एक ही दिन जन्मदिन होने के कारण छोटे कद पर विराट व्यक्तित्व के धनी शास्त्रीजी को वह सम्मान नहीं मिल पाता, जिसके वह हकदार रहे हैं। वैसे भी वह चमकदार मेहराबों के बनिस्पत नींव का पत्थर होना ज्यादा पसंद करते थे। उनकी सादगी को दर्शाते ये दो संस्मरण उस समय के हैं, जब वे प्रधान मंत्री थे।
एक बार देश की एक बड़ी कपहा बनाने वाली कंपनी ने ललिताजी के लिए कुछ सिल्क की साड़ियां उपहार स्वरुप देने की पेशकश की। साड़ियां काफी खुबसूरत तथा मुल्यवान थीं। शास्त्रीजी ने उनकी कीमत पूछी, जब काफी जोर देने पर उन्हें कीमत बताई गयी तो उन्होंने यह कह कर साफ मना कर दिया कि मेरी तन्ख्वाह इतनी नहीं है कि मैं इतनी मंहगी साड़ी ललिताजी के लिए ले सकूं, और अपने निर्णय पर वे अटल रहे।
एक बार उनके बड़े बेटे हरिकिशनजी को एक ख्याति प्राप्त घराने से अच्छे पद का प्रस्ताव मिला, उन्होंने शास्त्रीजी से अनुमती चाही, तो उन्होंने जवाब दिया कि यह नौकरी मेरे प्रधान मंत्री होने के कारण तुम्हें दी जा रही है, यदि तुम समझते हो कि तुम इस पद के साथ न्याय कर पाओगे और तुम इस के लायक हो तो मुझे कोई आपत्ती नहीं है। हरिकिशनजी ने भी वह प्रस्ताव तुरंत नामंजूर कर दिया।इन्हीं आदर्शों की वजह से चाहे अंत समय तक उनका अपना कोई घर नहीं था नही ढ़ंग की गाड़ी थी, पर वे याद किए जाएंगें, जब तक भारत और उसका इतिहास रहेगा।
आज के वंशवादी, सत्ता पिपासु तथाकथित नेता क्या ऐसा सोच भी सकते हैं। जिनमें कुछ एक को छोड़ उनके राज्य के बाहर ही कोई उन्हें नहीं जानता और ना जानना चाहता है।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
ठेका, चाय की दुकान का
यह शै ऐसी है कि इसकी दुकान का नाम दूसरी आम दुकानों की तरह तो रखा नहीं जा सकता, इसलिए बड़े-बड़े अक्षरों में ठेका देसी या अंग्रेजी शराब लिख उसक...
-
कल रात अपने एक राजस्थानी मित्र के चिरंजीव की शादी में जाना हुआ था। बातों ही बातों में पता चला कि राजस्थानी भाषा में पति और पत्नी के लिए अलग...
-
शहद, एक हल्का पीलापन लिये हुए बादामी रंग का गाढ़ा तरल पदार्थ है। वैसे इसका रंग-रूप, इसके छत्ते के लगने वाली जगह और आस-पास के फूलों पर ज्याद...
-
आज हम एक कोहेनूर का जिक्र होते ही भावनाओं में खो जाते हैं। तख्ते ताऊस में तो वैसे सैंकड़ों हीरे जड़े हुए थे। हीरे-जवाहरात तो अपनी जगह, उस ...
-
चलती गाड़ी में अपने शरीर का कोई अंग बाहर न निकालें :) 1, ट्रेन में बैठे श्रीमान जी काफी परेशान थे। बार-बार कसमसा कर पहलू बदल रहे थे। चेहरे...
-
हनुमान जी के चिरंजीवी होने के रहस्य पर से पर्दा उठाने के लिए पिदुरु के आदिवासियों की हनु पुस्तिका आजकल " सेतु एशिया" नामक...
-
युवक अपने बच्चे को हिंदी वर्णमाला के अक्षरों से परिचित करवा रहा था। आजकल के अंग्रेजियत के समय में यह एक दुर्लभ वार्तालाप था सो मेरा स...
-
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। हमारे तिरंगे के सम्मान में लिखा गया यह गीत जब भी सुनाई देता है, रोम-रोम पुल्कित हो जाता ...
-
"बिजली का तेल" यह क्या होता है ? मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि बिजली के ट्रांस्फार्मरों में जो तेल डाला जाता है वह लगातार ...
-
कहते हैं कि विधि का लेख मिटाए नहीं मिटता। कितनों ने कितनी तरह की कोशीशें की पर हुआ वही जो निर्धारित था। राजा लायस और उसकी पत्नी जोकास्टा। ...
-
अपनी एक पुरानी डायरी मे यह रोचक प्रसंग मिला, कैसा रहा बताइयेगा :- काफी पुरानी बात है। अंग्रेजों का बोलबाला सारे संसार में क्यूं है? क्य...
11 टिप्पणियां:
शास्त्री जी का जीवन हमारे लिए हमेशा प्रेरणा स्वरुप रहेगा।
शर्मा जी, आपको बहुत बहुत बधाई और नवदंपत्ति के मंगल जीवन के लिए शुभकामनाएं...|
आज शास्त्री जी की भी जयंती होती है,कितने जानते है ??
भारत माता के सच्चे 'लाल', लाल बहादुर शास्त्री जी को मेरा शत शत नमन !
अच्छा लगा आपने उन्हें याद किया वरना गाँधी जी छाया में लोग अक्सर उन्हें भूल जाते है
भारत माता के ऐसे सच्चे लाल अब कहाँ जन्म लेते हैं ।
भारत के लाल ' शास्त्री जी ' को जयंती के पावन अवसर पर कोटि - कोटि नमन |
नेता हो तो ऎसा हो...
भारत वर्ष के सर्वश्रेस्ट प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी को कोतीसः नमन |
आज कांग्रेस शास्त्री जी को याद तक नहीं करती ... और याद करेजी भी कैसे उन्हें एक गाँधी परिवार से फुर्सत मिले तब ना !!!
बहुत सुन्दर पोस्ट है।
महात्मा गांधी जी और
पं.लालबहादुर शास्त्री जी को
उनके जन्म-दिवस पर
इन दोनों महान विभूतियों को नमन।
शास्त्रीजी की सादगी अतुलनीय रही है ...
वाकई शास्त्री जी की सादगी के अनगिनत संस्मरण हैं. अच्छा है, आपने उनमे से कुछ से अवगत कराया वरना लोग तो उनका जन्मदिन तक भूल जाते हैं.
सयोग है कि दोनो एक ही दिन इस दुनिया मे आये, लेकिन शास्त्री जी की अपनी अलग पहचान है इतिहास मे,
एक टिप्पणी भेजें