बहुत बार सुनने में आता है कि किसी जादुगर ने जमीन के नीचे इतना समय बिताया या किसी साधू ने भूमि में समाधी लगाई। तो आश्चर्य चकित रह जाते हैं लोग। कोई इसे दैवी शक्ति बताता है और कोई कुछ और। पर विज्ञान क्या कहता है देखें -------
भू समाधी के लिये सबसे बड़ी जरूरत होती है अभ्यास की। इसके लिये एक कमरेनुमा स्थान बनाया जाता है, जिसमें आराम से बैठा जा सके। कमरे को पानी से सींच कर दिवारें चूने से पोत दी जाती हैं। फिर उसमें दीया जला कर आक्सीजन गैस की मात्रा देख ली जाती है। समाधी लेने वाले के प्रवेश के बाद गड्ढे की छत को बांस-टाट आदि से ढ़क कर मिट्टी गोबर आदि से पोत दिया जाता है।
वैज्ञानिक आकलन के अनुसार दस फिट लंबे, दस फिट चौडे तथा दस फिट गहरे (10x10x10) गड़्ढे में 1000 घन फिट हवा रहती है। जबकि एक स्वस्थ आदमी को एक घंटे में सिर्फ 5 घन फिट हवा की जरूरत पड़ती है। जिसका सीधा अर्थ है कि उस आकार के गडढे में एक इंसान 200 घंटे यानि 8 दिन तक रह सकता है। इसके साथ-साथ विश्राम की अवस्था में श्वसन में भी कम वायू की जरूरत होती है। इसके अलावा कमरे की मिट्टी भी भुरभुरी रहती है जिससे सुक्ष्म मात्रा में ही सही, वायू का आवागमन बना रहता है। सो समाधी के लिये दृढ इच्छाशक्ति और अभ्यास के साथ-साथ मानसिक संतुलन बनाए रखना जरूरी होता है।
समाधी की तुलना अंतरिक्ष यात्रियों, टैंक में बैठे फौजियों तथा पनडुब्बियों में रहने वाले सैनिकों से की जा सकती है। काम कठिन है पर अभ्यास से संभव है।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
ठेका, चाय की दुकान का
यह शै ऐसी है कि इसकी दुकान का नाम दूसरी आम दुकानों की तरह तो रखा नहीं जा सकता, इसलिए बड़े-बड़े अक्षरों में ठेका देसी या अंग्रेजी शराब लिख उसक...
-
कल रात अपने एक राजस्थानी मित्र के चिरंजीव की शादी में जाना हुआ था। बातों ही बातों में पता चला कि राजस्थानी भाषा में पति और पत्नी के लिए अलग...
-
शहद, एक हल्का पीलापन लिये हुए बादामी रंग का गाढ़ा तरल पदार्थ है। वैसे इसका रंग-रूप, इसके छत्ते के लगने वाली जगह और आस-पास के फूलों पर ज्याद...
-
आज हम एक कोहेनूर का जिक्र होते ही भावनाओं में खो जाते हैं। तख्ते ताऊस में तो वैसे सैंकड़ों हीरे जड़े हुए थे। हीरे-जवाहरात तो अपनी जगह, उस ...
-
चलती गाड़ी में अपने शरीर का कोई अंग बाहर न निकालें :) 1, ट्रेन में बैठे श्रीमान जी काफी परेशान थे। बार-बार कसमसा कर पहलू बदल रहे थे। चेहरे...
-
हनुमान जी के चिरंजीवी होने के रहस्य पर से पर्दा उठाने के लिए पिदुरु के आदिवासियों की हनु पुस्तिका आजकल " सेतु एशिया" नामक...
-
युवक अपने बच्चे को हिंदी वर्णमाला के अक्षरों से परिचित करवा रहा था। आजकल के अंग्रेजियत के समय में यह एक दुर्लभ वार्तालाप था सो मेरा स...
-
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। हमारे तिरंगे के सम्मान में लिखा गया यह गीत जब भी सुनाई देता है, रोम-रोम पुल्कित हो जाता ...
-
"बिजली का तेल" यह क्या होता है ? मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि बिजली के ट्रांस्फार्मरों में जो तेल डाला जाता है वह लगातार ...
-
कहते हैं कि विधि का लेख मिटाए नहीं मिटता। कितनों ने कितनी तरह की कोशीशें की पर हुआ वही जो निर्धारित था। राजा लायस और उसकी पत्नी जोकास्टा। ...
-
अपनी एक पुरानी डायरी मे यह रोचक प्रसंग मिला, कैसा रहा बताइयेगा :- काफी पुरानी बात है। अंग्रेजों का बोलबाला सारे संसार में क्यूं है? क्य...
9 टिप्पणियां:
आपने तो बहुत ही नई और रोचक जानकारी दी गगनजी। नुकसान बस, एक ही होगा। अब समाधी से प्रभावित होना शून्यवत हो जाएगा।
बहुत रोचक जानकारी दी आपने. धन्यवाद.
रामराम
नई और रोचक जानकारी दी है . धन्यवाद.
सत्य घटना है एक साधू समाधी मे बैठा उसका चेला ऊपर देख भाल करता था . दो दिन बाद साधू को हार्ट अटैक पड़ गया चेला को संकेत दिया बड़ी मुश्किल से जान बची आज भी गुरु चेले गढ़ गंगा पर दिख जाते है
बड़ी अच्छी जानकारी दी गगन जी. एक ब्रॉडबैंड कनेक्शन के साथ हम लोग भी कोशिश कर सकते हैं.
सुब्रमणियन जी,
क्यूं रिस्क लेना, कहीं सांप-बिच्छू निकल कर नाम-पता पूछने लगे तो ?
आप के लेख से यह सिद्ध होता है कि भारत मे साईंस बहुत पहले से है, यह सिर्फ़ अग्रेजी की वेसाखी के साहारे नही आई, यानि पहले से ही यहां मोजुद है,ज्योतिष, आदि भी तो इसी ओर सकेत करते है.
बहुत ही सुंदर जानकारी दी आप ने.
धन्यवाद
शर्मा जी, ये तो आपने बहुत ही कमाल की जानकारी प्रदान की.........
विग्यान का सहारा लेकर किस प्रकार क्ई लोगो ने हमारे देश में अन्धविश्वास फैलाया हैं, इस लेख के माध्यम से देखा जा सकता हैं।
एक टिप्पणी भेजें