शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2009

प्रभू को यहीं क्यों अवतार लेना पङता है ?

बहुत बार यह विचार आता है कि हमारे ही यहां भगवन को अवतार लेने की क्यों जरुरत पड़ती रही है? और भी तो देश हैं, वहां भी तो अच्छे बुरों का जमावड़ा रहता है, वहां भी पाप और पुण्य दोनो फलते-फूलते हैं, तो फिर इसी धरा पर क्यों बार-बार, हर बार पदार्पण करने की जरुरत महसूसती है उन्हें? जबकि बाकि जगह अपने दूत या पैगम्बरों को भेज कर ही उनका काम चल जाता है।

दो ही बातें हो सकती हैं, या तो प्रभू को हमसे जबर्दस्त लगाव और प्यार है, या फिर हम इतने बड़े और भारी पापी हैं कि देवदूतों का बस हमारे ऊपर नहीं चल पाता और खुद ईश्वर को इस भूमि से विपदा दूर करने के लिये तरह-तरह के वेष धर कर आना पड़ता है। बार-बार, हर-बार।

इतने पर भी ना हम सुधरे और नहीं वह थका।

10 टिप्‍पणियां:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

"या फिर हम इतने बड़े और भारी पापी हैं कि देवदूतों का बस हमारे ऊपर नहीं चल पाता और खुद ईश्वर को इस भूमि से विपदा दूर करने के लिये तरह-तरह के वेष धर कर आना पड़ता है। बार-बार, हर-बार।"

शर्मा जी, बदकिस्मती से यही सच है, कोई माने या न माने ! इस देश का सदियों से यह इतिहास रहा कि इसने हर प्राणी को जगह दी और नतीजन सारे कमीने, हरामखोर, चोर, लुटेरे, पोकेटमार, बहसी, कातिल और गिरे हुए लोह[I'm sorry to use these words but its the truth] इसका फायदा उठाकर यही जमा होते चले गए!

राज भाटिय़ा ने कहा…

हो सकता है हमारे यहां अबतार लेना का ठेका ले रखा हो, क्योकि हमारे यहां बहुत से काम ठेके से ही होते ह, दुसरी बात देव दुत पर भरोसा नही हो सकता, शयद रिशवत खा कर गलत सलत लोगो को भी नर्क ओर स्बर्ग मै भेज दे, तीसरी बात युरोप मे तो वेसे ही इन को कोई पुछता, ओर अफ़रिका मै शायद गर्मी बहुत है... ओर भी बहुत से कारण है, अभी लोग आते जायेगे ओर अपने अच्छे अच्छे विचार यहां जरुर लिखेगें.
राम राम जी की

Unknown ने कहा…

भगवान जिस देश को अपने योग्य समझते हैं वहाँ अवतार बन कर प्रकट होते हैं और जिसे अपने लिए अयोग्य समझते हैं वहाँ सिर्फ अपने दूत भेजते हैं स्वयं नहीं प्रकट होते।

P.N. Subramanian ने कहा…

समूह चर्चा के बाद बताते हैं.

Unknown ने कहा…

साधारण सी बात है शर्माजी,

जैसे पैसा पैसे को खींचता है वैसे ही देवता देवता को खींचता है...........

अपने यहाँ भगवानों का बहुमत है ........ इसलिए आत्म सुरक्षा की दृष्टि से भगवान् का यहाँ आना वाजिब है.......

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

शायद इस लिए अवतार यहाँ लेते होगें क्युँकि कोई और देश वाले उनकी सुनेगें ही नही......

Creative Manch ने कहा…

kyonki sabse jyada baklol hamaare hi dedh men paaye jaate rahe hain

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

देवताओं के देश में ही
अवतारों की दाल गल सकती है।

Anil Pusadkar ने कहा…

यही तो वो देश है जंहा,पेड़ भी देवता,नदी भी देवता,जल भी देवता,अग्नि भी देवता,मां देवी तो बाप देवता,और तो और पत्थर भी देवता।देवता भी वंही जाते है जंहा उन्हे मानने वाले मिले,उनके होने या न होने के छिछोरे सवाल न करे।

चाहत ने कहा…

प्रभू वहीं आते हैं जहाँ उन्हें सच्चे दिल की पुकार सुनाइ देती है।
किसी और जगह की पुकार सच्चे दिल से किसी ने की तो प्रभू वहाँ ज़रुर अवतार लेगें।
फिलहाल हमें गर्व महसुस कराना चाहिए कि हमारे ऊपर प्रभू सदा मेहरबान रहते हैं

विशिष्ट पोस्ट

ठेका, चाय की दुकान का

यह शै ऐसी है कि इसकी दुकान का नाम दूसरी आम दुकानों की तरह तो रखा नहीं जा सकता, इसलिए बड़े-बड़े अक्षरों में  ठेका देसी या अंग्रेजी शराब लिख उसक...