शनिवार, 27 सितंबर 2008

फिर धमाकों से दहली दिल्ली

पन्द्रह दिनों के अंदर देश की राजधानी में फिर एक धमाका, पुलिस और सरकार के मुंह पर तमाचा। फिर वही शिकंजा कसने की बातें, फिर किस की हरकत इस पर बहस। फिर वही कुछ नाम सामने आएंगे, जिन पर कभी भी कोई कार्यवाही नहीं की जा सकी।
दोपहर दो बजे के बाद दिल्ली के महरौली इलाके में दो बाइक सवार तेज गति से गाड़ी चलाते हुए एक पैकेट एक दुकान के सामने फेंक भागते चले जाते हैं। दुर्भाग्यवश वह पैकट एक मासूम बच्चे, संतोष, के सामने गिरता है। इमानदार बच्चा वह पैकट उठा, "आपका सामान गिर गया है, भाई साहब" कहता हुआ बाइक के पीछे-पीछे दौडता है और फिर इसके पहले कि कोई कुछ समझे, कोई समझने वाला नहीं रहता।
फिर बहसें होगीं, अखबारों के पन्ने काले किए जाएंगे, फिर टीवी पर टी आर पी के लिए जोर आजमाइश होगी, फिर कत्ले आम की निंदा होगी, फिर नेतागण अफसोस जाहिर करेंगे, मुआवजे आदि की घोषणाएं होगीं, फिर इस पर ब्लोग लिखे जाएंगे, फिर कोई चिढ़ कर उल्टे सीधे कमेंट करेगा, फिर उस कमेंट पर तरह-तरह की टिप्पणियां आयेंगी। पर क्या यह सब संतोष के घरवालों के जख्मों को भर पाएंगें। __________________________________________________
इसी के साथ एक और बुरी खबर, अपनी तरह के अनोखे गायक, रफी, मुकेश, किशोर के संगी, महेंद्र कपूरजी नहीं रहे ।

4 टिप्‍पणियां:

दिवाकर प्रताप सिंह ने कहा…

ये सब तो अभी और होगा क्योंकि सरकार, मानावधिकार संगटन, धर्मनिरपेक्ष लोग सभी इन आतंकवादियों के साथ है एक आतंकवादी मरना इन लोगों को सुहाता नहीं चाहे कितने ही लोग मर जाए..

सचिन मिश्रा ने कहा…

Dhmake ke baad nid khuli hai fir so gayegi sarkar.

Ashok Pandey ने कहा…

बहुत सही लिखा है आपने। उस मासूम व ईमानदार बच्‍चे के घरवालों के जख्‍म तो अब कभी न भर पाएंगे।
महेन्‍द्र कपूर जी को विनम्र श्रद्धांजलि।

राज भाटिय़ा ने कहा…

जो सरकार जनता की रक्षा नही कर सकती उसे एक दम से हट जाना चाहिये,बेशर्मो की तरह से सफ़ाई नही देनी चाहिये, लानत हे ऎसी सरकार पर जो हमारी रक्षा नही कर सकती.अगर एक इमान्दार प्रधानमत्री की सरकार ऎसी हे तो बेईमानो की सरकार केसी होगी??????

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