इस
महाकुंभ की अपार सफलता के पीछे उन विपक्षी नेताओं का भी बहुत बड़ा सहयोग
है, जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर को दांव पर लगा, अपने भविष्य को अंधकार में धकेल, लोगों की भावनाओं, उनकी आस्थाओं को दरकिनार कर लगातार
विष-वमन करते हुए इस आयोजन की बुराई की ! किसी भी तरह इस आयोजन को
रोकने-बदनाम करने के लगातार षड्यंत्र रचे ! वे खुद बर्बाद होने,
उपेक्षित होने, बदनाम होने के बावजूद अपने मिशन पर लगे रहे ! उनके इसी उद्यम के कारण पूरा सरकारी तंत्र सदा सचेत, मुस्तैद तथा सतर्क रहा ! जनता को ऐसे लोगों की कद्र करते हुए, उन्हें सदा-सदा के लिए विपक्ष में बैठाए रखना
चाहिए जिससे वे भविष्य में भी ऐसे ही सरकार की सतर्कता बनाए रख सकें..................!
#हिन्दी_ब्लागिंग
पैंतालीस दिन यानी डेढ़ महीने तक चले महाकुंभ का, हिमालय जैसा अभूतपूर्व कीर्तिमान बना कर, समापन हो गया ! पर जाते-जाते उसने दुनिया को सनातन की विशालता, उसकी गहराई, उसकी आस्था, उसकी व्यापकता का ऐसा परिचय करवा दिया, जिसको सारा विश्व वर्षों-वर्ष याद रखेगा ! इतने बड़े आयोजन का सफलता पूर्वक निर्वहण ही अपने-आप में ही एक कीर्तिमान है ! एक मील का पत्थर है ! एक ऐसा उच्चमान जिसे सालों-साल याद रखा जाएगा ! भविष्य में कहीं भी होने वाले हर बड़े समागम का ऐसा प्रतिस्पर्धी, जिसके प्रत्यक्ष उपस्थित ना होते हुए भी उसकी तुलना उस समय के आयोजन की सफलता से की जाएगी ! एक ऐसी उपलब्धि जिसका उल्लेख आज संसार के हर देश में हो रहा है ! दुनिया अचंभित है ! विकसित देश अपने लोगों को भेज रहे हैं, ऐसे भीड़ प्रबंधन (Crowd Management) को समझने, उसकी कार्यशैली, उसकी विधि को जानने के लिए !
सफलता के सिपहसालार |
![]() |
सफल आयोजन के हकदार |
आभार तो प्रयागराज के प्रत्येक निवासी का भी है, जिन्होंने अपनी चिंता ना कर, अपनी असुविधाओं को दरकिनार कर, अपनी परेशानियों की शिकायत ना कर करोड़ों-करोड़ लोगों का अपने परिवार सदृश समझ उनका स्वागत किया ! यदि इस पूरे आयोजन के दौरान वहां के हर मेहमान को खाना-पानी-चाय-नाश्ते-यातायात या अन्य किसी मूलभूत सुविधा की कमी महसूस नहीं हुई तो इसका श्रेय वहां के स्थानीय लोगों को जाता है ! इस भागीरथ प्रयास की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। इससे जुड़े सभी व्यक्ति सम्मान पाने के हकदार हैं !
गंगा पूजन |
यदि देखा जाए तो इस महाकुंभ की अपार सफलता के पीछे उन विपक्षी नेताओं का भी बहुत बड़ा सहयोग है, जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर को दांव पर लगा, बिना अपने भविष्य को ध्यान में रखे, लोगों की भावनाओं, उनकी आस्थाओं को दरकिनार कर लगातार विष-वमन करते हुए इस आयोजन की बुराई की ! किसी भी तरह इस आयोजन को रोकने-बदनाम करने के लगातार षड्यंत्र रचे ! खुद और अपने लगे-बंधों से लोगों को डराने-धमकाने की चेष्टा की ! इस महा पर्व को बदनाम करने के लिए धर्म, संस्कृति, परंपरा, समाज सभी के विरोधी बन गए ! वे खुद बर्बाद होने, उपेक्षित होने, बदनाम होने, जनता द्वारा नकार दिए जाने के बावजूद अपने मिशन पर लगे रहे ! यही कारण था कि पूरा सरकारी तंत्र सदा सचेत रहा ! किसी भी अनहोनी, आपदा, विपदा या षड्यंत्र का सामना करने के लिए मुस्तैद रहा ! सरकार को उनका आभार मानना चाहिए तथा जनता को ऐसे लोगों की कद्र करते हुए उन्हें सदा-सदा के लिए विपक्ष में बैठाए रखना चाहिए, जिससे वे भविष्य में भी ऐसे ही सरकार की सतर्कता बनाए रख सकें !
@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से
2 टिप्पणियां:
इस महाकुंभ की अपार सफलता के पीछे उन विपक्षी नेताओं का भी बहुत बड़ा सहयोग है, जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर को दांव पर लगा, बिना अपने भविष्य को ध्यान में रखे, लोगों की भावनाओं, उनकी आस्थाओं को दरकिनार कर लगातार विष-वमन करते हुए इस आयोजन की बुराई की
सही कहा तभी कहते हैं निंदक नियरे राखिये....
बस सुनने वाला कहने वाले का मुँह बंद करने के बजाय अपने में सुधार की कोशिशें करता रहे ...वाकई सराहनीय रहा कुंभ आयोजन...
बहुत ही लाजवाब विश्लेषण ।
सुधा जी,
हार्दिक आभार 🙏
एक टिप्पणी भेजें