आज भी वह वाकया याद है ! गुड़ फ्रायडे की छुट्टी थी । सुबह-सुबह एक सज्जन का फोन आ गया। छूटते ही बोले, सर हैप्पी गुड फ्रायडे। मुझसे कुछ बोलते नहीं बन पडा ! पर फिर धीरे से कहा, भाई; कहा तो गुड फ्रायडे ही जाता है, लेकिन है यह एक दुखद दिवस। इसी दिन ईसा मसीह को मृत्यु दंड दिया गया था। किसी क्रिश्चियन दोस्त को बधाई मत दे बैठना.....!
वैसे यह सवाल बच्चों को तो क्या बड़ों को भी उलझन में डाल देता है कि जब इस दिन इतनी दुखद घटना घटी थी तो इसे "गुड़" क्यों कहा जाता है? ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें सिर्फ छुट्टी या मौज - मस्ती से मतलब होता है, उन्हें उस दिन विशेष के इतिहास या उसकी प्रासंगिकता से कोई मतलब नहीं होता। अब इसी दिन को लें, सुबह की बधाई को याद रख, दूसरे दिन काम पर जा बहुतेरे लोगों से इस दिन के बारे में पूछने पर, इक्के - दुक्के को छोड कोई ठीक जवाब नहीं दे पाया। उल्टा उनका भी यही प्रश्न था कि फिर इसे गुड क्यों कहा जाता है। इसका यही उत्तर है कि यहाँ "गुड" का अर्थ "HOLY" यानी पावन के अर्थ में लिया जाता है. क्योंकि इस दिन यीशु ने सच्चाई का साथ देने और लोगों की भलाई के लिए, पापों में डूबी मानव जाति की मुक्ति के लिए उसमें सत्य, अहिंसा,त्याग और प्रेम की भावना जगाने के लिए अपने प्राण त्यागे थे। उनके अनुयायी उपवास रख पूरे दिन प्रार्थना करते हैं और यीशु को दी गई यातनाओं को याद कर उनके वचनों पर अमल करने का संकल्प लेते हैं।
12 टिप्पणियां:
गुड फ्राइडे की बदाई हो।
शास्त्री जी
सुरक्षित रहें स्वस्थ रहें
Sunder jankari
आभार, कदम जी
सुंदर संदेशपूर्ण तथा सही जानकारी देने के लिए धन्यवाद, गगन जी।
जिज्ञासा जी
सदा स्वागत है आपका
बहुत खूब,बिल्कुल सही है, बगैर जानकारी किसी के साथ हैप्पी जोड़ देने से खुद का ही मजाक बन जाता है, नकल के लिए अक्ल का होना जरूरी है, अच्छी जानकारी, नमस्कार
संदेशपूर्ण जानकारी देने के लिए धन्यवाद,
ज्योति जी
थोडी बहुत जानकारी तो जरूर रखनी चाहिए
संजय जी
हार्दिक आभार
बहुत लाभदायक जानकारी
आलोक जी
"कुछ अलग सा" पर सदा स्वागत है आपका
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