रविवार, 21 सितंबर 2008

अति तो आक्सीजन की भी खतरनाक है

आक्सीजन मिलना यानि नयी जिंदगी मिलना। यह एक मुहावरा ही बन गया है। परंतु वैज्ञानिकों के अनुसार वही आक्सीजन जिसके बिना जिंदा नहीं रहा जा सकता, प्राणियों के लिए खतरनाक भी हो सकती है। सौ साल के भी पहले वैज्ञानिक पाल बर्ट ने यह चेतावनी दी थी कि शुद्ध आक्सीजन में सांस लेना जानलेवा हो सकता है। ज्यादा खोज करने पर वैज्ञानिकों ने पाया कि हम ज्यादा से ज्यादा 24 घंटे तक शुद्ध आक्सीजन सहन कर सकते हैं, उसके बाद निमोनिया हो जाता है। यह भी पाया गया है कि मनुष्य सिर्फ़ दो घंटों तक ही दो-तीन वायुमंडलीय दवाब सहन कर सकता है, इसके बाद आक्सीजन की अधिकता से उसका मानसिक संतुलन बिगडने लगता है, उसकी यादाश्त लुप्त हो जाती है। अगर यह दवाब और बढ़ जाए तो दौरे पड़ने शुरु हो जाते हैं। अंत में मृत्यु हो जाती है।
शुद्ध आक्सीजन ऐसे प्राणियों के लिए भी हानिकारक होती है जो प्राकृतिक तौर पर कम आक्सीजन वाली दशाओं में रहते हैं। इस बात का उपयोग हमारी आंतों में रहनेवाले बहुत से खतरनाक कृमियों को खत्म करने में किया जाता है।
क्या तमाशा है भाई, हो तो मुसीबत और नहो तब तो है ही। सब प्रभू की माया है।

2 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

अजी अति तो हर चीज की खराब होती हे,
धन्यवाद इस सुन्दर जान कारी के लिये

Udan Tashtari ने कहा…

सही है, अति तो हर चीज की खराब है.

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