बुधवार, 15 मई 2024

एक पत्र, खुला-खुला सा

नवनिर्मित राम मंदिर में देश के हर कोने से रोजाना लाखों लोग दर्शन करने आ रहे हैं ! जाहिर है वहां से वे अपने घरों को भी लौटते होंगे ! चुनाव का समय है, घर लौट कर वे वोट देने भी जाते होंगे ! आपको क्या लगता है कि वे इस वैभवशाली अयोध्या को भूल पाएंगे ? सैंकड़ों सालों के बाद बने इस मंदिर में पहुंच, ऐसी भव्यता को देख, पुराने इतिहास को याद कर, क्या वे उन लोगों को वोट देंगे जो राम के अस्तित्व को ही नकार रहे थे ? उन लोगों को क्षमा करेंगे जो अयोध्या में मंदिर की जगह अस्पताल और शौचालयों को तरजीह दे रहे थे ?  सनातन धर्म को गाली दे रहे थे.........................!

#हिन्दी_ब्लागिंग 

श्रीमान खड़गे जी !  

नमस्कार !

पहले तो क्षमा चाहता हूँ यदि आपके नाम के अक्षरों को गलत लिख गया होऊँ तो ! वो क्या है ना कि देश के आधे से ज्यादा लोगों को तो आपका सही नाम ही नहीं मालूम है, कोई खरगे लिखता है तो कोई खड़गे ! आशा है मैंने ठीक लिखा होगा ! 

खैर ! कल आपने शर्त लगाई थी कि भाजपा इस बार दो सौ सीटें भी प्राप्त नहीं कर सकेगी ! ठीक है अच्छी बात है दिल बहलाने को कुछ दिनों के लिए ! पर आपने यह नहीं बताया कि यदि आप शर्त हार जाओगे तो क्या करोगे ? संन्यास ले लोगे या अध्यक्ष बने रहोगे ? अब यह अलग और सोचने की बात है कि अध्यक्ष किसके रहोगे ! 

चलिए छोड़िए यह शर्त-वर्त की कल्पना, यथार्थ को देखते हैं ! आप इतने बड़े नेता हैं, आपको तो देश-दुनिया की पूरी खबर रहती होगी ! इसलिए शायद आपको पता ही होगा कि नवनिर्मित राम मंदिर में देश के हर कोने से रोजाना लाखों लोग दर्शन करने आ रहे हैं ! जाहिर है वहां से वे अपने घरों को भी लौटते होंगे ! चुनाव का समय है, घर लौट कर वे वोट देने भी जाते होंगे ! आपको क्या लगता है कि वे इस वैभवशाली अयोध्या को भूल पाएंगे ? सैंकड़ों सालों के बाद बने इस मंदिर में पहुंच, ऐसी भव्यता को देख, पुराने इतिहास को याद कर, क्या वे उन लोगों को वोट देंगे जो राम के अस्तित्व को ही नकार रहे थे ? उन लोगों को क्षमा करेंगे जो अयोध्या में मंदिर की जगह अस्पताल और शौचालयों को तरजीह दे रहे थे ?  सनातन धर्म को गाली दे रहे थे ? इस सच्चाई से मुंह मत फेरिएगा नाहीं बुरा मत मानिएगा, सिर्फ सोच के देखिएगा !

एक आदमी ने, नाम तो आप जानते ही हैं, थाली बजाने को कहा, लोग कटोरी-चम्मच तक बजाने लगे ! कोरोना के समय उसने डॉक्टरों का सम्मान करने को कहा, लोग उन पर फूल बरसाने लगे ! उसने एक दिया जलाने को कहा, लोगों ने दीयों की कतार लगा दी ! विश्व-रिकॉर्ड बना दिया ! हालांकि वह भी जानता था और जनता भी कि दिए के जलने से कोरोना नहीं जाएगा, पर यह एक तरह से लोगों को तनाव से बाहर लाने का उपक्रम था ! गहरी मुसीबत में एक आसरे का सहारा सा देने की इच्छा थी ! दूसरी तरफ आपने सिर्फ उसका उपहास किया, मजाक बनाया, गालियां दीं ! कमतर आंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी ! इतिहास से भी सबक नहीं लिया जो चीख-चीख कर बताता रहा है कि देश के आमजन को, आवाम को, किसी की लगातार बेकद्री कभी भी रास नहीं आती ! 

लगे हाथ एक और परिक्षण कर लेते हैं ! इसी बात पर आप का आकलन भी हो जाएगा ! उसके कहने पर तो थाली, कटोरी, फूल, दिया सब हो गया ! राम लहर चल ही रही है, अब आप एक बार आह्वान कीजिए कि अमुक तारीख पर, अमुक समय देश के सभी लोग सिर्फ ग्यारह बार श्री राम का नाम जपेंगे ! देखिए कितने लोग आते हैं ! दूध का दूध, चार सौ का चार सौ हो जाएगा !    

मेरी किसी बात को अन्यथा मत लीजिएगा ! यह सब किसी पूर्वाग्रह या दुर्भावना से नहीं कहा गया है ! खेद होता है जब व्यक्तिगत स्पर्धा देश के विरुद्ध जाने लगती है ! पढ़े-लिखे लोगों को एक दूसरे के प्रति हलके शब्दों का सहारा लेते देखना पड़ता है ! अपनी महत्वकांक्षाओं के कारण देश-समाज को बांटने की बात होने लगती है ! सच कहता हूँ, बहुत दुःख होता है.............!    

:

आपका ही एक देशवासी 

गगन 

5 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

खुला खुला तो बहुत कुछ है | बस आदमी अपने मतलब का हर जगह खोल ले रहा है | चिट्ठाकारी की कलाकारी ही ले लीजिये | हम भी अपने मतलब का ही खोल लेते हैं | वैसे हमारे यहां एक कहावत है कुमाउनी में "मडू फोकियोल आफी देखियोल" जिसका मतलब है: मडुआ (रागी का आटा) जब गिरने के बाद जमीन पर फ़ैल जाएगा सब देखेंगे| :) समय बलवान है |

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी
वह तो है !

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

https://blog.loksetia.com/2024/05/blog-post_26.html
इसे भी पढियेगा |

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत बहुत सुन्दर

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

आलोक जी
अनेकानेक धन्यवाद🙏

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