सुबह आँख खोलने के बाद से रात सोने के वक्त तक बाजार, चिराग के जिन्न की तरह आपके दरवाजे पर हाथ बांधे आपके हुक्म के इंतजार में खड़ा रहता है ! कुछ भी, कहीं से भी ला कर आपको सौंपने के लिए ! उदाहरण के लिए, एक औषधीय पौधा होता है, "कुलेखारा", इसकी पत्तियों का रस होमोग्लोबिन बढ़ाने में बहुत सहायक होता है ! अधिकाँश लोगों को तो इसकी जानकारी तो क्या इसका नाम तक भी ज्ञात नहीं होगा ! यह सब जगह उपलब्ध भी नहीं है ! ऐसे ही कोका कोला के पीले ढक्कन के पेय को भी लिया जा सकता है ! पर बाजार का जिन्न इन सबको देश के किसी भी कोने तक पहुँचाने में सक्षम है...........!
#हिन्दी_ब्लागिंग
आज पल-पल बदलते फैशन, पसंद और जरुरत के जमाने मे भले ही बाजार की नीतियों, उसकी मंशा, उसकी व्यूह-रचना, उसके मायाजाल में सिर्फ उसकी खुदगर्जी और धन अर्जन की प्रमुखता हो, पर एक बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता कि अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए वह दिन-रात, 24x7, लगातार जी तोड़ मेहनत भी करता है ! उसकी नजर, अपने उपभोक्ताओं की हर जरुरत को, गुंजाईश चाहे कितनी भी छोटी से छोटी क्यों ना हो, भांपने और आंकने से नहीं चूकती ! इसके लिए उसकी ''मशीनरी'' बिना विराम के लगातार शोध करती रहती है ! अक्सर हमें लगता है कि हम बाजार के काले पहलू के षड्यंत्र में उलझते जा रहे हैं, पर उसका एक उजला पहलू भी है, भले ही उसका दायरा छोटा हो, पर अशक्त, उम्रदराज, घर से बाहर ना जा पाने को मजबूर, महिलाएं, काम में अत्यधिक व्यस्त लोगों के लिए वह किसी वरदान से कम भी नहीं है !
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आज कोई भी चीज, यानी कोई भी चीज चाहिए हो तो वह एक कॉल पर घर बैठे उपलब्ध हो सकती है ! फिर वह चाहे खाना हो, दवा हो, रोजमर्रा की जरुरत की वस्तुएं हों, यात्रा का टिकट हो, होटल की बुकिंग हो, स्टेशन-एयरपोर्ट तक जाने के लिए वाहन हो, कपडे हों, जूते हों .... क्या-क्या गिनाया जाए, शायद ही कोई चीज ऐसी हो जो घर बैठे उपलब्ध न हो सकती हो ! उसके ऊपर पसंद ना आने पर वापसी की भी सुविधा ! सुबह आँख खोलने के बाद से रात सोने के वक्त तक बाजार, चिराग के जिन्न की तरह आपके दरवाजे पर हाथ बांधे आपके हुक्म के इंतजार में खड़ा रहता है ! कुछ भी, कहीं से भी ला कर आपको सौंपने के लिए ! उदाहरण स्वरुप, एक औषधीय पौधा होता है, "कुलेखारा", इसकी पत्तियों का रस होमोग्लोबिन बढ़ाने में बहुत सहायक होता है ! अधिकाँश लोगों को तो इसकी जानकारी तो क्या इसका नाम तक भी ज्ञात नहीं होगा ! यह सब जगह उपलब्ध भी नहीं है ! पर बाजार का जिन्न इसे भी देश के किसी भी कोने तक पहुँचाने में सक्षम है ! अजूबा ही तो है यह !
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कुलेखारा की पत्तियां |
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कुछ साल पहले तक हमारे कट्टर जैन भाइयों को यात्रा या पर्यटन के दौरान खाने-पीने के मामले में बहुत दिक्क्तों का सामना करना पड़ता था ! आज देश के किसी भी हिस्से में अच्छे होटल जैन फूड परोसने में सक्षम हैं ! तीज-त्योहारों के अनुरूप हर तरह की खाद्य सामग्री या जरुरत की वस्तुएं देश के हर कोने में उपलब्ध हैं ! बाजार तो जैसे संसार के हर इंसान की छोटी से छोटी जरुरत पूरी करने के लिए कमर कसे बैठा है ! इसका छोटा सा उदाहरण कोका कोला कंपनी है जो साल में एक बार, बसंत के महीने में अपनी परंपरागत बोतलों के साथ ही यहूदियों के धार्मिक त्यौहार (Passover) को ध्यान में रख एक पीले ढक्कन वाली बोतल भी बाजार में उतारती है। इस त्यौहार में यहूदी लोगों को गेहूं, जई, राई, जौ, मक्का, चावल, बीन्स इत्यादि का सेवन वर्जित होता है और चूंकि कोका कोला में मक्के के रस का प्रयोग किया जाता है इसलिए वे इसे पीने से बचते हैं। इस बात को भांप कर कोका कोला इन दिनों के लिए अपने मुख्य उत्पाद के साथ एक और पेय भी तैयार करता है जिसमें कॉर्न सिरप की जगह चीनी मिलाई जाती है, इसे Kosher Coke कहा जाता है और इसकी पहचान के लिए इसे पीले ढक्कन की बोतलों में भर कर रखा जाता है जिससे इसकी आसानी से पहचान हो सके ! यह बताता है कि बाजार की नजर कितनी पैनी है ! तो लब्बोलुआब यही रहा कि हर चीज के दो पहलू होते हैं ! बाजार से भी अच्छाई और बुराई दोनों जुडी हैं ! हंस तो हमें ही बनना होगा !
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