर पार के आदरणीय बुजुर्गों के स्वास्थय, सभी के खान-पान-आराम, सीधी गाड़ी ना होने की वजह से गाड़ियों को बदलना, उनके समय का टकराव, सामान का चढाना-उतारना यह सब सोच-सोच कर दिमाग का दही बना हुआ था। पर इन पांच दिनों में मुझे स्पष्ट एहसास हुआ कि भगवान भोले शंकर सदा मेरे साथ रहे थे। उनकी शक्ति, मेरे छोटे भाई प्रशांत, जो मेरे से 14-15 साल छोटा है, मुझे और अपनी भाभी को तनावग्रस्त देख ऐसे समझाता संभालता रहा जैसे वह मेरा बुजुर्ग हो। उसकी पत्नि, पूनम ने सारे काम जैसे अपने जिम्मे ले रखे थे, यहां और वहां उज्जैन में भी हर छोटे बड़े की छोटी-बड़ी जरूरतों को हर जगह हर वक्त उपस्थित हो इस लड़की ने बिना थके, परेशान हुए पूरा कर किसी को भी शिकायत का मौका नहीं दिया। पूनम के छोटे भाई सुधीर, जिसकी टेलेपैथी का कनेक्शन मुझसे सबसे ज्यादा जुड़ा हुआ है, मेरे कजिन दिवाकरजी, जिन्होंने अपनी सौम्यता से लोगों के दिल में जगह बना ली, उनके अनुज प्रभाकर ने सारे माहौल को खुशगवार बनाये रखा। इनके अलावा नीरज, निहार, अरुण, मेरे अभिन्न मित्र त्यागराजनजी तथा भट्टाचार्यजी और इस गर्मी में कुल्लू से आये जीवनजी तथा कृष्णजी मे समाहित हो किसी भी क्षण को मुश्किल में नहीं बदलने दिया।
साथ के बुजुर्ग जो इस लम्बी यात्रा पर जाने से कतरा रहे थे, लौटने के बाद यही कहते रहे कि ना जाते तो सदा पछतावा ही रहता। भोले भंडारी की कृपा से किसी को राई-रत्ती भी तकलीफ नही हुई। नवरात्रों के बावजूद गाडियों में किसी अवांछित तत्व या बेकाबू भीड़-भाड़ का सामना नहीं करना पड़ा। और तो और अपनी लेट-लतीफी के कारण मशहूर भारतीय रेल हर बार अपने समय से 10-15 मिनट पहले ही हमें मिलती रही, जिससे सामान उतारने-चढाने में कोई दिक्कत पेश नहीं आई।
उज्जैन में भी भगवान महाकाल ने अपने दर्शनों को आतुर अपने भक्तों को खुद से आलिंगनबद्ध होने का भरपूर मौका दिया, अपनी आरती में सम्मलित होने का सौभाग्य प्रदान किया , जिससे सारे लोग गदगद हो प्रभू का गुणगान करते रहे।
इस कारण नहीं कि उज्जैन में श्री अशोकजी से हमारे संबंध बन गये हैं तो मैं ऐसा लिख रहा हूं। सच में इतने विनम्र, सरल ह्रदय, भगवान में अटूट विश्वास रखने वाले परिवार मैंने बहुत कम देखे हैं। अस्सी साल पार करने के बावजूद परिवार के मुखिया दादाजी का सारी स्थियों पर पूरा नियंत्रण था। मेरे बार-बार कहने पर ही उन्होंने आराम करने घर जाना मंजूर किया। पुत्रवधू के चाचा, शिव कुमार जी अपनी अस्वस्थ पत्नि और बच्चे को छोड़ कर पूरा आयोजन सफल बनाने में जुटे रहे। अपनी माताजी की बिमारी के बावजूद सुश्री आरती की छोटी बहन पल्लवी और भाई भानू की कार्यक्षमता को देख कर एहसास हुआ कि बड़े भी उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं। भानू के मित्रों ने भी दिन-रात एक कर रखा था। भगवान इन सारे प्यारे बच्चों को लम्बी उम्र के साथ-साथ जीवन की हर खुशी प्रदान करे, यही मेरी कामना है। बस एक कमी महसूस होती रही, कि उज्जैन जाकर भी चिपलूनकर जी से मिलना नहीं हो पाया। गलती मेरी ही थी, मैने उन्हें तारीख याद नहीं दिलवाई। यह कसक मन में सदा रहेगी।
प्रसंग वश एक बात और बतलाना चाहूंगा। हमारी रिजर्वेशन 90 दिन पहले करवा ली गयी थी। इस कारण कुछ लोगों का चलते समय अचानक कोई जरूरी काम आ जाने की वजह से जाना नहीं हो पाया था। इससे जाते और आते वक्त 6 सीटें खाली थीं हमारे पास। तो सबने खोज-खोज कर अशक्त एवं जरूरतमंदों को उस जगह का लाभ दे दिया। हम सबने महसूस किया कि उनके ह्रदय से दी गयी आशीषों ने भी हमारे सामने किसी अड़चन को फटकने नहीं दिया। एक वृद्ध दंपत्ति, जिनकी तबीयत भी ठीक नहीं थी, टिकट दलाल के धोखे में आ, अपना पैसा और जगह दोनों गंवा चुके थे, ने जाते-जाते हमें अपने आशीर्वाद से सराबोर कर रख दिया।
कहते हैं ना कि सच्चे मन से यदि अपने-आप को प्रभू की शरण में सौंप दिया जाए तो वह तारनहार सुनता जरूर है और कुछ भी अलभ्य नहीं रह जाता। तो कुछ ऐसा ही अनुभव रहा मेरा।
रुकता हूं।
**************
३०.०९.०९
अफरा तफरी में दो दिन और निकल गये। अच्छा ही हुआ। कल आशीर्वाद समारोह में अपने हरदिल अजीज श्री पाबलाजी ने अपनी बिटिया के साथ आ कर मुझे जो खुशी प्रदान की मैं उसका विवरण नहीं कर सकता। अद्भुत क्षण थे वह।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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22 टिप्पणियां:
चलिए इसी बहाने कुछ लोगों से तो मुलाकात हुई।
हार्दिक शुभकामनाएं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
नव ससुरजी को बधाई.
नवदम्पत्ति को हमारी ढेर सारी शुभकामनाएं। नव-ससुर पर आई अधिक जिम्मेदारी को सफ़लतापूर्वक निभाने के लिए शुभकामनाएं:)
शर्मा जी बहुत-बहुत बधाइयाँ!
शर्मा जी,बहुत,बहुत बधाई ।
अहा तो
इस अवसर पर भी
ब्लॉगर मीट
मिलन सदैव सुखद ही रहता है
मिलना सदा दिल का ही गहना है
आशीर्वाद मुझे नव दम्पत्ति को देना है
पहुंचायें और पहुंचाने का पुण्य पायें
इंसानी रिश्ते ज्योति से सदा जगमगायें।
सजीव चित्रण.
इतना महत्वपूर्ण कार्य बाबा महाकाल की कृपा से सकुशल सम्पन्न हो गया इस हेतु आपका भी अभिनन्दन। आपसे मुलाकात न हो सकी, इसका मलाल मुझे भी है, इसमें आपकी कोई गलती नहीं है, मुझे दिनांक याद थी, दिक्कत सिर्फ़ यह हुई कि आपका भेजा हुआ कार्ड कहीं कागजों की भीड़ में रखा गया और इसलिये आपको फ़ोन भी न कर सका…।
दरअसल उस दिन मेरे एक परिचित की मृत्यु हो गई थी और मैं देर शाम श्मशान घाट गया था, इसलिये वहाँ से आने के पश्चात इस मानसिक स्थिति में भी नहीं था कि आपके यहाँ विवाह समारोह में उपस्थित हो सकता। आशा है कि आप मेरी प्राथमिकता और दुविधा को समझेंगे…। अगली बार जब कभी उज्जैन आयें पूर्व सूचना के साथ आईयेगा… आपका स्वागत है। एक बार पुनः नवदंपति को हार्दिक शुभकामनाएं…
आपको ढेरो बधाई एवं नवदंपत्ति को हार्दिक शुभकामनायें.
नवदंपति को हार्दिक शुभकामनाएं.
हार्दिक बधाईयां झी.
रामराम.
बहुत बहुत बधाई !!
गगन जी ..बहुत बहुत बधाई हो आपको और नव दंपत्ति के लिये ढेरों शुभकामनायें..चलिये इस अवसर पर ब्लोग्गर मित्रों की उपस्थिति खुशी को दोगुना कर गयी ..ये जानकर और अच्छा लगा...
हमें तो कुछ पता ही नहीं चला. एक लम्बे अरसे के लिए मुंबई के आस पास रहे. न लिखना हुआ था न कुछ नेट पर देखना. एक दो अवसर मिले भी लेकिन आपके ब्लॉग से ब्लोग्वानी पर मुलाकात न हुई. नव दम्पति को हम सब का आर्शीवाद. आप को बधाईयाँ.
शर्मा जी बहुत-बहुत बधाइयाँ!ओर नव दम्पति को हमारा सब का आर्शीवाद
तो सबने खोज-खोज कर अशक्त एवं जरूरतमंदों को उस जगह का लाभ दे दिया। हम सबने महसूस किया कि उनके ह्रदय से दी गयी आशीषों ने भी हमारे सामने किसी अड़चन को फटकने नहीं दिया।
शायद इसीलिए भोले भंडारी ने भी आप को कोई परेशानी नहीं होने दी.........और समस्त कार्यक्रम बिना किसी व्यवधान के राजी-ख़ुशी संपन्न हुए.
हार्दिक बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
आप सभी को विजया दशमी की शुभकामनाएं तथा आगामी दीपावली के त्यौहार भरे दिनों के लिए , भी तथा परिवार के शुभ प्रसंगपर सब कार्य ठीक से हुआ बहुत अच्छा हुआ -- बधाईयाँ --
बहुत बहुत बधाई
बहुत बहुत बधाई।
vadhiyaan ji vadhiyaan !!
chiploonkar ji ki taraf se main kshama mangat hoon.
Aur bhole bhandari ki tarf se dhanyavaad bhi deta hoon....
;)
बधाई , एक अलग सा शादी वृतांत पढने को मिला . मिठाई बाकी है आप पर
इतना प्रेम, इतना स्नेह, अभिभूत हूं !!!!!
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