पत्नी रूपी दीपिका अपने ''बेबी पति'' को नया एसी दिखा उसके गुणों का बखान करती है ! बैक्टेरिया वगैरह की बात करते हुए उसके हाथ सेनिटाइज करती है और फिर उसका वह बाहर से आया ''बेबी पति'' अपने जूतों समेत सोफे पर पसर जाता है ! गोयाकि कीटाणु या बैक्टेरिया सिर्फ हाथों में ही रहना पसंद करते हों ! काश दीपिका जी का ध्यान नए एसी के साथ ही बाहर से आए अपने बेबी के जूतों की तरफ भी जा पाता..............!
https://youtu.be/pi4liCB1O5s
#हिन्दी_ब्लागिंग
आज जब कोरोना फिर बेकाबू हो कर महामारी का रूप ले रहा है तो ऐसे में सिर्फ सरकार का ही नहीं हर एक देशवासी का फर्ज बनता है कि उस के निरोध के लिए यथासंभव प्रयास किए जाएं। पर ऐसा होता दिखता नहीं ! कुछ लोग, संस्थाएं या उद्योग इसे अभी भी गंभीरता से नहीं ले रहे ! उनके व्यवहार में लापरवाही साफ़ झलकती है ! आज जब हर संभव तरीके और मीडिया के द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है, वहीं कुछ ऐसे विज्ञापन भी सामने आ रहे हैं, जिन्हें देख कर लगता है कि या तो वे इस जागरूकता अभियान को हलके में ले रहे हैं या फिर इसका मजाक सा उड़ा सिर्फ रस्म अदायगी कर रहे हैं !
अभी FMEG बनाने वाली एक कंपनी #लॉयड के #एयर_कंडीशनर का विज्ञापन आया है। जिसमें पति रूपी रणवीर घर में घुसते हुए कहता है, ''देखो-देखो मैं आ गया '' ! पत्नी रूपी दीपिका अपने इस ''बेबी पति'' को नया एसी दिखा उसके गुणों का बखान करती है ! बैक्टेरिया वगैरह की बात करते हुए उसके हाथ सेनिटाइज करती है और फिर उसका वह बाहर से आया ''बेबी पति'' अपने जूतों समेत सोफे पर पसर जाता है ! गोयाकि कीटाणु या बैक्टेरिया सिर्फ हाथों में ही रहना पसंद करते हों, कपड़ों-जूतों में नहीं ! काश दीपिका जी का ध्यान नए एसी के साथ ही बाहर से आए अपने बेबी के जूतों की तरफ भी जा पाता !
यह तो सिर्फ एक बानगी है समाज के एक ऐसे तबके की जिससे जिम्मेदारी की उम्मीद की जाती है। यहां कंपनी ज़रा सी एहतियात बरतअच्छा संदेश दे सकती थी। वहीं ''फिल्मवाले पैसे के लिए कुछ भी कर सकते हैं'' वाली छवि को बदल सकते थे दीपिका और रणवीर जरा सी समझदारी दिखा ! संदेश भी अच्छा जाता, लोगों में जागरूकता बढ़ती ! क्योंकि बहुत से घरों में, बाहर या स्कूल से आए, ऐसा करते बच्चों पर ध्यान कम ही दिया जाता है ! बच्चे ही क्यों बहुत से वयस्कों का भी यही हाल है, जूते लेकर पूरे घर में मंडराते रहते हैं ! हो सकता है ऐसों को अपनी गलती का एहसास हो जाता, खासकर इन कठिन दिनों के दौरान ! इसके साथ ही इन दोनों की छवि और लोकप्रियता में भी इजाफा ही होता ! अब क्या कहा जाए ! जो है वह तो हइए है ! सभी को खुद ही अपनी हिफाजत करनी है और करनी पड़ेगी ही !
15 टिप्पणियां:
धन के आगे सब गौण है।
शास्त्री जी
यही तो विडंबना है
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (13-4-21) को "काश में सोलह की हो जाती" (चर्चा अंक 4035) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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कामिनी सिन्हा
कामिनी जी
मान देने हेतु हार्दिक आभार
किसी नैतिकता से ना निर्देशक का सरोकार है, ना अभिनेताओं का। बहुत विचित्र है विज्ञापन की दुनिया, जिस पर कोई आचार संहिता लागू नहीं होती। अच्छा लिखा आपने।
सादर 🙏🙏💐💐
बहुत ही सारगर्भित विषय उठाया है आपने,परंतु जिसे शयन देना चाहिए,वो देता ही नहीं, सादर शुभकामनाएं।
शयन को ध्यान पढ़ें ।सादर ।
रेणु जी
हर जगह पैसा ही ध्येय हो गया है
जिज्ञासा जी
जब यह सोच है कि सेलेब्रिटी के कहने का असर होता है तो उससे कुछ ढंग की बाते भी कहलवाई जा सकती हैं
ज्यादातर विज्ञापन करनेवाले सिर्फ़ जितना उन्हें कहा गया है उतना कर देते है। इस विज्ञापन का क्या उद्देश्य है, उससे किन लोगों को फायदा होगा ये सब सोचते ही नही है। उन्हें बस विज्ञापन से पैसा चाहिए होता है। उसी के परिणाम में ऐसे विग्यापन बनते है।
वाकई बहुत ही गलत संदेश जाता है इस तरह के विज्ञापनों से खासतौर से बच्चों और युवाओं पर
ज्योति जी
बिल्कुल सही! पर कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने नैतिकता के चलते करोडों का आफर ठुकरा दिया! पर ऐसे लोग गिने-चुने ही हैं
अनीता जी
नैतिकता और जिम्मेदारी सब गौंण होते चले जा रहे हैं, पैसा ही प्रधान हो चुका है
छोटी छोटी बातों को ध्यान दिलाती सार्थक पोस्ट ।जो छोटी होती नहीं।
रोचक तरीका है आपका ।
सुंदर प्रस्तुति।
अनेकानेक धन्यवाद,
कुसुम जी
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