आज जबकि किसी भी रोग की चिकित्सा कराना दिनों-दिन मंहगा होता चला जा रहा है, वहीं दसियों साल पहले "जापानी रोग संघ" द्वारा एक सरल, सुलभ तथा तकरीबन मुफ्त की चिकित्सा विधि बतलाई गयी थी। जिसका नाम है "जल-चिकित्सा"। संघ द्वारा प्रकाशित लेख में बताया गया है कि यदि जल-उपचार को विधिपूर्वक किया जाए तो बहुत से कठिन रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है।
विधी :- सबेरे सोकर उठते ही बिना ब्रश किये या मुंह धोये एक साथ चार गिलास, करीब ड़ेढ लीटर, पानी पीना होता है। इसके बाद 40-45 मिनट तक कुछ भी खाना या पीना नहीं नहीं चाहिए। हां ब्रश वगैरह कर सकते हैं। इस उपचार के दौरान किसी भी भोजन (नाश्ता, दोपहर या रात्रि भोजन) के बाद कम से कम दो घंटे तक पानी नहीं पीना चाहिए। इसके अलावा सोने के पहले कुछ भी खाने की मनाही है। दिन भर अपनी जरूरत के अनुसार जल ग्रहण किया जा सकता है।
जो लोग एक साथ चार गिलास पानी नहीं पी सकते हों उन्हें एक या दो गिलास से शुरु कर धीरे-धीरे चार गिलास तक पहुंचना चाहिए। पर प्रक्रिया को बीच में खत्म नहीं करना चाहिए। इस उपचर को कोई भी अपना सकता है वह चाहे स्वस्थ हो या बीमार। यह एक साधारण उपचार विधि है, जिस पर कोई लागत नहीं आती। चार गिलास पानी पीने से कोई विपरीत प्रभाव भी नहीं पड़ता। केवल प्रकृति की पुकार बढ जाती है वह भी 2-3 बार के लिए, फिर वह आदत में शुमार हो जाती है।
जापानी रोग संघ के अनुसार निम्न रोगों को समाप्त होने में दिया गया संभावित समय लगता है - -
1, उच्च रक्तचाप :- 1 माह,
2, मधुमेह :- 1 माह,
3, कैंसर :- 1 माह,
4, आमाशायी रोग :- 10 दिन,
5, कब्ज :- 10 दिन,
6, क्षय रोग :- 3 माह,
आज तो हर चिकित्सक ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह देता है, तो एक बार आजमाने में कोई दिक्कत भी नहीं है सिर्फ नियम बद्ध हो कर और थोड़ा विश्वास रखते हुए शुरु करने भर की देर है। मैं तो शुरु हूं आप भी हो जाईये।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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9 टिप्पणियां:
जल चिकित्सा में रोग के अनुसार अलग अलग रंगों की बोतलों में पानी भर कर पुरे दिन धुप में रखा जाता है और इस तरह सूर्य किरणों द्वारा उपचारित जल सुबह रोगी को पिलाया जाता है | यह विधि मैंने जोधपुर में गीता भवन के प्राकृतिक चिकत्सालय में देखी थी | पेट के रोगों के लिए हरे रंग की बोतल में पानी भर कर लकड़ी के फ़ट्टे पर धूप में रखकर जल उपचारित किया जाता है |
अभी एक शोध पत्र पढ़ा जिसने इसे नकार दिया..किसे मानूँ..जितनी प्यास लगे, उतना पानी पिओ..यही सही जंचता है..जबरदस्ती कुछ नहीं.
शर्मा जी बहुत ही सुंदर लिखा आप ने, वेसे भी ज्यादा पानी पीने से आज तक किसी को कोई नुकसान तो नही हुया, ओर डाक्टर लोग भी ज्यादा पानी पीने को कहते है.
धन्यवाद
Thank You Sir.
अपने यहाँ की प्राकृतिक चिकित्सा में पानी पीना भी शायद शामिल है. जानकारी के लिए आभार
पानी से रोगों का निदान संभव है . इसके बारे में मैंने एक पुस्तक जापानी पानी से चिकित्सा पढ़ी है . यदि इसके अनुसार पानी का नियमित सही उपयोग किया जावे तो कठिन से कठिन असाध्य बीमारी दूर हो सकती है . बहुत सटीक सही आलेख कम से कम इसको पढ़कर कुछ लोग जरुर लाभान्वित होंगे. आभार.
आपकी पोस्ट इसी लिए तो अलग है ...बढिया लेख मैंने भी एक लेख मैं पढा था की ज्यादा पानी पीने से.किडनी पर प्रतिकूल असर पढता है....लेकिन हम ये उपचार साल मैं एक बार जरूर करतें हैं ....ये एक तरह का स्कीन टोनिक का काम करता है ...तवचा चमकीली बनाने मैं ये उपचार राम बाण है ...आभार
शेखावत जी,
नमस्कार।
आप सही कह रहे हैं, पर वह प्रयोग "रंग चिकित्सा" के अंतर्गत आता है।
समीर जी,
धन्यवाद।
एक जगह पढने को मिला था कि पानी एक कप ही पीना चाहिए जिससे वह शरीर में खप जाए। ज्यादा पानी शरीर से बाहर हो जाता है। एक दूसरे लेख में ज्यादा पानी न पीने को कहा गया था। पर शायद नियमबद्ध तरीके से जल ग्रहण करना नुकसानदायक नहीं होता।
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