ऑक्सीजन यानी कि प्राण-वायु, जिसके बिना कुछ पल गुजारना भारी पड़ जाता है। पर यदि इसकी बहुलता हो जाए तो खतरा हो जाता है। वैज्ञानिक पाल बर्ट ने यह चेतावनी दी थी कि शुद्ध ऑक्सीजन में सांस लेना जानलेवा हो सकता है। ज्यादा खोज करने पर वैज्ञानिकों ने पाया कि हम ज्यादा से ज्यादा 24 घंटे तक शुद्ध आक्सीजन सहन कर सकते हैं, उसके बाद निमोनिया हो जाता है। इसके बाद ऑक्सीजन की अधिकता से उसका मानसिक संतुलन बिगडने लगता है। उसकी यादाश्त लुप्त हो जाती है। अगर यह दवाब और बढ़ जाए तो दौरे पड़ने शुरु हो जाते हैं..................!
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
सोमवार, 26 अप्रैल 2021
ऑक्सीजन की अति भी खतरनाक हो सकती है
#हिन्दी_ब्लागिंग
इस बार कायनात शायद कुछ ज्यादा ही नाराज है ! एक छोर संभालने जाते है तो दूसरा बेकाबू हो जाता है ! किसी तरह उसका हल निकलता है तो एक तीसरी समस्या आन खड़ी हो जाती है ! उसका हल निकलता लगता है तब तक कुछ और नया सामने आ जाता है ! बड़ी मुश्किल से दवा का इंतजाम हुआ तो अब ऑक्सीजन की कमी की समस्या मुंह बाए सामने आ गयी। वैसे इनमें से अधिकाँश समस्याएँ हमारी खुद की निर्मित ही हैं। डर और घबड़ाहट के माहौल में जिसे जो सुझाई देता है उस पर अमल करने की कोशिश में कुछ भी करने को आमादा हो रहा है ! जिसमें ऑक्सीजन की उपयोगिता भी एक है !
ऑक्सीजन मिलना यानि नयी जिंदगी मिलना। यह एक मुहावरा ही बन गया है। परंतु इसका उपयोग भी सोच-समझ कर जानकार व्यक्ति की निगरानी में ही होना चाहिए ! यह नहीं कि कोई भी, कहीं भी, कैसे भी इसका उपयोग कर लिया जाए ! वैज्ञानिकों के अनुसार ऑक्सीजन, जिसके बिना जिंदा नहीं रहा जा सकता, उसकी अधिकता प्राणियों के लिए खतरनाक भी हो सकती है। सौ साल के भी पहले वैज्ञानिक पाल बर्ट ने यह चेतावनी दी थी कि शुद्ध ऑक्सीजन में सांस लेना जानलेवा हो सकता है। ज्यादा खोज करने पर वैज्ञानिकों ने पाया कि हम ज्यादा से ज्यादा 24 घंटे तक शुद्ध ऑक्सीजन सहन कर सकते हैं, उसके बाद निमोनिया हो जाता है। यह भी पाया गया है कि मनुष्य सिर्फ़ दो घंटों तक ही दो-तीन वायुमंडलीय दवाब सहन कर सकता है। इसके बाद ऑक्सीजन की अधिकता से उसका मानसिक संतुलन बिगडने लगता है। उसकी यादाश्त लुप्त हो जाती है। अगर यह दवाब और बढ़ जाए तो दौरे पड़ने शुरु हो जाते हैं। अंत में मृत्यु भी हो सकती है।
शुद्ध ऑक्सीजन ऐसे प्राणियों के लिए भी हानिकारक होती है जो प्राकृतिक तौर पर कम ऑक्सीजन वाली परिस्थितियों में रहते हैं। इस बात का उपयोग हमारी आंतों में रहनेवाले बहुत से खतरनाक कृमियों को खत्म करने में किया जाता है।
तो निष्कर्ष यही निकलता है कि हमें इस जटिल समस्या का, प्रभु पर अटूट भरोसा रखते हुए, बहुत सोच-समझ कर, बिना आतंकित हुए, धैर्य रखते हुए सामना करना है ! समय सदा चलायमान रहा है, यह दौर भी जरूर बीतेगा !
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16 टिप्पणियां:
बहुत जरूरी बातें कही है आपने।
नितीश जी
यह संकटकाल जल्द से जल्द खत्म हो परमेश्वर से यही विनती है
बहुत महत्वपूर्ण और उपयोगी जानकारी साझा की है आपने ।उपयोगी लेख ।
बहुत बढ़िया लेख।
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (27-4-21) को "भगवान महावीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं"'(चर्चा अंक-4049) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा
मीना जी
ऐसी विपत्ति के समय बहुत सोच समझ कर ही कोई उपाय करना चाहिए। अधूरी जानकारी खतरनाक हो सकती है
शिवम जी
स्वस्थ व सुरक्षित रहें
कामिनी जी
सम्मिलित करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद ।
सभी सुरक्षित व स्वस्थ रहें यही कामना है
बहुत ही उपयोगी और महत्वपूर्ण जानकारी भरा आपका ये आलेख है,इससे हम सभी को आक्सीजन के विषय में इतनी बढ़िया और सटीक जानकारी मिली जो शायद कम हो लोगो को पता होगी,सुंदर सार्थक आलेख के लिए हार्दिक शुभकामनाएं ।
इस दौर के लिए बेहद आवश्यक जानकारी है...। प्रकृति को समझने और उसमें जीने का समय लौट रहा है गगन जी। बहुत बधाई
बहुत उपयोगी जानकारी मिली । सही कहा कि धैर्य बनाये रहना चाहिए ।
जिज्ञासा जी
समय बडा ही विकट है और हम सब हताश! मीडिया पर हर दूसरी पोस्ट कोई ना कोई इलाज व दावा ले कर आ रही है। ऐसे में निहायत सावधानी की जरूरत है।
संदीप जी
सुरक्षित रहें स्वस्थ रहें
संगीता जी
अपना ध्यान रखें
उपयोगी बात कही आपने। डर जो न कराये कम है।
विकास जी
अब तो यह संकट किसी तरह टल जाए.. बस
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