शनिवार, 3 अप्रैल 2021

आ बैल (कोरोना) हमें मार

कुछ लोगों को सही मायनों में जान की कीमत नहीं पता ! बिमारी की चपेट में आने पर पहले की बंदिशें नहीं सहीं ! नाहीं ऐसे  लोगों को अपनों को खोने के दर्द का एहसास है ! इन्हें सिर्फ अपनी मौज-मस्ती और तफरीह से मतलब है ! लेकिन यह सारा अनुभव तभी संभव है, जब तक इंसान जिंदा है, जिंदगी कायम है ! तमाम सावधानियों और दवा के भी पहले ऐसे लोगों पर लगाम कसना जरुरी है ! कहने में अच्छा नहीं लगता, शब्द भी कटु हैं, पर ऐसे लोग एक तरह से अपने परिवार के अलावा समाज और देश के भी दुश्मन कहे जा सकते हैं.......!!    

#हिन्दी_ब्लागिंग 

कोरोना ! एक अभूतपूर्व तक़रीबन लाइलाज महामारी, जिससे पूरा विश्व सकते में आ गया, लाखों जाने गयीं, करोड़ों लोग चपेट में आ गए ! अनगिनत लोगों की जीविका नष्ट हो गई ! दसियों देशों की अर्थव्यवस्था भू-लुंठित हो कर रह गई ! उसीका प्रकोप फिर एक बार डराने लगा है ! ऐसा नहीं है कि इस पर काबू नहीं पाया जा सकता, पर हम कुछ लोगों की लापरवाहियां उसको उकसाने से बाज नहीं आ रहीं ! हम उसको हलके में ले अपने पर भारी पड़ने का हर मौका दे रहे हैं ! 

यह सर्वज्ञात है कि कुछ बीमारियों या दवाइयों का सेहत ठीक महसूस होने के बावजूद कोर्स पूरा करना पड़ता है ! बीच में उपचार छोड़ देने से दवा का तब तक का असर भी ख़त्म हो जाता है। वैसा ही कुछ इस कोरोना के साथ भी लागू होता है ! जानकारों के अनुसार दवा के अलावा पूरी सावधानियां तब तक बरतनी हैं जब तक कि इसका पूरा सफाया नहीं हो जाता और यहीं हम सब मात खा रहे हैं ! कुछ विवेकहीन, लापरवाह लोगों की गैरजिम्मेदाराना हरकतों के कारण पूरा देश फिर डर के साये में आ गया है। ऐसे लोग धड़ल्ले से अपनी मनमानी कर रहे हैं, जिसके कारण उन लोगों के घर में भी कोरोना का प्रकोप हो सकता है, जो सुरक्षित रहने की कोशिश में हर संभव उपाय करने में जुटे हुए हैं !

सरकार को देश के तमाम रिसोर्ट वगैरह को नोटिस जारी कर देना चाहिए कि सिर्फ जरुरी वजह के अलावा इस आपाद काल की स्थिति में, सिर्फ पर्यटन के लिए आए लोगों को ठहरने की अनुमति ही ना दें ! इसके अलावा तंत्र भी उनको जवाबदेही के लिए बुलाए 

कायनात ने कोरोना के माध्यम से हमें जो नसीहत देने की कोशिश की उसकी भयावहता से भी कुछ मनचले कोई सबक नहीं ले पा रहे ! कारण यह भी है कि सही मायनों में उन्हें जान की कीमत नहीं पता ! बिमारी की चपेट में आने पर पहले की बंदिशें नहीं सहीं ! नाहीं ऐसे  लोगों को अपनों को खोने के दर्द का एहसास है ! इन्हें सिर्फ अपनी मौज-मस्ती और तफरीह से मतलब है ! लेकिन यह सारा अनुभव तभी संभव है, जब तक इंसान जिंदा है, जिंदगी कायम है ! तमाम सावधानियों और दवा के भी पहले ऐसे लोगों पर लगाम कसना जरुरी है ! कहने में अच्छा नहीं लगता, शब्द भी कटु हैं, पर ऐसे लोग एक तरह से अपने परिवार के अलावा समाज और देश के भी दुश्मन कहे जा सकते हैं !   

यह भी सही है कि इंसान के ऐसे पचासों जरुरी काम होते हैं जिनके लिए घर से निकलना बहुत आवश्यक होता है, पर सिर्फ तफरीह के लिए खुद की और दूसरों की जान को आफत में डालना कहां की अक्लमंदी है ! पहले लॉक डाउन के समय भी बहुत से लोगों को घर से बाहर सड़कों और माहौल का ''जायजा'' लेते देखा गया था ! अब तो लापरवाही और भी बढ़ गई है ! ऐसा लगता है कि जैसे घूमने-फिरने, खरीदारी या पुण्यार्जन का मौका फिर कभी हाथ आएगा ही नहीं ! प्रकोप के दौरान आईं छुट्टियों को विवेकहीन लोग सैर-सपाटे के काम में लाने लग जाते हैं ! मेरे ख्याल से तो सरकार को देश के तमाम रिसोर्ट वगैरह को नोटिस जारी कर देना चाहिए कि सिर्फ जरुरी वजह के अलावा इस आपाद काल की स्थिति में, सिर्फ पर्यटन के लिए आए लोगों को ठहरने की अनुमति ही ना दें ! इसके अलावा तंत्र भी उनको जवाबदेही के लिए बुलाए ! क्योंकि हम ताड़ना की भाषा ही जल्दी समझते हैं। 

31 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 04 अप्रैल 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

यशोदा जी
बहुत-बहुत आभार

शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

बहुत सही लिखा हैं आपने।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शिवम जी
शायद बेकाबू होते हालात की यह एक बडी वजह है

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (04-04-2021) को   "गलतफहमी"  (चर्चा अंक-4026)    पर भी होगी। 
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-    
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सादर...! 
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
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ज्योति सिंह ने कहा…

पते की बात कही गई है, लातों के भूत बातों से नही मानते, ऐसे हठी लोगों के लिए ही कहा गया है,इन्हें सबकी जिंदगी मजाक लगती है,हालात को जानते हुए भी नादानी करते हैं, कुछ लोगों के कारण, सभी को परेशानी उठानी पड़ती है, बहुत अच्छा लिखा है, हार्दिक बधाई हो

Kadam Sharma ने कहा…

Poori tarah sahmat

Dr Varsha Singh ने कहा…

आपने लापरवाह लोगों को आईना दिखाया है। बड़े बेबाक ढंग से... स्पष्टवादिता से... खरी-खरी कही है आपने...

साधुवाद 🙏

Meena sharma ने कहा…

यदि कोरोना ऐसी बीमारी होता जो एक इंसान से दूसरे में न फैले, तब तो ठीक था। पर ये बीमारी हमें हो जाए तो हम जाने अनजाने ना जाने कितनों तक इसे फैला देंगे और उनमें से किसी के लिए यह प्राणघातक भी सिद्ध हो सकती है। इसलिए हमें अपने आपको कोरोना से बचाना निहायत ही जरूरी है। मैं आपके लेख का समर्थन करती हूँ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शास्त्री जी
सम्मिलित कर मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ज्योति जी
बिना दंड के कोई सुनने को ही तैयार नहीं होता! हेल्मेट पहनने को ले कर ही देख लिजिए

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

स्वागत है आपका, कदम जी

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

वर्षा जी
किसी की गफलत का खामियाजा किसी और को भुगतना पड जाता है

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मीना जी
पता नहीं कब लापरवाह लोगों को समझ आएगी

रेणु ने कहा…

बहुत लेख है गगन जी | अब घुम्मकड़ लोगों की तो जन पे बन आई इस कोरोना काल में | थोड़ी सी छूट मिलते ही फिर से बैग उठाये घूमने लगे हैं | जरूरी है -- इन के लिए एक आचार संहिता सख्ती से लागू करना | बहुत अच्छा लिखा आपने |

Meena Bhardwaj ने कहा…

कोरोना के बढ़ते संक्रमण और लोगों की लापरवाहियों ने इस महामारी को भयावह बना दिया है । जागरूक करता सारगर्भित लेख ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

रेणु जी
जब तक खुद को ठोकर नहीं लगती तब तक आंख नहीं खुलती

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मीना जी
पता नहीं ऐसे लोगों को अपने घर परिवार की चिंता होती भी है या नहीं

Anuradha chauhan ने कहा…

लोगों की लापरवाही ही आज उनकी और उनके परिवार की जान पर भारी पड़ रही है। बहुत सुंदर और सार्थक लेख 👌👌

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अनुराधा जी
"कुछ अलग सा" पर सदा स्वागत है आपका

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

आपके द्वारा लिखी बातों से मैं पूर्ण रुप से सहमत हूं पता नहीं लोग क्यों अपनी परवाह नहीं करते ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

राजपुरोहित जी
सकारात्मक टिप्पणी हेतु अनेकानेक धन्यवाद

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत सुन्दर लेख

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

आलोक जी
बहुत-बहुत धन्यवाद

मन की वीणा ने कहा…

सटीक सार्थक लेख।
आपका लिखने का अंदाज बांधता है पाठक को।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कुसुम जी
प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

बहुत ही सार्थक विषय पर आपका लेख बहुत ही महत्वपूर्ण है, कोरोना फिर भयावह स्थिति में अपना रूप दिखा रहा है और लोग सैर सपाटे के लिए परेशान हैं,भीड़ कम होती नही दिख रही, इन्हें बस सरकार का दोष नज़र आता है ।सुंदर लेखन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं ।

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

किसी बात की गंभीरता 'लोग' तभी समझते हैं जब अपने ऊपर आ पड़े-लेकिन जहाँ जीवन-मरण का सवाल हो वहाँ ऐसों पर अंकुश बहुत ज़रूरी है ताकि औरों के लिए ख़तरा न बने.

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

जिज्ञासा जी
ऐसी भयावह खबरों के बावजूद कुछ ज्यादा सुधार नजर नहीं आ रहा

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

प्रतिभा जी
सर्वजन की भलाई के लिए उठाए गए कदमों को भी नकार दिया जाता है! दुपहिया वाहन चालक के लिए हेल्मेट का हश्र हमारे सामने है ही

NovoQuotes ने कहा…

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