सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

भूटान से ही कुछ सीखें

कभी जगतगुरु होने का दावा करने वाला अपना देश आज कहाँ आ खडा हुआ है? चारों ओर भर्ष्टाचार, बेईमानी, चोर-बाजारी का आलम है । कारण सब जानते हैं। साफ सुथरी छवि वाले, पढ़े-लिखे, ईमानदार, देश-प्रेम का जज्बा दिल में रखने वालों के लिए सत्ता तक पहुँचना सपना बन गया है। धनबली और बाहुबलीयों ने सत्ता को रखैल बना कर रख छोडा है। ऐसे में हमारे एक अदने से पड़ोसी ने जो राह दिखाई है क्या हम उससे कोई सीख ले सकते हैं ?
हमारा छोटा सा पड़ोसी "भूटान"। उसने अपने स्थानीय निकायों के चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों के लिए कुछ मापदंड तय किए हैं। उसके लिए पढ़े-लिखे योग्य व्यक्तियों को ही मौका देने के लिए पहली बार लिखित और मौखिक परीक्षाओं का आयोजन किया गया है। इसमें प्रतियोगियों की पढ़ने-लिखने की क्षमता, प्रबंधन के गुण, राजकाज करने का कौशल तथा कठिन समय में फैसला लेने की योग्यता को परखा जाएगा। इस छोटे से देश ने अच्छे तथा समर्थ लोगों को सामने लाने का जो कदम उठाया है, क्या हम उससे कोई सीख लेने की हिम्मत कर सकते हैं ?

7 टिप्‍पणियां:

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

हम तो हम ही हैं न! ऐसा हो भी जाएगा तो शातिर लोग यहाँ भी अपनी गोट बिछा कर अपने किसी भाई भतीजे को मापदंड पर साम-दाम-दंड-भेद की नीति से खरा सिद्ध करवा देंगे.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

यही तो विडम्बना है कि हम किसी से कुछ सीखना नही चाहते हैं। हमें तो यह घमण्ड हो गया है कि हम जगत्-गुरू हैं।

P.N. Subramanian ने कहा…

हमारा बस चलता तो यहाँ से भाग निकलते.

राज भाटिय़ा ने कहा…

ओर एक दिन ऎसा आयेगा कि हम सब से पिछडे रह जायेगे, ओर हमारे से छोते छोटे देश भी हम से आगे निकल जायेगे.....

Rakesh Singh - राकेश सिंह ने कहा…

भाई हम भारतवासी किसी देश से कुछ अच्छा सिखने से रहे .... हाँ फैशन शो, रियलिटी शो आदि की बात करें तो हम भारतीय लोग सबसे पहले copy करने पहुँच जायेंगे |

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

हां बडे होने का गर्व हमें नतमस्तक होने कहां देता है, कि हम देख सकें, ज़मीन पर क्या हो रहा है?

अनिल कान्त ने कहा…

anything possible :(

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