शनिवार, 29 अगस्त 2020

इकलौता मंदिर, जहां गणेश जी की नरमुख रूप में पूजा होती है

कुछ दिनों पहले एक ऐसे स्थान का विवरण मिला था जहां गणेश जी के गजमुख लगने से पहले वाले मस्तक की पूजा होती है। जो उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट से 14 किलोमीटर दूर भुवनेश्वर नामक गांव की एक गुफा में प्रतिष्ठित है। इस गुफा को पाताल भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है।मान्‍यता है कि इस गुफा में गणेश जी का असली सिर भगवान शिव द्वारा स्थापित किया गया था ! आज उसी कड़ी में एक ऐसे इकलौते मंदिर का ब्यौरा जहां गौरी पुत्र की पूजा मानव मुख के साथ होती है ! आस्था में तर्क का कोई भी स्थान नहीं होता................!

#हिन्दी_ब्लागिंग 

आस्था में तर्क के लिये कोई स्थान नहीं होता। वर्षाें से, पीढ़ी दर पीढ़ी जो देखा-सुना जाता है, खासकर धर्म के मामले में, उसी पर हमारी आस्था हो जाती है। समय के साथ-साथ यह इतनी गहरी और दृढ हो जाती है कि हमें यदि उसके इतर भी कुछ मिलता है तो हम उसे भी संभव मान इसी में समाहित कर लेते हैं ! जैसे कि वर्षों-वर्ष से यही पढ़ते, सुनते, देखते, विश्वास करते आएं हैं कि गौरी पुत्र गणेश जी गजानन हैं, और यह गजमुख उन्हें बाल्यकाल में ही उनके साथ घटी एक घटना के फलस्वरूप मिला था। उनकी सदा इसी रूप में पूजा भी होती आई है। पर अभी एक अनोखी, विस्मयकारी एवं अनूठी जानकारी ''भास्कर'' से मिली कि सुदूर दक्षिण के तमिलनाडु राज्य में एक अनूठा, इकलौता गणेश जी का  एक ऐसा मंदिर भी है, जहां उनकी मानव मुखी प्रतिमा की पूजा-अर्चना होती है। यह जानकारी चौंका जरूर देती है पर किसी  तरह का अविश्वास नहीं करती ! यही आस्था है जिसमें तर्क की कोई भी गुंजाइश नहीं ! गणेशोत्सव के पावन दिनों के अवसर पर  आज उसी को साझा कर रहा हूँ। 

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नरमुखी गणेश 

कुछ दिनों पहले एक ऐसे स्थान का विवरण मिला था, जहां गणेश जी के गजमुख के पहले वाले वास्तविक मस्तक की पूजा होती है। जो उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट से 14 किलोमीटर दूर भुवनेश्वर नामक गांव की एक गुफा में प्रतिष्ठित है। इस गुफा को पाताल भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है। मान्‍यता है कि इस गुफा में गणेश जी का असली सिर भगवान शिव द्वारा स्थापित किया गया था ! आज उसी कड़ी में एक ऐसे मंदिर का ब्यौरा जहां गौरी पुत्र की नर रूप में स्थापित प्रतिमा की पूजा-अर्चना की जाती है। 

पाताल भुवनेश्वर 

पाताल भुवनेश्वर, पूजा स्थल 
देश के सुदूर दक्षिणी इलाके का राज्य तमिलनाडु। इसके तिरुवरुर जिले के कुटनूर नगर से करीब तीन किमी की दुरी पर स्थित है, तिलतर्पण पुरी । यहीं 7वीं सदी में निर्मित एक ऐसा प्राचीन आदि विनायक मंदिर है जिसमें गणेश जी की नरमुख रूप यानी इंसान स्वरुप में माँ पार्वती जी के साथ पूजा होती है। मान्यता है कि माता पार्वती ने अपने उबटन की मैल से जिस बालक की रचना की थी, यह प्रतिमा उसी का पहला रूप है ! ऐसा माना जाता है कि विश्व भर में यह इकलौता मंदिर है जहां विघ्नहर्ता नरमुख रूप में विराजमान हैं।  


पितृपक्ष में यहां लोग अपने पूर्वजों का तिल से तर्पण  करते हैं। ये प्रथा अनादिकाल से चली आ रही है। प्रभु राम ने भी अपने पिता दशरथ का तर्पण यहां किया था। यहां ऐसी कथा प्रचलित है कि जब श्री राम अपने पिता दशरथ का अंतिम संस्कार कर रहे थे तब उनके द्वारा चढ़ाए जा रहे चार पिंड बार-बार खंडित हो बिखरे जा रहे थे और उनमें कीड़े लग रहे थे ! तब श्री राम ने भगवान शिव से प्रार्थना की और उनके कहेनुसार आदि विनायक मंदिर पर आकर अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए भोलेनाथ की पूजा की। तत्पश्चात चावल के वो चार पिंड चार शिवलिंग में बदल गए, जो आज भी आदि विनायक मंदिर के पास मुक्तेश्वर मंदिर में मौजूद हैं। 

आमतौर पर पितृ शांति की पूजा किसी नदी के तट पर की जाती है, लेकिन यहां मंदिर के अंदर ही यह अनुष्ठान होता है। पितृ-पूजा के लिए इसे काशी, रामेश्वरम तथा गया जी के बराबर माना जाता है। हजारों लोग अपने पूर्वजों की मोक्ष की कामना ले कर यहां आते रहते हैं। 

@सभी चित्र अंतर्जाल से -

12 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सु न्दर जानकारी।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी
स्नेह बना रहे

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (30-08-2020) को    "समय व्यतीत करने के लिए"  (चर्चा अंक-3808)    पर भी होगी। 
--
श्री गणेशोत्सव की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
सादर...! 
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
--

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शास्त्री जी
आपको भी मंगलकामनाऐं

कदम शर्मा ने कहा…

पहली बार गणपति जी के इस रूप की जानकारी हई। आभार

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कदम जी
आपका सदा स्वागत है

Chetan ने कहा…

अद्भुत जानकारी

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

चेतन जी
अनेकानेक धन्यवाद

Marmagya - know the inner self ने कहा…

आदरणीय गगन शर्मा जी, बहुत अच्छी और प्रामाणिक जानकारी! --ब्रजेन्द्रनाथ

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ब्रजेन्द्रनाथ जी
''कुछ अलग सा'' पर आपका सदा स्वागत है

Pooja ने कहा…

भुवनेश्वर मंदिर पढ़ के बहुत अच्छा लगा वाकई में। यह भी देखें पाताल भुवनेश्वर मंदिर

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

पूजा जी
हार्दिक आभार🙏

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