शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2021

विदेशी ट्विटर वीरांगनाएं और देसी किसान

इन ट्विटर वीरांगनाओं में से एक तो किसी तरह की तवज्जो देने के लायक ही नहीं हैं ! रही थनबर्ग की बात, तो पता नहीं उसे क्या बताया या समझाया गया कि वह उबाल खा गई, पर लगता है कि उसे हकीकत जल्दी समझ आ गई कि उसे जिनका समर्थन देने के लिए उकसाया जा रहा है, वे तो खुद पराली जला कर उस पर्यावरण को नुक्सान पहुंचाते हैं, जिसको बचाने की मुहीम वह चला रही है ! वैसे इन महान, जगत्प्रसिद्ध, ताकतवर, ज्ञानी हस्तियों के विपरीत एक अदने से देश अमेरिका ने तीनों किसान कानूनों का समर्थन किया है..............!  

#हिन्दी_ब्लागिंग    
दो-तीन दिन पहले अचानक रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग और मिया खलीफा ये तीन नाम सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गए ! अलग-अलग क्षेत्रों की इन तीन महिलाओं से एक ही मंच से किसान आंदोलन के पक्ष में एक दो लाइने उगलवाई गईं थीं। उनके उगालदान को सर पर रख ऐसे लोग भी नाचने लगे जिनको यह भी पता नहीं था कि ये महिलाएं हैं कौन हैं और इनका धंधा क्या है ! आश्चर्य तो और भी हुआ जब फेस बुक पर बुद्धिजीवी, कवियित्री और लेखिका के रूप में पहचानी जाने वाली और खुद को प्रगतिशील मानने वाली महिलाएं भी उनके बयान से आत्मविभोर हो गईं !

यह सोचने की बात है कि जिन्हें शायद यह भी ना मालुम हो कि भारत दुनिया के किस कोने में है, उन्हें अचानक किस अलौकिक प्रेणना की वजह से ऐसा दिव्य ज्ञान हासिल हो गया ! बात साफ़ है कि वह अलौकिक प्रेणना उन्हें ''भौतिक प्रसाद'' के रूप में उपलब्ध हुई ! आजकल किसी मशहूर कलाकार से समय लेने के लिए उसके मैनेजर से ही बात करनी  पड़ती है ! वह जैसा चाहता है वैसा ही होता है ! सारा खेल पैसे का हो गया है ! 

खबर है कि रिहाना सिर्फ एक ट्वीट करने का साढ़े तीन करोड़ रूपए लेती है। अब कोई बड़ी या असंभव बात नहीं है कि उसे उसकी मुंहमांगी रकम दे कर कुछ भी कहलवा लिया गया हो ! अब बॉलीवुड के कलाकार अमीर घरानों के शादी-ब्याहों जो पैसे के बदले ठुमके लगाते हैं तो जरुरी नहीं कि उस परिवार के सुख-दुःख, मान्यताओं या रीती-रिवाजों के भी सहभागी हों ! उन्हें सिर्फ पैसे से मतलब होता है !

इन ट्विटर वीरांगनाओं में से एक तो किसी तरह की तवज्जो देने के लायक ही नहीं हैं ! रही थनबर्ग की बात, तो पता नहीं उसे क्या बताया या समझाया गया कि वह भी उबाल खा गई ! पर लगता है कि उसे हकीकत जल्दी समझ आ गई कि उसे जिनका समर्थन देने के लिए उकसाया गया है, वे तो खुद पराली जला कर उस पर्यावरण को नुक्सान पहुंचाते हैं जिसको बचाने की मुहीम वह चला रही है ! और जिसके लिए शायद विश्व उसका सम्मान कर दे ! यह बात ध्यान में आते ही उसने अपना ट्वीट हटा लिया ! 

इन महान, जगत्प्रसिद्ध, ताकतवर, ज्ञानी हस्तियों के विपरीत एक अदने, नामालूम, कमजोर से देश अमेरिका ने तीनों कानूनों का समर्थन किया है ! वैसे भी इन पैसों के धागे पर नाचने वाली कठपुतलियों से क्या गिला करना, असली दोषी तो वह है जो अपने आकाओं के कुत्सित सपनों को पूरा करने के लिए, इनके अल्प ज्ञान का फ़ायदा उठा, अपनी ऊंगलियों पर नचा रहा है ! नाचने वालों को शायद भनक भी ना हो कि किस दुष्चक्र में फांसे जा चुके हैं ! अब तो साफ़ है कि यह किसान आंदोलन किसानों के हाथ से निकल उनके हाथ पहुँच गया है जो सोते-जागते, उठते-बैठते सिर्फ इस देश की बुराई चाहते हैं।

इन हरकतों के चलते इधर एक छींका फिर टूट गया बिल्लियों के भाग ! मक्खियों की तरह लोग भिनभिनाने लगे हैं इस तथाकथित आंदोलन के ठीयों पर ! जिनका नाम भी लोग भूल चुके थे वह भी प्रेतावतार में यहां नमूदार हो गए हैं। इतनी बेशर्मी, इतनी नफरत, इतनी लिप्सा कि जिस आदमी ने डंडे-सोटे ले कर लाल किले पहुँचने की साजिश की, देश के सम्मान को मिटटी में मिलाने का षड्यंत्र रचा ! उसी आदमी के गले मिल-मिल कर जबरन अपना समर्थन थोपने की हिमाकत कर रहे हैं ! क्या इन्हें देशवासियों से डर नहीं लगता या ये उन्हें निरा बुड़बक समझ बैठे हैं ! पर यह जनता है जो सब जानती है ! जवाब तो मिलेगा और शायद ऐसा कि इनकी पीढ़ियां याद रखेंगी ! 

18 टिप्‍पणियां:

शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

सटीक एवं सार्थक लेख। आजकल सोशल मीडिया पर ही लोग किरांती लाने लग जाते है यानि झूठ कपास , अफवाह उड़ाया जाता है..! ये सबकुछ एक सोची समझी साजिश के तहत किया जाता है। इस तथाकथित लोगो के खिलाफ सख्त कार्रवाई होना चाहिए। ट्विटर पर तो अब कड़ा एक्शन लेना चाहिए सरकार को..!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शिवम जी
पूरी तरह सहमत

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

इतनी बेशर्मी, इतनी नफरत, इतनी लिप्सा कि जिस आदमी ने डंडे-सोटे ले कर लाल किले पहुँचने की साजिश की, देश के सम्मान को मिटटी में मिलाने का षड्यंत्र रचा ! उसी आदमी के गले मिल-मिल कर जबरन अपना समर्थन थोपने की हिमाकत कर रहे हैं ! क्या इन्हें देशवासियों से डर नहीं लगता या ये उन्हें निरा बुड़बक समझ बैठे हैं ! पर यह जनता है जो सब जानती है ! जवाब तो मिलेगा और शायद ऐसा कि इनकी पीढ़ियां याद रखेंगी ! ..बिल्कुल सही उद्घृत किया है आपने गगन जी ..बहुत ही सारगर्भित विषय पर सारगर्भित आलेखन..सादर शुभकामनाएँ..

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

जिज्ञासा जी
अनेकानेक धन्यवाद

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सारगर्भित आलेख।
विदेशियों को भारत की समस्याओं से क्या मतलब।

Nitish Tiwary ने कहा…

कॉंग्रेस और वामपंथी अब इतनी नीचता पर उतर आए हैं कि कैसे कैसे लोगों से दुष्प्रचार करवा रहे हैं।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शास्त्री जी
जिनसे बुलवाया गया है उन्हें तो शायद यह भी पता न हो कि भारत विश्व के किस कोने में है पर पैसा जो न करवा दे कम है

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

नीतीश जी
जनता देख और समझ तो रही है! कहीं देश कांग्रेस तो क्या विपक्ष विहीन ही ना हो जाए! ऐसे में सरकार को ही कुछ को विपक्ष में बैठाना पडेगा जैसे स्कूलों में डिबेट के दौरान होता था

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५-०२-२०२१) को 'स्वागत करो नव बसंत को' (चर्चा अंक- ३९६९) पर भी होगी।

आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अनीता जी
सम्मिलित करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद

Kamini Sinha ने कहा…

सटीक एवं सार्थक लेख,सादर नमन

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कामिनी जी
सदा स्वागत है,आपका

Jyoti Dehliwal ने कहा…

सटीक और सारगर्भित आलेख।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ज्योति जी
अनेकानेक धन्यवाद

Alaknanda Singh ने कहा…

रिहाना सिर्फ एक ट्वीट करने का साढ़े तीन करोड़ रूपए लेती है। अब कोई बड़ी या असंभव बात नहीं है कि उसे उसकी मुंहमांगी रकम दे कर कुछ भी कहलवा लिया गया हो ! अब बॉलीवुड के कलाकार अमीर घरानों के शादी-ब्याहों जो पैसे के बदले ठुमके लगाते हैं तो जरुरी नहीं कि उस परिवार के सुख-दुःख, मान्यताओं या रीती-रिवाजों के भी सहभागी हों ! उन्हें सिर्फ पैसे से मतलब होता है !...वाह शर्मा जी बहुत खूब ल‍िखा या यूं कहें क‍ि धो द‍िया..खासकर शब्द ट्व‍िटर वीरांगना बहुत अच्छा लगा...

मन की वीणा ने कहा…

शानदार आलेख।
सब कुछ ढ़ोल की पोल है गगन जी आपका बेबाक लेखन सच बहुत कुछ सोचने को मजबूर करता है।
सटीक यथार्थ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अलकनंदा जी
पता नहीं सच्चाई जानते हुए भी कुछ लोग सच का साथ क्यों नहीं देते

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कुसुम जी
प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार

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