बुधवार, 17 सितंबर 2008

मिठास, बँगला भाषा की

स्मार्ट इंडियन के अनुरागजी के ब्लाग में बांग्ला भाषा की मिठास को चखते ही कुछ याद आ गया, लिखने तो कुछ और जा रहा था, पर इसे पहले बांटने की इच्छा हो आयी ----
एक बार हरियाणा में दो बंगाली झगडा करते पकडे गये। कांस्टेबल राम सिंह उन्हें पकड़ कर थाने ले गया। थानेदार शेर सिंह ने पूछा, हाँ भाई क्या नाम है तुम्हारा? जी, अजय मुखर्जी और विनय चटर्जी। थानेदार ने अपना डंडा जोर से मेज पर मारा और बोला, साले दिन दहाडे गुंड़ा गर्दी करते हो और नाम के साथ जी लगाते हो। राम सिंह बंद कर दो चटर मखर को।
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एक पार्क में दो जने बैठे हुए थे। कुछ देर बाद एक उठ कर चला गया। कुछ देर बाद दूसरे सज्जन भी चलने को हुए तो उनका ध्यान अपनी जेब पर गया, जो कट चुकी थी। उन्हें अपने साथ बैठे व्यक्ति पर शक हुआ, पर वह कहीं दिखाई नहीं पड़ा, तो उन्होंने बाग के माली से पूछा कि भाई, तुमने यहां बैठे आदमी को देखा है? माली बोला नहीं तो, पर क्या हुआ? सज्जन ने जवाब दिया, अरे भाई वह भद्र पुरुष मेरी पोकेट मार कर चला गया है। {ओ भद्रलोक आमार पोकेट मेरे चोले गैछे}
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यह तो हुई चुटकुलों की बातें अब एक सच्ची बात बतलाता हूं ------- बांग्ला भाषा में उच्चारण थोड़ा बदल जाता है जैसे, गगन - गोगोन हो जाता है, जल - ज़ोल, कदम - कोदोम, विनय - विनोय, लक्ष्मी का उच्चारण लोक्खी के रूप में होता है, इत्यादि-इत्यादि।
कलकत्ते में सियाल्दा स्टेशन के पास एक मशहूर सुनार लक्ष्मी बाबु की दुकान है। दुकान के दरवाजे के एक तरफ बंग्ला में तथा दूसरी तरफ हिन्दी में ब्योरा लिखा हुआ है। यह मजाक नहीं सच बात है।
बंग्ला में लिखा गया है - लोक्खी बाबुर सोना-चांदिर दोकान। यानि लक्ष्मी बाबु की सोने-चांदी की दुकान।
हिंदी में उसका अनुवाद किया गया है - लोक्खी बाबु का सोना-चांदी का दोकान। {एक कान सोने का एक चांदी का?}

4 टिप्‍पणियां:

जितेन्द़ भगत ने कहा…

बहुत अच्‍छे चुटकुले थे। बंग्‍ला भाषा पर आपने अच्‍छी बातें बताई।

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

मजा आया बहुत।

Smart Indian ने कहा…

गगन जी,
आपकी बात पढ़के मुझे बहुत अच्छा लगा. बर्ग-वार्ता पर आपकी यात्रा के लिए धन्यवाद भी देना चाहता हूँ. इस बहाने आपकी पिछली पोस्ट्स भी पढने का मौका मिला. बहुत अच्छी जानकारी से परिचय हुआ. धन्यवाद!
शुभकामनाओं सहित,
अनुराग शर्मा.

रंजना ने कहा…

वाह.मजा आ गया....

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