इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
गुरुवार, 17 सितंबर 2009
क्या हम सब सुविधा भोगी नहीं हो गए हैं?
अरब से ज्यादा आबादी वाले देश को नचा रहे हैं पाँच-साढ़े पाँच सौ लोग। तमाशा हो रहा है संसद में। तमाशे में शामिल कुछ लोग अपना उल्लू सध जाने के बाद ऊँघ रहे हैं कुछ बतिया रहे हैं कुछ, कुछ बोलना जरूरी है इसलिए बोल रहे हैं और कुछ सिर्फ़ अपनी उपस्थिति टी वी पर दर्शाने के लिए बार-बार खड़े हो कर व्यवधान डाल रहे हैं।आधे से ज्यादा को तो शायद पता भी नहीं होगा की मुद्दा क्या है। कारों के काफिलों और उनमे से उतरते सजे सजायेअपने भाग्य विधातायों को देख लगता ही नहीं कि देश में गरीबी या मंहगाई जैसी भी कोई समस्या है। अभी मुहीम चल रही है, खर्च कम कराने की। इस पर कईयों की त्योरियां चढ़ गयी हैं। हैं !!!! , हम क्या "मैंगो मैंन" हैं की हमारे खर्च में कटौती की जा रही है। कुछ ऐसे हैं जो मीडिया के सामने दो-तीन दिन सायकिल पर ख़ुद को बैठा दिखला सुर्खियाँ बटोरने की कोशिश करेंगे। हवाई जहाज में क्लास बदलने का फैशन भी अब आम हो गया है। हम सब को भी यह सब देख अब शायद अजीब सा नहीं लगता। आज हमें भी अंधेरे की इतनी आदत हो गयी है कि हम रोशनी के लिए लड़ना ही नहीं चाहते। केवल नेतायों और व्यवस्था को दोष देने से कोई लाभ नहीं है क्योंकि हम सब इस भ्रष्ट व्यवस्था का हिस्सा हैं। आज जिस बदलाव की जरूरत है उसे वे लोग नहीं ला सकते जो ख़ुद दोहरा जीवन जीते हैं। बाजार की ताकतों ने एक नकली संसार रच दिया है जिसकी माया ने सब को ठग रखा है। हम सब सुविधा भोगी हो गए हैं।
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6 टिप्पणियां:
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बहुत सटीक ...गगन जी ...क्या करे हमारा दुर्भाग्य है ...
बहुत खुब लिखा है आपने। इक दम सटीक निशाना......
अरब से ज्यादा आबादी वाले देश को नचा रहे हैं पाँच-साढ़े पाँच सौ लोग।
कैसी विडम्बना है !!
यह बाज़ारवाद हमे कहाँ ले जायेगा पता नही ?
सादगी के चक्कर में नेता आप आदमी को परेशान कर रखे हैं.
राहुल गाँधी ट्रेन में क्या बैठ गए की ट्रेन पर पथराव हो गया....
ये तो अच्छा हुआ की किसी यात्री को कुछ हुआ नहीं. फिर रेलवे स्टेशन के दैनिक कार्यो में भी अवरोध आ गया.
ऐसी सादगी से तो भगवान् ही बचाए.
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