मंगलवार, 25 अगस्त 2020

ढाक ने अपनी रीत बताई, तीन पात ही रहेंगें भाई !

चौथा स्थान फिलहाल खाली है, शायद उसके लिए तैयारी चल रही है। अब पांचवें पायदान पर तकरीबन पचास लोग, गिरने से अपने को बचाने, अपने अस्तित्व को संभालने, अपनी पहचान बनाए रखने के लिए जोर आजमाइश में जुटे हुए हैं। यह जानते हुए भी कि तीन के बाद सब तृण हो जाते हैं ! दुनिया को तीन तक ही कुछ याद रह पाता है, स्वर्ण-रजत-कांस्य ! उसके बाद तू कौन, तो मैं कौन..............!


#हिन्दी_ब्लागिंग 

कोरोना काल में दूरदर्शन के रेट्रो चैनल पर आ रहे पुराने दिलचस्प  की तरह कल कांग्रेस की भी एक नाटिका का पुनर्मंचन हुआ ! जाने-माने कथानक का अंत वैसे तो सबको मालुम ही था, पर कुछ कलाकारों की नई गतिविधियों से कुछ अलग होने का क्षीण सा अनुमान भी लगाया जा रहा था पर ढाक ने अपनी रीत बताई, तीन पात ही रहेंगें भाई ! पद छोड़ने का खतरा तो कभी भी नहीं लिया जा सकता ! खासकर आज के परिवेश में ! क्योंकि क्या ठिकाना कि कल जिस स्वामिभक्त को कुर्सी सौंपी, वही स्वामी ना बन जाए ! अब बार-बार देवकांत बरुआ या मनमोहन सिंह जैसे लोग तो मिलने से रहे ! फिर इसका भी क्या पता कि शिखर से पद छोड़ने का संदेश सिर्फ स्वामिभक्ति के परीक्षार्थ ही जारी किया जाता हो ! पिछले दिनों का पत्र काण्ड इसका ठोस उदाहरण है ! जिसे पार्टी में दिग्गज समझे जाने वाले 23 नेताओं ने अपने को तुर्रम खां समझ, कांग्रेस में सुधार लाने के लिए सोनिया जी को कुछ लिख डाला। राहुल की एक घुड़की ने सभी की हवा निकाल दी ! पतझड़ में वृक्ष से चिपके इन पीले पत्तों की अब घिघ्घी बंधीं हुई है !      

अब वे दिन तो लद गए जब इस पार्टी में एक से बढ़ कर एक नेता हुआ करते थे ! जिन्हें सारा देश जानता-मानता था। अब तो सब कुछ सिमट कर तीन जनों पर आ सिमटा है। सोनिया जी, राहुल तथा प्रियंका ! दल के प्रथम तीन स्थानों पर इन्हीं का बर्चस्व है और होना भी चाहिए, पार्टी के यही तीन सदस्य ऐसे हैं जिनकी देश भर में पहचान है। कहीं भी जाएं देश के हर हिस्से में इनका संगठन अभी भी मौजूद है। कमोबेस इनके समर्थक सभी जगह मिल ही जाएंगें। फिलहाल चौथा स्थान अभी खाली है ! ऐसी हवा है कि शायद उसके लिए तैयारी चल रही है। अब पांचवें पायदान पर तकरीबन पचास लोग, गिरने से अपने को बचाने, अपने अस्तित्व को संभालने, अपनी पहचान बनाए रखने के लिए एक दूसरे को धकियाते-लतियाते जोर आजमाइश में जुटे हुए हैं। यह जानते हुए भी कि तीन के बाद सब तृण हो जाते हैं ! दुनिया को तीन तक ही कुछ याद रह पाता है, स्वर्ण-रजत-कांस्य ! उसके बाद तू कौन तो मैं कौन !

सच्चाई तो यह है कि जनता भले ही किसी बात से परेशान हो, उसे लगता है कि उस मुसीबत से मोदी ही उबार सकता है और कोई नहीं ! संकट आया है तो मोदी ही कोशिश कर रहा है उससे उबारने की ! क्योंकि अवाम भी आज देख रहा है कि जो काम वर्षों-वर्ष टाले जाते रहे, जिनको पिछली सरकारें विषम, असंभव, नामुमकिन बताती रहीं वे कैसे एक झटके में पूरे हो गए। बड़े-बड़े राष्ट्र जो आए दिन आंखें दिखाने से बाज नहीं आते थे, आज आगे बढ़ कर हाथ मिलाने की कोशिश कर रहे हैं !

वैसे भी अभी जो तीन या तेरह में हैं, उनकी पहचान तभी तक है जब तक सर पर टोपी और पीठ पर हाथ है ! उसके बिना उनके शहर में भी शायद ही कोई उन्हें पहचाने। अधिकतर को पता है कि वे किसी भी चुनाव में कभी भी जीत ही नहीं सकते सिर्फ पार्टी की बदौलत ही उनकी पहचान है। ऐसे जनाधार हीन लोगों का एक ही लक्ष्य सदा रहा है कि गांधी परिवार का कोई सदस्य सर्वोच्च पद पर आसीन रहे। इसीलिए जब भी मीटिंग-मीटिंग का खेल होता है, हर सदस्य के संवाद पहले से तय होते हैं। किसको क्या और कब बोलना है, सब पूर्वनिर्धारित रहता है, और अंत सुखान्त ! इसके अलावा यहां हर कोई अपना अहम्, अपनी अहमियत, अपना गरूर का भार सदा अपने कंधों पर टांगे रहता है जिसका बोझ इनआत्मश्लाघियों को किसी और की हथेली-तले काम करना तो दूर वैसी सोच को भी निकट नहीं फटकने देता ! 

नियति ने राहुल को राजनीती में ला फंसाया है। उनकी मजबूरी है कि लाख चाहते हुए भी वह यहां से अब निकल नहीं सकते ! वे चाहेंगे तो भी लोग अपने स्वार्थवश उन्हें निकलने नहीं देंगे ! इसलिए अब वहां टिके रहने के लिए यह निहायत जरुरी है कि वे अपनी व्यक्तिगत मोदी विरोधी सोच बदलें ! परिपक्व हों ! चाटुकार, चापलूस, छुटभइए घाघ लोगों से छुटकारा पा पढ़े-लिखे, समझदार साथ ही अनुभवी लोगों को अपना सलाहकार बनाएं, जो देश-समाज-लोगों के हित में सोचें और उसी दिशा में काम करें ! मोदी जी के कपड़ों, उनकी चाल-ढाल या उनके दैनन्दिनी कार्यों पर उलटी-सीधी टिपण्णी कर या उनका मखौल बना, अपने आप को पार्टी और नेतृत्व का हितैषी सिद्ध करने वाले मतलबपरस्तों से बचें और उनको दूर ही रखें ! इसी में भलाई होगी। भले ही उनकी ऐसी हरकतें फौरी तौर पर ''दरबार'' में खूब वाह-वाही बटोर रही हों पर यह निहायत जरुरी है कि वक्त रहते इस धीमे विष से छुटकारा पा लिया जाए !  

जैसे बिना अंकुश के हाथी और बिन ड्राइवर के गाडी का जो हाल होता है वही बिना विपक्ष की किसी भी सरकार का हो जाता है। इसीलिए लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष का होना बहुत जरुरी होता है ! पर आज देश में विपक्ष सिर्फ खानापूर्ति के लिए ही रह गया है ! वो चाहे जितना भी दम भर ले ! कितना भी हाथ-पैर पटक ले ! कितना भी चीख-चिल्ला ले ! कैसा भी जोड़-तोड़ लगा ले ! उसे एक बात समझनी और माननी ही पड़ेगी कि दूर-दूर तक कोई ऐसा नेता नजर नहीं आता जो मोदीजी को हराना तो दूर उनके सामने कोई छोटी-मोटी चुन्नौती ही खड़ी कर सके। खामियां तो आज कोई भी राह चलता निकाल देता है पर उसका पर्याय तो बताए ! हर बात में खामियां खोजने वाले उसका हल तो बताएं ! सच्चाई तो यह है कि जनता भले ही किसी बात से परेशान हो, उसे लगता है कि उस मुसीबत से मोदी ही उबार सकता है और कोई नहीं ! संकट आया है तो मोदी ही कोशिश कर रहा है उससे उबारने की ! क्योंकि अवाम भी आज देख रहा है कि जो काम वर्षों-वर्ष टाले जाते रहे, जिनको पिछली सरकारें विषम, असंभव, नामुमकिन बताती रहीं वे कैसे एक झटके में पूरे हो गए। बड़े-बड़े राष्ट्र जो आए दिन आंखें दिखाने से बाज नहीं आते थे, आज आगे बढ़ कर हाथ मिलाने की कोशिश कर रहे हैं ! दुनिया में एक नई पहचान बन रही है। ऐसे में हारे-थके-लुटे-पिटे हाशिए पर सिमटा दिए गए दलों और उनके लगभग गुमनाम होते आकाओं की नजर, बार-बार राहुल पर ही जा टिकती है, बलि का बकरा बनाने के लिए ! लगता तो यही है कि फिर इस बंदे को दूसरों की लड़ाई में ना चाहते हुए भी भाग लेना और अपना कुछ ना कुछ होम करना पडेगा ! 

17 टिप्‍पणियां:

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

शास्त्री जी
सम्मिलित करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अब राहुल बेचारे को फस लिया है बी जे पी ने अपने जाल में ... न जाने देते हैं न बन्ने देते हैं ...
अपनी पार्टी में ही ले लें तो भी बात बने जाये ... सत्ता के बिना रह नहीं पाते बेचारे ...

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

जी राहुल जरूरी है आज
तभी तो आउल करेगा राज :)

सु न्दर

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

नासवा जी
सच कहें तो कभी-कभी तो ऐसा ही लगता है! पर शायद अगले को आभास भी नहीं होता

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुशील जी
दूर-दूर तक तो कोई और दिखाई नहीं देता

Rishabh Shukla ने कहा…

सुंदर लेख

Onkar ने कहा…

बढ़िया विश्लेषण

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ऋषभ जी
हार्दिक धन्यवाद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

ओंकार जी
सदा स्वागत है

मन की वीणा ने कहा…

सच में अगर विरोधी पार्टी इतनी
अपाहिज हो तो सत्ताधारी भी निरंकुश
हो जाता है।
लेख बहुत सार्थक है।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कुसुम जी
हार्दिक आभार

बेनामी ने कहा…

बेबाक व सटीक ! साधुवाद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अभी भी अनामी टिपण्णी ! मित्र पहचान के साथ आएं, अच्छा लगेगा

Kadam Sharma ने कहा…

Bilkul sahi aakalan

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद , कदम जी

Chetan ने कहा…

सही बात !

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

चेतन जी
पर लोग अभी भी दिवास्वपनों में विचरण कर रहे हैं

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