समयाभाव के कारण उज्जैन प्रवास के दौरान सांदीपनी आश्रम की जानकारी विस्तार से नहीं ले पाया था। फिर भी इसके बारे में कुछ खास बातें सामने रख रहा हूं। यह वही पावन जगह है जहां श्री कृष्ण जी ने अपने बड़े भाई बलराम जी और अपने मित्र सुदामा के साथ अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की थी। यह उज्जैन शहर से करीब तीन की.मी. की दूरी पर मंगलनाथ मंदिर के पहले स्थित है। आज भी शहरी कोलाहल से दूर हरे-भरे खेतों के बीच स्थित यह आश्रम मन को बहुत सकून पहुंचाता है।
आश्रम के अंदर बहुत सारे प्राचीन दर्शनीय स्थल हैं। जैसे गुरु की पूजा स्थली, श्री कृष्ण-सुदामा विद्यास्थान, सर्वेश्वर महादेव मंदिर, वल्लभ निकुंज, कुण्ड़लेश्वर महादेव मंदिर, गोमती कुंड इत्यादि। श्री कृष्ण विद्या स्थली में श्री कृष्ण, बलराम जी और सुदामा जी की मुर्तियां इतनी सुंदर हैं कि उन्हें सिर्फ देख कर ही महसूस किया जा सकता है। एकदम जिवंत लगती हैं, जैसे अभी बोल उठेंगी। वहीं पास में गुरु पातंजली की भव्य प्रतिमा स्थापित है। पर सबसे दर्शनीय है कुण्डलेश्वर महादेव जी का प्राचीन मंदिर। यहां मैने दो बातें सबसे अनोखी और जीवन में पहली बार देखीं। एक तो स्वयंभू शिव लिंग पर लिपटे सर्प की प्राकृतिक आकृति जो लिंग के साथ ही बनी हुई है, अलग से नहीं लगाई गयी है। दूसरे द्वार पर स्थित नंदी महाराज की प्रतिमा जो खड़ी अवस्था में है। मैंने सभी शिवालयों में नंदी को बैठे हुए ही पाया था, यहां पहली बार उन्हें खडे हुए देखा। आश्रम के पिछवाड़े एक गहरी बावड़ी है फिलहाल उसमें भी जल की मात्रा बहुत कम दिखी।
मेरा जाना 26 जनवरी को हो पाया था। उस दिन सूर्य ग्रहण और मौनी अमावस्या होने के कारण सब जगह बड़ी भीड़ थी सो पूरी जानकारी हासिल करने में सफल नहीं हो पाया था, इसका अफसोस रहेगा। पर एक बार फिर जा कर इतिहास खगांलने का पक्का इरादा है।
11 टिप्पणियां:
आपने जो भी दी बहुत अच्छी जानकारी दी ....अच्छा लगा पढ़कर
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बहुत बढिया जानकारी दी आपने. शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत दूर भेजा कृष्ण और बलदाऊ को पढने . कहां मथुरा या द्वारिका और कहाँ उज्जैन
बहुत बढिया जानकारी.............
आभार.....
यह सब तो हमें मालुम ही नहीं था. मंगलनाथ भी आपसे ही सुना. अब कभी जाना हो तो देख आयेंगे. और भी कुछ है क्या? आभार.
बहुत सुंदर जानकारी दी आप ने, क्या अब भी वहा स्कुल बगेरा है या बस मंदिर ही मंदिर है, यह जरुर बताये.
धन्यवाद
भाटिया जी,
नमस्कार।
सांदिपनी आश्रम में अब शिक्षा दान नहीं होता। मठ है और उसी के अंतर्गत मंदिर हैं।
आपकी निष्ठापूर्ण जानकारी बढ़िया रही...Dada निरन्तरता बनाए रखें
ati uttam jankaree. agelee yatra me jaroor jaunga.
उज्जैन की ऐतिहासिक नगरी की जानकारी के लिए धन्यवाद!
sandipni rishi ke bare me bhi thoda-bahut janne ki ichaa mere man me he.
Apne bahut hi badhiya jankari thi. Apka lakh lakh dhanyavad.
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