शुक्रवार, 19 सितंबर 2008

हैप्पी बर्थडे स्माइली :-)

चलिए आज एक अनोखे जन्मदिन पर चलते हैं। आज प्रोफेसर स्काट ई फ़ालमैन के मानस पुत्र :-) स्माइली (-: की 26वीं सालगिरह है। उनकी गुजारिश है कि आप सब जरूर आएं। वैसे भी ना-नुकुर का सवाल ही नहीं उठता है।
आज से करीब 26 साल पहले कारनेगी मेलन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्काट ई फालमेन ने अपनी भावनाओं को इंटरनेट के जरिए संदेश भेजते समय प्रदर्शित करने का एक रोचक तरीका इजाद किया। उन्होंने की बोर्ड़ के तीन चिन्हों की मदद से स्माइली को जन्म दिया। ये चिन्ह थे - कोलन " : ", हायफ़न " - ", और पैरेंथीसिस" ) "।
प्रो फ़ालमैन ने एक बहस में हिस्सा लेते समय पहली बार 19 सितम्बर को इस टिप्पणी के साथ स्माइली को पोस्ट किया "मैं चेहरे पर हल्की सी मुस्कान लाने के लिए यह चिन्ह :-) प्रस्तावित करता हूं।" उनके इस प्रस्ताव को बहस में मौजूद सभी विशेषज्ञों ने हर्ष ध्वनी के साथ सहारा और स्वीकार किया। उस बहस का विषय था "इंटरनेट पर मैसेज भेजते समय अपनी भावनाओं को किस तरह प्रदर्शित किया जाए।
भाषा विशेषज्ञों का मानना है कि स्माइली और उस जैसे दूसरे चिन्हों की मदद से ई-मेल करने वालों को अपनी भावनाएं व्यक्त करने का आसान रास्ता मिल गया है। आज इंटरनेट का उपयोग करने वालों को इन चिन्हों का प्रयोग बेहद सुविधाजनक साबित हो रहा है।
जाहिर है अपने मानस पुत्र की इतनी सफलता देख प्रो फ़ालमैन फूले नहीं समाते हैं।

3 टिप्‍पणियां:

MANVINDER BHIMBER ने कहा…

arre ....apne to bahut achchi jaankaari di hai.....) bahut sunder
alag seeeeeeeeee

Udan Tashtari ने कहा…

रोचक जानकारी...हम भी इस अजूबा जन्म दिन की बधाई दे देते हैं.

बेनामी ने कहा…

अरे वाह, हैप्पी बड्डे टु स्माइली!

विशिष्ट पोस्ट

ठेका, चाय की दुकान का

यह शै ऐसी है कि इसकी दुकान का नाम दूसरी आम दुकानों की तरह तो रखा नहीं जा सकता, इसलिए बड़े-बड़े अक्षरों में  ठेका देसी या अंग्रेजी शराब लिख उसक...