प्रकृति के अनगिनत चमत्कारों में से एक है सऊदी अरब के शहर मक्का का एक कुआं। यह पवित्र धर्मस्थल काबा के पास स्थित है। जैसे हर हिंदु की अभिलाषा रहती है कि उसके घर में सदा गंगाजल रहे वैसे ही हर मुसलमान की यह हार्दिक इच्छा रहती है कि इस कुएं का पानी उसके घर में हो।
इस कुएं का नाम है जमजम। घोर आश्चर्य की बात है कि मीलों फैले रेगिस्तान में जहां सिर्फ रेत ही रेत है वहीं यह कुआं लाखों लोगों की पानी की जरुरतों को पूरा करता है। मक्का और मदीना के लोग तो इसका पानी लेते ही हैं, हज के समय हर वर्ष वहां लाखों की तादाद में जाने वाले यात्रियों की जल की आवश्यकता को भी यही कुआं पूरा करता है। इसके अलावा लौटते वक्त भी सभी हाजियों की यह हार्दिक इच्छा रहती है कि वे अपने साथ इस कुएं का ज्यादा से ज्यादा पानी ले जा सकें। जिससे इसको अपने सगे-संबंधियों और मित्रों में बांटा जा सके। इसके वितरण से पुण्य का लाभ मिलता है। ऐसी धारणा है।
इस 14x18x6 फिट के आकार वाले कुएं के पानी की खासियत है कि वह कभी खराब नहीं होता। और यह कुदरत का चमत्कार ही है कि इसमें से चाहे कितना भी पानी निकल जाये पर यह ना तो सूखता है नाही खाली होता है। मरुस्थल में यह कुआं इंसानों के लिये एक वरदान ही तो है।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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19 टिप्पणियां:
वाह जी बहुत ही अदभुत जानकारी दी आपने. शुभकामनाएं.
रामराम.
आब-ए-ज़मज़म को तो आब-ए-हयात अर्थात अमृत का दर्जा दिया गया है ।
वाकई गंगाजल की भांति वह भी अत्यन्त निर्मल तथा दिव्य जल है इसमे कोई संदेह नहीं ।
बढ़िया जानकारी........धन्यवाद !
रोचक है यह तो शुक्रिया
एक रोचक बात आपने बताई, किन्तु अगर इस पर मिंया कैरान्वी अथवा मिंया सलेम की नजर पड़ गई तो यहाँ भी उन्हें मुसलमानों के खिलाप साम्प्रदाइक्ता की बू आने लगेगी ! आज एक ब्लोगर ने अपने ब्लॉग पर जब सभी को रमजान की शुभकामनाये देने की बात लिखी थी तो उन्हें वहा भी दाल में काला नजर आया !
आपने बहुत ज्ञानवर्धक जानकारी दी !
मैंने आपकी पिछली पोस्ट भी पढीं
अच्छा लगा देखकर कि आप लगातार
नयी-नयी जानकारियां लोगों तक पहुंचा रहे हैं
सराहनीय कार्य
बधाई व आभार
भूगर्भ शास्त्री / इंजीनीयर पता कर सकते हैं के इस कुंए का पानी कहाँ से इकट्ठा होता है --
पृथ्वी के गर्भ में कई धातुएं , नदियाँ , खनिज इत्यादी भीतरी , नीचली सतहों में , दबी हैं
आप्का ये आलेख , बहुत अच्छा है -वाकई , जमजम का जल सही अर्थ में पवित्र जल है
- लावण्या
कुदरत का खेल निराला है .. बहुत सुंदर जानकारी .. धन्यवाद !!
इस अद्भुत् जानकारी के लिए आभार!
लावण्यम जी,
काफी खोजों के बावजूद अभी तक इसके स्रोत का पता नहीं चल पाया है।
आभार आब-ए-जमजम के बारे में जानकारी देने का...बहुत पढ़ा इसे विस्तार से और इस चश्मे के बार में!
अद्भुत् जानकारी के लिए आभार :)
ऐसे बहुत से प्राकृतिक स्थल हैं जो चमत्कार से कम नही। बद्रीनाथ जैसे बर्फ़ीले स्थान पर उबलते पानी का कुंड है जिसमें भक्तगण चावल भी पका लेते हैं!!!
गज़ब......!!अद्भुत.....अरे भाई आपकी बात नहीं....बल्कि यह कुँआ....बाकी यह बात बताने का आपका शुक्रिया.....!!
राम की माया राम ही जाने!!
ये दुनिया पता नहीं कितने अजूबों से भरी पडी है,जिनके बारे में इन्सान आज तक नहीं जान पाया!!
बढिया पोस्ट्!!
वाह गजब ये तो सचमुच आश्चर्य वाली बात है। साथ ही आब-ए-जमजम के बारे में सुना था आज थोड़ा विस्तार से पढ़ लिया। धन्यवाद।
ऐसे बहुत सारे स्त्रोत हैं भारत में भी जिनके बारे में आज तक कोई बता नहीं पाया है कि आखिरकार पानी कहाँ से आता है।
एक बहुत सुंदर जान्कारी, रेगिस्तान मै कई स्थानो पर पानी जल्द निकल आता है, लेकिन आप की जानकारी बहुत अच्छी लगी.
आबे ज़मज़म की जानकारी आपने दी और अच्छी जानकारी दी...
वैसे बड़के भैया आई मीन सुरेश चिपलूनकर 'बाबू' इसे कुँआ नहीं झरना कहते हैं.... उन्हें भी बता दीजियेगा और उनकी जानकारी में इजाफ़ा कर दीजियेगा...
साधुवाद इस लेख के लिए...
अद्भुत व रोचक जानकारी । आभार ।
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