जी हां, यदि आप पूरा भारत देखने निकले हैं तो कम से कम सात जगहों के लिये आप को सरकारी इजाजत लेने की जरूरत पड़ेगी।
1, लक्षद्वीप :- करीब 32 कि.मी. के इस केंद्र शासित प्रदेश में 36 द्वीपों का समूह समाया हुआ है। जिनमें सिर्फ 10 पर लोग रहते हैं। बाकी जगह पीने के पानी का अभाव है। इसकी राजधानी कावारति है। यहां के सूर्य तथा चंद्रोदय के दृश्य बहुत मनोहारी होते हैं। यहं जाने के लिये परमिट कोच्ची में लक्षद्वीप के प्रशासक के दफ्तर से लिया जा सकता है।
2, अरुणाचल प्रदेश :- भारत की उत्तर-पूर्वी सीमा पर स्थित यह एक स्वर्गिक स्थान है। भारत की मुख्य भूमी पर सूर्य की किरणें सर्वप्रथम यहीं की धरती को चूमती हैं। इसकी राजधानी ईटानगर है। यह रेलमार्ग से तो नहीं पर वायू तथा सड़क मार्ग से शेष भारत से जुड़ा हुआ है। यहां जाने के लिये इनर लाईन परमिट लेना पड़ता है।
3, सिक्किम :- यहां की राजधानी गैगंटाक है। यहीं से घूमने के लिये पुलिस की अनुमति लेनी पड़ती है। यहां कैमरा ले जाना भी मना है।
4, मिजोरम :- इस जनजातीय प्रदेश में लुसाई भाषा बोली जाती है। जिसमें मिजोरम का अर्थ होता है ऊंची भूमी या देश में रहने वाले मनुष्य। इसकी राजधानी आईजोल है। यहां भी बस या विमान द्वारा ही जाया जा सकता है।
5, नागालैंड :- इसकी राजधानी कोहिमा है। यहां जाने के लिये इनर लाईन परमिट लेना पड़ता है। यह महाभारत में वर्णित अर्जुन की पत्नी उलूपी का देश है।
6, खुर्दग ला :- अठारह हजार सात सौ फुट की उंचाई पर स्थित यह जगह चीन की सीमा से लगी हुई है। यह लेह से करीब 46 कि.मी. दूर है। यहीं से यहां का परमिट मिलता है। पर विदेशियों का प्रवेश प्रतिबंधित है। यह अत्यंत दुर्गम स्थान है। यहां संसार की सबसे ऊंची सड़क तथा सबसे ऊंचा पुल है।
7, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह :- बंगाल की खाड़ी में स्थित यह जगह अंग्रेजों के जमाने में काला पानी के नाम से जानी जाती थी। अंडमान जाने के लिये भारतियों को इजाजत नहीं लेनी पड़ती पर निकोबार के लिये वहां किसी रिश्तेदार या नौकरी का प्रमाण पत्र देना पड़ता है। ऐसा वहां की जनजातियों और सैनिक सुरक्षा के कारण किया जाता है। भारत में सबसे पहले सूर्योदय मुख्य भूमी के अरुणाचल से भी पहले यहां के काचाल द्वीप में होता है।
इन जगहों पर प्रतिबंध इस लिये है क्यों कि यह सारे क्षेत्र सीमावर्ती हैं और फिर जनजातियों के निवास स्थान हैं, जिनकी पहचान को बचाये रखना भी बहुत जरूरी है। इसके अलावा ज्यादा आवाजाही से प्रकृति से छेड़खानी का खतरा भी बढ जाता है।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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12 टिप्पणियां:
देश से सम्बंधित रोचक व उपयोगी जानकारी के लिए धन्यवाद।
बहुत बढ़िया अच्छी जानकारी दी है आपने . धन्यवाद.
हाँ साहब
अपने देश में और भी बहुत सी जगहें हैं जहाँ जाने के लिए या रात को रुकने के लिए परमिट लेना जरूरी है. ऐसी एक आध जगह उत्तराखंड में भी हैं. और राजस्थान में जैसलमेर में भी कुछ जगहें हैं. कश्मीर में तो ये प्रतिबन्ध बहुत ही ज्यादा है.
बढ़िया काम की जानकारी दी है आपने. शुक्रिया.
अरुणाचल के बारे में तो जानकारी थी किन्तु इतने स्थानों पर अनुमति लेने की जानकारी पहली ही बार हुई।
धन्यवाद।
पहले तो गोवा के लिए भी परमिट लगता था, लेकिन बात बहुत पुरानी हो गई. अच्छी जानकारी दी. आभार.
बहुत उपयोगी और ज्ञानवर्धक जानकारी दी आपने.
रामराम.
बहुत उपयोगी जानकारी दी है।आभार।
बहुत उपयोगी और ज्ञानवर्धक जानकारी
बहुत सुंदर जानकारी दी आप ने धन्यवाद,
very nice for giving info of such place. Although become unhappy to know that i need permition to visit . Thanks
गंगटोक में तो इस परमिट के चक्कर में आधी जगह घूम ही नहीं पाये हम...आगे नाथुला दर्रा जाने के लिए परमिट लेना पड़ता था, ये बात हमें उस वक्त मालूम नहीं थी. तो बस गंगटोक घूम कर ही लौट आए. चलो अच्छा है आगे की लिस्ट तो आपने दे दी है, अब ऐसा नहीं होगा.
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