कुछ लोगों की लापरवाही या कहिए आरामपरस्ती ने देशों के नक्शे बदल कर रख दिए ! ऐसे लोगों के कारण सियालकोट का हिन्दू बहुल इलाका भारत में शामिल होते-होते रह गया ! 1941 की जनगणना के अनुसार सियालकोट में हिन्दुओं की तादाद दो लाख इक्कीस हजार थी। उस में से तकरीबन एक लाख लोगों ने वोट नहीं दिया था और पचपन हजार मतों से सियालकोट का भारत में शामिल करने का प्रस्ताव गिर गया था ! वैसे यह आदत या चरित्र अभी भी पूरी तरह बदली नहीं है..............!
#हिन्दी_ब्लागिंग
सियालकोट, पकिस्तान का एक शहर ! आज जो लोग अपने एक वोट को लेकर लापरवाह हैं उनको पता होना चाहिए कि 1946 में कुछ लोगों की आरामपरस्ती, लापरवाही या फर्ज के प्रति उदासीनता के कारण यह शहर हिन्दुस्तान का हिस्सा बनते-बनते रह गया था !
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कतारें |
देश में आजकल चुनाव चल रहे हैं ! वोट की महत्ता, ताकत, उपयोगिता के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। ऐसा करना जरुरी भी है क्योंकि अधिकांश लोग मतदान के दिन मिले अवकाश को एक अतिरिक्त मिली छुट्टी की तरह ले तफरीह में लग जाते हैं ! उन्हें लगता है कि मेरे एक वोट से कौन सी दुनिया बदल जाएगी ! इसी सोच के कारण हर बार हजारों वोट बेकार चले जाते हैं और नतीजा कुछ का कुछ हो जाता है ! देश की सरकारों को तो छोड़िए देशों का नक्शा तक बदल कर रह जाता है ! इसका एक उदाहरण है सियालकोट ! |
प्रतीक्षा |
वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रदीप सिंह जी ने अपने यू-ट्यूब चैनल ''आपका अखबार'' में एक घटना का जिक्र किया है, जिसके अनुसार मतदाताओं की आरामपरस्ती और लापरवाही से सियालकोट जो लाहौर से 135 तथा जम्मू से सिर्फ 42 किमी दूर है और उस समय भारत का हिस्सा बनते-बनते रह गया था ! बात बंटवारे के पहले की है जब देश के बंटवारे की प्रक्रिया चल रही थी। देश के बड़े नेता गोपीनाथ बोरदोलोई चाहते थे कि सियालकोट भारत का हिस्सा बने क्योंकि उस समय वह हिन्दू बहुल इलाका था ! पर फिर भी यह तय पाया गया की उसका भविष्य जनमत संग्रह से होगा। दिन, तारीख, समय और वोट का तरीका तय हो गया। निश्चित समय पर मतदान शुरू होते ही पोलिंग बूथ के सामने मुसलमानों की लंबी-लंबी कतारें लग गईं। उन्होंने अपने वोट का हक अदा किया। इधर अधिकांश हिन्दू आराम से उठे, नास्ता-पानी किया और दोपहर तक वहां पहुंच कर लंबी-लंबी कतारों को देखा तो आधे तो ऐसे ही वापस आ गए कि कौन इतनी देर खड़ा रहेगा ! कुछ लोग रुके कि यदि लाइन जल्दी छोटी हो जाए तो वोट डाल ही देते हैं पर वे भी कतारों की सुस्त रफ्तार से तंग या कहिए थक कर वापस हो लिए !
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उत्साह |
जनमत संग्रह का जब नतीजा आया तो पता चला कि 55000 वोटों से यह प्रस्ताव पास हो गया कि सियालकोट को पाकिस्तान में शामिल किया जाएगा ! इस तरह एक हिन्दु बहुल इलाका भारत में शामिल होते-होते रह गया ! 1941 की जनगणना के अनुसार सियालकोट में हिन्दुओं की तादाद दो लाख इक्कीस हजार थी। उस में से तकरीबन एक लाख लोगों ने वोट नहीं दिया था और पचपन हजार मतों से सियालकोट का भारत में शामिल करने का प्रस्ताव गिर गया था ! कुछ लोगों की लापरवाही या कहिए आरामपरस्ती ने देशों के नक्शे बदल कर रख दिए ! वैसे यह आदत या चरित्र अभी भी पूरी तरह बदला नहीं है !
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जोश |
इसके बाद का इतिहास लोगों को मालुम ही होगा जब 1946 के सोलह अगस्त के जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन का कहर सियालकोट पर भी बरपा, खून-खराबा हुआ ! लूट-खसोट हुई ! वो आराम-तलब लोग भी सदा के लिए आराम के हवाले कर दिए गए जो लंबी कतारें देख घर वापस आ गए थे ! उन्हीं जैसे लोगों की लापरवाही के कारण 1951 की जनगणना के अनुसार वहां हिंदुओं की संख्या सिर्फ दस हजार रह गई थी, इतना ही नहीं 2017 की गणना के अनुसार वहां केवल 500 हिन्दू बचे थे ! आज का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, पता नहीं एक भी हिन्दू बचा भी है कि नहीं !
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EVM |
तो अपने विवेक का प्रयोग कर, देश हित में वोट तो जरूर दें, बिना किसी के बहकावे में आए ! जो आपको सुपात्र लगे ! साफ- सुथरी छवि का हो ! देश, जनहित की बात करता हो ! निष्पक्ष हो ! बेदाग हो और जन-जन का हो !
वंदे मातरम !
8 टिप्पणियां:
भारतीय राष्ट्रीय चरित्र एक है मजबूत है वो नही बदलने वाला है l
मतदान हेतु जागरूक करती सुन्दर पोस्ट । सादर वन्दे सर !
सुन्दर
इस से साबित होता है कि मतदान करना कितना आवश्यक है। जागरूक करता सुंदर आलेख।
सुशील जी
हम सीख भी तो नहीं लेते कभी
मीना जी
शायद कुछ सबक मिल सके
आभार आलोक जी
डॉ.दराल
आपका "कुछ अलग सा" पर सदा स्वागत है 🤗🙏🏻
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