मंगलवार, 2 सितंबर 2008

लक्ष्मीजी; अपने कमलासन को बचाएं!

अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को चमकाने के लिए मां सं वि मंत्री श्री अर्जुन सिंह ने तरह-तरह के पांसे फेंके, पर हर दांव उल्टा ही पडा। कभी दस जनपथ से झिडकियां मिलीं कभी कोर्ट ने डांट पिलाई। परन्तु अपने ठाकुर साहब कर्मठ हैं लगे हुए हैं कुछ नया कर हाई कमान की नज़रों में जगह बना अपनी अगली पीढ़ी का स्थान सुरक्षित करने के लिए।
अब उन्होंने अपने सबसे बड़े दुश्मन के खिलाफ़ कदम उठाया है। भाजपा को परिदृश्य से हटाने का सपना देखने वाले सिंह साहब ने एक नया फ़रमान जारी कर सभी 980 केंद्रीय विद्यालयों को अपना स्कूल लोगो "कमल का फूल" बदलने का आदेश दिया है, जो स्वाभाविक तौर से भाजपा की याद दिलाता रहता है। विडंबना देखिए कि यह चिन्ह भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने तैयार करवाया था। अब उन्हें कहां पता था कि प्रकृति की इस अनमोल भेंट को सांप्रदायिकता का प्रतीक मान लिया जायेगा।
अब कौन किसे समझाए कि कमल को बदलने से या भगवा रंग हटाने से यदी बदलाव आ जाता तो इन जेलों, इन कोर्टों, पुलिस आदि की क्या जरूरत रह जाती।
अब तो यही ड़र है कि सदियों से कमल के आसन पर विराजमान लक्ष्मीजी को भी कहीं अपने अपने आसन को बदलने का नोटिस ना मिल जाए।

2 टिप्‍पणियां:

Waterfox ने कहा…

एक अर्जुन सिंह और दूसरे शिवराज पाटिल। सोनिया गाँधी ने इन दोनों को मंत्री बनाकर जाने किस जनम का बैर निकाला है इस देश से!

Anubhav ने कहा…

अपने आप को धर्मनिरपेक्ष साबित करने के लिए ये लोग क्या क्या नही कर सकते? इन्हे जहा कही भी कमल या केशरिया रंग दिख जाए, सब सांप्रदायिक ही नजर आयेगा! वंदे मातरम को तो विवादित बना ही डाले है, कही तिरंगे का केशरिया रंग भी इन्हे अच्छा न लगे तो इसे बदलने की मांग न कर दे! शिवराज पाटिल और अर्जुन सिंह ही क्यो! देश के सबसे बड़े धर्मनिरपेक्ष नेता मुलायम सिंह यादव और लालू यादव जिन्हें सिमी का पक्ष समर्थन करने में कोई संकोच नही है!

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